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Updated: 18 सितम्बर, 2017 05:08 PM
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सेक्स इंसान के जरूरतों में शामिल है. लेकिन इसकी हद से ज्यादा तलब होना एक बिमारी है. किसी भी चीज का लत होना बेहद खतरनाक है, चाहे वो ड्रग्स का हो, खाना का फिर सेक्स का. यह लत आपकी लाइफ को कंट्रोल करने लगता है. ना चाहते हुए भी आपके सारे फैसलों इससे प्रभावित होने लगते हैं. हमारे देश में सेक्स एजुकेशन की बेहद कमी है. इसलिए सेक्स एडिक्ट जैसी बिमारीयों के बारे में कोई बात नहीं करता. सेक्स के जुड़ी बाते करना भी समाज को अस्वीकार है. हाल ही में एक डॉक्टर ने दावा किया है कि गुरमीत राम रहीम भी सेक्स एडिक्टेड है. रेप की सजा काट रहे राम रहीम की जेल में हालत खराब हो रही है. वह काफी चिड़चिड़ा और असहज महसूस करने लगा है. जिसके बाद डॉक्टर ने अपनी पहचान गुप्त रखने के शर्त पर यह खुलासा किया. एक समय में राम रहीम खुद को नपुंसक साबित करने पर लगा था. लेकिन उनकी जांच कर रहे डॉक्टर अब उन्हें सेक्स एडिक्ट घोषित कर सकते हैं.

राम रहीम, सेक्स, सेक्स एडिक्टगुरमीत राम रहीमयह व्यक्ति है सेक्स एडिक्ट

अमेरिकी साइकोलॉजिस्ट पेट्रिक कार्न्स ने सेक्स एडिक्शन नाम के टर्म का ईजाद किया है. वे बताते हैं कि अगर कोई शख्स हफ्ते में 14 घंटे या उससे ज्यादा का समय सेक्शुअल या हाफ-सेक्शुअल गतिविधियों में बिता रहा है, तो उसे इसकी लत लग चुकी है. और वह सेक्स एडिक्शन का शिकार हो चुका है. पहले  स्त्रियों के लिए इस बिमारी का नाम 'निम्फ़ोमानिया' था. वहीं पुरूषों को 'कामार्ति' का शिकार बताया जाता था.

पॉर्न साइट्स पर ज्यादा समय बिताना या फिर सड़कों पर प्रॉस्टिट्यूट्स की तलाश में भटकना, इस तरह की सेक्शुअल गतिविधियां दोहराना सेक्स एडिक्ट होने के लक्षण हो सकते हैं. यह लत इस हद तक होती है कि ना चाहते हुए भी उसे पाने के लिए इंसान कोई ना कोई जरिया निकाल ही लेता है. मनोवैज्ञानिक डॉ. समीर पारिख ने बताया कि तलब के हिसाब से जब किसी इंसान को सेक्स नहीं मिलता है तो इंसान चिड़चिड़ा, गुसौल और असहज महसूस करने लगता है.

डॉ. पारिख की माने तो एक कपल के बीच रोजाना सेक्स होना एडिक्शन नहीं है. अगर कोई इंसान के सेक्स के सोच में डुबा रहे. यानी की दूसरे काम करते वक्त भी सेक्स के बारे में सोचता रहे, तो निश्चित तौर पर यह सेक्स एडिक्ट है.

यह है इलाज

सेक्स एडिक्शन के इलाज के लिए सबसे जरूरी सेक्स की लत पाल चुके व्यक्ति की इच्छाशक्ति है. अगर वो इसे छोड़ने को लेकर दृद्ध नहीं हैं तो जबरदस्ती उससे कोई इस बिमारी से निजात नहीं दिला सकता है. वैसे आवेग नियंत्रण के कुछ दवाए हैं, लेकिन काउंसलिंग से ही इसका इलाज संभव है. बेंगलुरु के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (NIMHANS) का डी-एडिक्शन सेंटर्स इस बीमारी से लड़ने में आपकी मदद कर सकता है. वहीं 2014 में दिल्ली में शुरू किए गए “सेक्स एडिक्ट्स एनॉनिमस” की मदद भी ले सकते हैं.

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