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Updated: 26 जुलाई, 2016 07:53 PM
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महाराष्ट्र के एक प्रतगिशील शहर बारामती में एक पति द्वारा बार-बार पत्नी का अबॉर्शन करने की यह कहानी देश में भ्रूण लिंग परीक्षण को गैरकानूनी बनाने वाले आदेश पर सवालिया निशान लगाती है. इस घटना को देखकर यही लगता है कि देश में बेटी के प्रति अपना नजरिया बदलना तो दूर आज कन्या भ्रूण को जन्म लेने से रोकने के लिए जरूरी सभी संसाधन मौजूद हैं.

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बारामती में एक नगरसेवक महेंद्र लोणकर पर आरोप है कि उसने बीते एक साल में अपनी पत्नी का तीन बार अबॉर्शन महज इसलिए करा दिया कि उसे बेटी नहीं वंश चलाने के लिए बेटे की दरकार थी. अबॉर्शन कराने के लिए नगरसेवक पहले अपनी पत्नी का जबरन सोनोग्राफी टेस्ट कराता. टेस्ट में कन्या लिंग कन्फर्म होने पर वह डाक्टरों की सलाह पर पत्नी को दूध में मिलाकर गर्भपात की दवाई पिलाता और फिर आंख पर पट्टी बांधकर जबरन उसे नर्सिंग होम ले जाकर अबॉर्शन करा देता. पीड़ित महिला प्रियंका की शादी 2010 में हुई थी. जिसके बाद 2012 में उसने एक बेटी को जन्म दिया. अगले दो-तीन साल सबकुछ ठीक चला लेकिन 2015 में जब प्रियंका एक बार फिर से प्रग्नेंट हुई तो उसके पति और सास-ससुर ने मिलकर उसका जबरन सोनोग्राफी टेस्ट कराया. उसकी कोख में कन्या भ्रूण की रिपोर्ट मिलने पर परिवार वालों ने जबरन उसका अबॉर्शन करा दिया.

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पीड़ित महिला प्रियंका

प्रियंका का आरोप है कि बीते साल एक बार और उसके परिवार ने जोर-जबरदस्ती कर उसका अबॉर्शन कराया था. अबॉर्शन के खिलाफ वह अगर आवाज उठाती तो उसके पति समेत सास-ससुर उसकी जमकर पिटाई करते और उसका गर्भ गिराने के लिए जबरन उसे दवा पिलाते.

ताजा मामला अब से कुछ दिनों पहले का है जब प्रिंयका के पेट में पांच महीने का गर्भ था और उसके परिवार ने एक बार फिर जबरदस्ती करते हुए उसका अबॉर्शन करा दिया. लेकिन इस बार प्रियंका ने किसी तरह अपने पति और ससुराल के खिलाफ मामला दर्ज कराने का कदम उठाया है. दरअसल तीसरी बार उसका अबॉर्शन कराने के बाद पती ने प्रियंका को उसके मायके छोड़ दिया, जहां एक समाजसेवी संस्था की मदद से उसने पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है.

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हालांकि एफआईआर दर्ज कराने के बाद भी पुलिस तुरंत हरकत में नहीं आई. पहली एफआईआर में प्रियंका के आरोप के बावजूद उसके पति और ससुराल वालों के खिलाफ प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण का मामला नहीं दर्ज किया गया. इसके अलावा पुलिस ने अबॉर्शन कराने के आरोपी डॉक्टर और क्लीनिक के खिलाफ भी कोई मामला नहीं दर्ज किया.

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नगरसेवक महेंद्र लोणकर

लेकिन इस अधूरी एफआईआर का मामला जब समाजसेवी संस्था ने पुलिस के आला अधिकारियों तक पहुंचाया तो आनन-फानन में पुलिस को डॉक्टर और क्लीनिक समेत महिला के पति और सुसराल वालों पर मुकदमा दर्ज करना पड़ा. फिलहाल पुलिस महिला के पति को गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है और मामले में आरोपी डॉक्टर और महिला के सास-ससुर को खोज रही है.

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अब प्रियंका के मामले को देखकर क्या कोई कहेगा कि इस देश में जन्म से पहले लिंग परीक्षण कराने पर कानूनी प्रतिबंध लगा हुआ है? देश में लिंग परीक्षण कराने के लिए अहम सोनोग्राफी टेस्ट देश में आसानी से कराया जा सकता है. इसके बाद अबॉर्शन कराने के लिए डॉक्टर की सुविधा भी मिलने में कोई दिक्कत नही होती. अबॉर्शन की पूरी प्रक्रिया को जिस आसानी से अंजाम दिया जाता है, उससे जाहिर है कि पति और ससुराल के साथ-साथ डॉक्टर की भी एक फौज कन्या भ्रूण को जन्म देने से रोकने की मानसिकता रखती है. इसीलिए गर्भवती महिला की मर्जी के बगौर इस घिनौने काम को आसानी से अंजाम दिया जाता है.

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