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Updated: 09 मई, 2021 05:58 PM
प्रभाष कुमार दत्ता
प्रभाष कुमार दत्ता
  @PrabhashKDutta
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भारत में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है. कोरोना संक्रमण के बारे में अब तक तमाम शोध सामने आ चुके हैं. वायरस के वेरिएंट से लेकर उसके पॉजिटिविटी रेट तक इससे जुड़ी तमाम जानकारी लोगों तक पहुंच रही है. इस स्थिति में ये सवाल भी उठ रहा है कि हवा में कोरोना वायरस कितनी दूरी तक लोगों को संक्रमित कर सकता है? स्वास्थ्य एजेंसियों के अनुसार, कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) का संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के काफी करीब आने पर नाक, मुंह और आंखों के जरिये फैलता है. संक्रमित व्यक्ति के करीब आने का मतलब है कि कोरोना संक्रमित मरीज से मिलने पर दो मीटर या छह फीट से कम दूरी रखी जाए. ऐसा करने पर एक सामान्य व्यक्ति भी कोरोना वायरस से ग्रस्त हो सकता है. उसमें कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखाई भी दे सकते हैं और नहीं भी.

कोरोना संक्रमित शख्स के सांस लेने, खांसने, छींकने और बोलने के दौरान निकलने वाली बूंदों के जरिये कोविड-19 वायरस हवा में फैलता है. इसी वजह से दो मीटर से ज्यादा दूरी अपनाते हुए सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की सलाह दी जाती है. अगर आप किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ रहे हैं, तो मास्क और फेस कवर पहनने से कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि धरती के गुरुत्वाकर्षण की वजह से अधिकांश बूंदें दो मीटर की दूरी तय करने के दौरान जमीन पर गिर जाती हैं. ये बूंदें जमीन पर गिरने के बाद भी तीन से चार घंटों तक संक्रामक रहती हैं. ऐसी संक्रामक सतहों को फोमाइट्स कहा जाता है. यही वजह है कि लोगों को हाथ धुलने और सेनिटाइज करने की सलाह दी जाती है. दरअसल, अधिकतर सभी काम हाथ से किए जाते हैं और लोगों को बार-बार मुंह, नाक और आंख के साथ अपना चेहरा छूने की आदत होती है.

कोरोना वायरस कितनी दूरी तय कर सकता है?

कोरोना संक्रमित व्यक्ति के मुंह और नाक से निकलने वाली बड़ी बूंदों से इतर हजारों माइक्रो बूंदों को एरोसॉल्स कहा जाता है. कोरोना वायरस से भरी हुई ये माइक्रो बूंदें दो मीटर से ज्यादा दूरी तय कर सकती हैं. इसे कोरोना वायरस संक्रमण के हवा में प्रसार का बड़ा कारण माना जाता है. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी स्वास्थ्य एजेंसियों ने हवा में कोरोना वायरस के प्रसार को बहुत गंभीरता से नहीं लिया था. इन एजेंसियों का कहना था कि हवा में इस तरीके से कोरोना वायरस के प्रसार के ठोस सबूत नही हैं. हालांकि, स्वतंत्र रूप से काम करने वाले कई विशेषज्ञों ने जुलाई 2020 में इस खतरे को पहचान लिया था. मई 2020 में प्रकाशित एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया था कि एयरोसॉल्स केवल पांच सेकंड में ही 18 फीट या 5.5 मीटर तक की यात्रा कर सकते हैं. और इनमें कोरोना वायरस हो सकता है.

रिपोर्ट में बताया गया था कि कोरोना वायरस को लेकर ये माइक्रो बूंदें दो मीटर या छह फीट की सीमा से ज्यादा दूर तक जा सकती हैं.रिपोर्ट में बताया गया था कि कोरोना वायरस को लेकर ये माइक्रो बूंदें दो मीटर या छह फीट की सीमा से ज्यादा दूर तक जा सकती हैं.

कोरोना वायरस का हवा में कहां तक हो सकता है प्रसार?

इसी साल अप्रैल में द लांसेट की एक रिपोर्ट में पिछले सभी अध्ययनों की परिकल्पनाओं का विश्लेषण किया गया था. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि कोरोना वायरस को लेकर ये माइक्रो बूंदें दो मीटर या छह फीट की सीमा से ज्यादा दूर तक जा सकती हैं. रिपोर्ट के अनुसार, हवा की धाराओं के सहारे कोरोना वायरस एक कमरे से दूसरे कमरे में भी फैल सकता है. डब्ल्यूएचओ ने हाल ही कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन के मोड को लेकर अपने प्रोटोकॉल्स को अपडेट किया है. जिसमें कहा गया है कि कम हवादार जगहों पर एरोसॉल्स दो मीटर से ज्यादा दूरी तक फैल सकते हैं. सेमिनार हॉल, कॉन्फ्रेंस रूम, अस्पताल के वार्ड के साथ ही आवासीय फ्लैट भी इन जगहों में आते हैं. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हवा कोरोना वायरस से भर गई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इनडोर वातावरण की तुलना में आउटडोर एरिया ज्यादा सुरक्षित हैं. दरअसल, ताजी हवा इन एरोसोल्स को फैला देती है और नियम के हिसाब से वायरस कमजोर हो जाता है.

आउटडोर एरिया क्यों सुरक्षित है?

वायरस से भरे एरोसोल में मौजूद पानी ताजी हवा में और सूर्य की किरणों के संपर्क में आने पर भाप बन जाता है. जिसके बाद सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें वायरस को खत्म कर देती हैं. इस स्टडी से पता चला है कि सूर्य की किरणों से 90 फीसदी कोरोनो वायरस कण सात मिनट के अंदर निष्क्रिय हो जाते हैं. हालांकि, यह मानना गलत होगा कि कोरोना संक्रमण बाहर की जगहों पर नहीं हो सकता है. आउटडोर में कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना काफी कम है. इसमें भी भीड़भाड़ वाले स्थानों को छोड़कर, जहां लोग मास्क नहीं पहनते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं.

हवा में होने वाले प्रसार को कैसे रोका जाए?

रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए अमेरिकी केंद्र सलाह देते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग, समुदायिक तौर पर मास्क का इस्तेमाल, हाथ की स्वच्छता, हवादार जगहों में रहने के साथ संक्रमण फैला सकने वाली जगहों की सफाई और सेनिटाइजेशन जरूरी है. इसके साथ ही भीड़ से भरी इनडोर जगहों पर जाने से बचने पर हवा से फैलने वाले कोरोना वायरस के संक्रमण पर रोकने में मदद मिल सकती है. इनके अनुसार, घर के अंदर और कम हवादार जगहों पर दो मीटर से ज्यादा दूरी तक वायरस के प्रसार का खतरा होता है. जिसकी वजह से बाहर सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही जिन घरों में अगर कोई संभावित संक्रमित व्यक्ति है, तो घर में भी मास्क पहनना जरूरी है. यहां तक कि अगर सब लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं भी दिख रहे हैं, तो मास्क लगाना जरूरी है.

लेखक

प्रभाष कुमार दत्ता प्रभाष कुमार दत्ता @prabhashkdutta

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्टेंट एडीटर हैं.

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