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Updated: 31 जुलाई, 2015 05:44 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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ज्यादा दिन नहीं हुए जब दिल्ली के निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए आरक्षित कोटे पर अमीर घराने के बच्चों को दाखिला देने के रैकेट का पर्दाफाश हुआ था. व्यापम का मामला पहले ही सुर्खियों में है. सीबीएसई तक को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर AIPMT की परीक्षा दोबारा करानी पड़ी. और अब दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए फर्जीवाड़े की बात सामने आई है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के वे टॉप कॉलेज जहां एडमिशन के लिए कट ऑफ लिस्ट 100 फीसदी के करीब जाती है, दाखिले के लिए मारामारी लगी रहती है, धांधली करने वाले वहां भी सेंध लगाने में कामयाब रहे. करोड़ीमल कॉलेज, कमला नेहरू, हिंदू कॉलेज जैसे संस्थानों में इस प्रकार से एडमिशन हुए.

अब जबकि नर्सरी से लेकर कॉलेज की शिक्षा में धांधली हो ही रही है तो नौकरी-देने दिलाने में सच का दामन थामने के लिए सब क्यों परेशान हैं. सब ठीक तो है. व्यापम पर क्य़ो हाय-तौबा. अच्छा भला काम तो हो रहा था. फर्जी तरीके से एडमिशन लेने वाले छात्र होंगे, पैसे देकर नौकरी पाए लोग शिक्षा देंगे और फिर छात्र पैसे देकर नौकरी हासिल करेंगे. कितना स्मूथ प्रॉसेस है. लेन-देन स्मूथ है. तरीका स्मूथ है. कुछ लाख रुपये में अच्छे नंबरों वाली नई मार्क्सशीट तैयार हो जाती है. बोर्ड का ठप्पा लग जाता है और फिर कॉलेज में एडमिशन.

पूरानी कहावत भी है, जिसकी लाठी उसकी भैंस. बहुत सीधी बात है, कहीं कोई कंफ्यूजन भी नहीं. इसे अंजाम देने वालों ने यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश बोर्ड की फर्जी वेबसाइट भी बनाई थी. ताकि जब ऑनलाइन तरीके से छात्रों के मार्कशीट की वेरिफकेशन की जाए, तो भी मामला पाक साफ दिखे. अब इस अच्छी तैयारी की भी तारीफ न की जाए, तो क्या किया जाए? पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को भला क्यों गिरफ्तार कर लिया. हर बात में निगेटिविटी खोजना कोई अच्छी बात है क्या?

धंधा बईमानी का हुआ तो क्या हुआ, इमानदारी तो पूरी रखी थी. यह लोग पिछले तीन सालों में फर्जी मार्कशीट के आधार पर संभवत: 100 से ज्यादा एडमिशन करा चुके हैं. यह आपको आसान काम लगता है? फर्जी एडमिशन के यह आंकड़े और बढ़ सकते हैं. यह तो और उत्साह बढ़ाने वाली बात है. वैसे भी इन दिनों छात्रों पर बढ़ रहे पढ़ाई के बोझ को कम करने की बात हो रही है. मुझे तो ऐसी ही पहल और ऐसे ही लोगों से कुछ सार्थक नतीजे मिलने की उम्मीद दिख रही है. वैसे, फर्जी एडमिशन की खबर ने मेरा भी पूराना जख्म कुरेद दिया. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने का मेरा भी सपना था. देश भर के कई छात्रों का होता है. 12वीं में नंबर कम थे. इस ऑफर का पता होता तो क्या पता मेरी भी तकदीर चमक जाती. दिल्ली का चक्कर काटने के बाद हार कर रांची लौटना पड़ा जहां के कॉलेज ने 60 परसेंट वाले छात्रों पर भी रहम दिखाई.

कुछ लोग कह रहे हैं कि शिक्षा संस्थानों के बारे में ऐसी खबरें सामने आना डराने वाला मामला है. शिक्षण संस्थान किसी भी समाज का आधार होते हैं. वहां से लगातार ऐसी खबरें शर्मनाक हैं. दलील यह भी, जब बेहद नीचले स्तर पर ही हम भ्रष्टाचार रोकने में कामयाब नहीं हो रहे तो भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना कैसे पूरा होगा. अरे! हम सब तो शेर दिल लोग हैं. डरता कौन है. जहां तक भ्रष्टाचार की बात है, तो हर मामले की जांच तो यहां जारी रहती ही है. नतीजा भले न मिले. कार्यवाई भले नहीं हो. लेकिन बस, एक चिंता हो रही है. यह आंकड़ा बढ़ता रहा तो लालटेन की रोशनी में शिक्षा हासिल करने वालों के लिए धांधली कौन करेगा.

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लेखक

विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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