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Updated: 16 जुलाई, 2015 07:02 PM
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अगर हम सबसे कहा जाए कि एक दिन के भीतर धान और गेंहू सब खत्म हो जाएंगे तो कैसा लगेगा? निश्चित ही हमें भूखों मरने की चिंता सताने लगेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि हम सब इस पर निर्भर हैं, धान और गेंहू के अस्तित्व से हम पर फर्क पड़ता है. लेकिन क्या कभी सोचा है उनके बारे में, जिनका अस्तित्व हम खुद ही मिटा रहे हैं? सफेद गैंडा आज हमारे कारण विलुप्त होने के कगार पर है. पूरी दुनिया में आज सिर्फ एक ही सफेद नर गैंडा बचा है - केन्या के ओल पेजेटा कंजरवेंसी में, 24 घंटों सुरक्षाकर्मियों की नजर में ताकि कम से कम यह शिकारियों के हाथों न मारा जाए.

सूडान. यही नाम है दुनिया के आखिरी सफेद नर गैंडे का. इसका जन्म सूडान में हुआ था और उसी पर इसका नामकरण कर दिया गया. जब यह मात्र एक साल का था तो इसे चेक गणराज्य के वुर क्रालोव जू में लाया गया था. 2009 के दिसंबर में इसे केन्या के ओल पेजेटा कंजरवेंसी लाया गया. कारण था सफेद गैंडे की प्रजाति को बचाए रखना. सूडान और एक अन्य सफेद नर गैंडे को यहां दो मादा सफेद गैंडों के साथ रखा गया ताकि प्रजनन हो सके और इस प्रजाति को विलुप्त होने से बचाया जा सके. अफसोस कि सूडान से उम्र में छोटा एक अन्य सफेद नर गैंडा मर गया. सूडान अकेला बच गया. प्रजनन और अपनी जाति को विलुप्त होने से बचाने की जिम्मेदारी अब अकेले इसी पर है.

नर और मादा सफेद गैंडे एक ही साथ रह रहे हैं तो दिक्कत क्या है, प्रजनन तो हो ही जाएगा! लेकिन मामला यहीं पर गंभीर हो जाता है. दरअसल सूडान 42 साल का हो चुका है. उसका स्पर्म काउंट घट गया है और उसके पिछले पैर भी कमजोर हो गए हैं. ऐसे में वह किसी सफेद मादा गैंडे के साथ यौन संबंध बना पाए, इसकी संभावना बहुत ही कम है. ओल पेजेटा कंजरवेंसी के चीफ एग्जिक्यूटिव रिचर्ड विने अफसोस जताते हुए कहते हैं, 'इसकी संभावना ज्यादा है कि सुडान के साथ ही सफेद गैंडे की प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने का प्रयास खत्म हो जाएगा. कृत्रिम तरीके से जब कभी गैंडे को जन्म देने की तकनीक विकसित होगी तब शायद हमारे बच्चे फिर से इन्हें देख पाएंगे. इसके लिए हम पर्याप्त मात्रा में इनके डीएनए जमा कर चुके हैं.'

1960 तक 2000 से ज्यादा सफेद गैंडे इस दुनिया में पाए जाते थे. लेकिन इनकी विशिष्टता ही इनका काल बनी. गैंडे का सींग ब्लैक मार्केट में कोकेन से भी ज्यादा महंगा बिकता है. इस तथ्य को जानते हुए भी विभिन्न देशों की सरकारें सोती रहीं और शिकारी इनका शिकार करते रहे. आज नौबत इनके विलुप्त होने तक आ गई है.  

आज हम जुरासिक पार्क जैसी फिल्में देखते हैं और डायनासोर को देख कर रोमांचित होते हैं. पर किसो को दोष नहीं देते. कारण कि उनके विलुप्त होने के पीछे प्रकृति का हाथ था. अफसोस कल को हमारे बच्चे ऐसे ही किसी नाम की फिल्में देख रहे होंगे और गैंडे को देख कर रोमांचित तो होंगे पर हमें गरियाएंगे. वो गरियाएंगे क्योंकि हमने उनसे एक सींग और मोटी चमड़ी वाले विशालकाय जानवर को रियल में देखने का अधिकार छीन लिया और रील में देखने पर मजबूर कर दिया.

ईश्वर न करे, वरना ये अंतिम झलक होगी इस सफेद नर गैंडे की-

लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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