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Updated: 24 अप्रिल, 2015 02:12 PM
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कल तक लोग कल्याण ज्वैलर्स को सिर्फ एक विदेशी ज्वैलर्स चेन के रूप में जानते थे, जो भारतीयों की सोने के प्रति चाहत को आधार बनाकर अपना कारोबार चलाता है. और हाँ, हम यह भी जानते हैं कि बच्चन परिवार ने इस ज्वैलरी ब्रांड का प्रचार किया है.

एक खुला पत्र प्रमुखता से सामने आया है. जिसमें एक विज्ञापन के दौरान नस्लवाद और बच्चों की गुलामी को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए ऐश्वर्या राय बच्चन पर निशाना साधा गया है. कल्याण ज्वैलर्स को तो इससे तुरंत प्रचार मिल गया है.

ज्वैलर्स ने विज्ञापन को तो वापस लिया लेकिन उसका पूरा फायदा लेने के बाद. बुरा-भला कहने वालों ने ऐश्वर्या को ट्विटर पर ट्रेंडिंग बनाया और ब्रांड को और चर्चित कर दिया.

प्रिंट मीडिया के लिए बना विज्ञापन यूरोपीय तैल चित्रों से प्रेरित था. जिसमें ऐश्वर्या को एक राजकुमारी और छोटी उम्र, काली त्वचा वाले गुलाम लड़के को एक छाता पकड़े दिखाया गया है. इसी बात पर नस्लवाद और गुलामी को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं.

जल्द ही सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मध्ययुगीन काल की परम्परा पर आधारित इस विज्ञापन के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी. ट्विटर ऐश्वर्या राय के इस विज्ञापन से अलग हो जाने की मांग करने वाले संदेशों से भर गया. शाम होते-होते ऐश्वर्या राय की तरफ से एक आधिकारिक बयान जारी किया गया. जिम्मेदारी क्रिएटिव टीम पर डाल दी गई. और बताया गया कि विज्ञापन के अंतिम लेआउट का काम ब्रांड की क्रिएटिव टीम का विशेषाधिकार है.

जनचर्चा का विषय बनाने के लिए विज्ञापन से विवाद जोड़ दिए गए. अधिकतम नकारात्मक प्रचार ब्रांड को ज्यादा फायदा पहुंचाता है. जब कोई सेलिब्रिटी किसी विवादास्पद विज्ञापन में उलझ जाता है और दर्शकों के गुस्से का सामना करता है तो यह बात ब्रांड की शोहरत में इजाफा करती है.

ऐश्वर्या की तरह ही निकोल किडमैन भी एक विज्ञापन की वजह से परेशान हुई थीं. जब वे एतिहाद एयरवेज की विदेशी एयरबस 380 के विज्ञापन में दिखाई दी थीं. एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल फ्लाइट अटैंडेंटस् (APFA) ने एक पत्र लिखकर निकोल से मांग की थी कि वे खुद को एयरलाइन से अलग कर लें, जिसकी नीतियां महिला कर्मचारी विरोधी थीं. एसोसिएशन ने इस पत्र में निकोल को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दिए गए उनके प्रेरक भाषण की याद भी दिलाई. ट्विटर पर हुए हंगामे ने निकोल और एतिहाद को मुफ्त का प्रचार दिलाया. कई नफरत भरे ट्वीट और रेडिट मैसेज भेजे गए थे तब.

एक प्रमुख चिप्स ब्रांड पोपचिप्स की बिक्री में खासा इजाफा हुआ, जब हॉलीवुड स्टार एश्टन कुचर इसके एक ऑनलाइन विज्ञापन में दिखाई दिए. एक बॉलीवुड निर्माता के रूप में, जो प्यार की तलाश में है. भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने भारतीयों को गरीब दिखाने के लिए कुचर पर अपना गुस्सा निकाला. विज्ञापन वापस ले लिया गया, लेकिन पोपचिप्स की खपत अभी भी भारतीय-अमेरिकियों में ज्यादा होती है.
 
सोडास्ट्रीम, इजराइल की सोडा मशीन बनाने वाली यह कंपनी उस वक्त सुर्खियों में आई जब स्कारलेट जोहानसन ने इसके ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम करने से मना कर दिया. जोहानसन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि एक मानवतावादी संगठन ऑक्सफेम ने इजराइल के साथ किसी भी तरह के व्यापार का विरोध किया था. यह विवाद प्रोडक्ट के भविष्य के लिए अच्छा था.

विवाद कई तरह से ब्रांड को फायदा पहुंचाते हैं. किसी सेलिब्रिटी का चेहरा ब्रांड वेल्यू बढ़ाता है. और फिर विवाद उसे चर्चा में ले आता है. विडंबना यह है कि असली मुद्दा जिस पर ध्यान देने की जरूरत है, वो इस कलह के बीच कहीं गायब हो जाता है.

क्रिएटिव टीम के बारे में बात होने के बजाए बहस इस बात पर होती है कि राय को इस विज्ञापन में काम करना चाहिए था या नहीं. विज्ञापन फिल्म निर्माताओं की कुछ रचनात्मक आलोचना और व्यावहारिक टिप्पणियां इसे एक अलग रंग दे सकती हैं.

लेकिन, अधिकांश विवाद सिर्फ छोटी-मोटी प्रतिक्रियाओं के साथ ही खत्म हो जाते हैं. वैसे ही इस विवाद का भी एक स्वाभाविक अंत हो जाएगा. इस विवाद से एकमात्र फायदा कल्याण ज्वैलर्स को मिला, मुफ्त प्रचार और ब्रांडिंग का.

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लेखक

प्रियंका श्रीवास्तव
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