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Updated: 13 जून, 2020 02:07 PM
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दिल्ली में कोरोना संक्रमण का भयावह रूप देखने को मिल रहा है (Delhi Coronavirus Community Transmission). हर रोज हजारों लोग संक्रमित हो रहे हैं, सैकड़ों की जानें जा रही हैं. अस्पताल में बेड और इलाज की कमी से मर रहे लोग सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगा रहे हैं. कोरोना टेस्ट न हो पाने की मजबूरी में लोग अस्पताल दर अस्पताल भटक रहे हैं. 6 दिल से बेड की तलाश में कई अस्पताल भटकने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की मौत हो जा रही है. लोग अपने सगे संबंधियों की लाश के पास वीडियो बनाकर दुनिया को दिखा रहे हैं कि काश उन्हें समय पर इलाज मिल जाता तो वह उनके साथ हंस-बोल रहे होते. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो हर दिन पोस्ट हो रहे हैं, जिन्हे देखने के बाद कोरोना की भयावहता का अंदाजा हो सकता है. यह हाल की देश की राजधानी दिल्ली का. डेढ़ करोड़ आबादी वाले इस केंद्रशासित प्रदेश से लाखों लोग बेरोजगार होकर पलायन कर चुके हैं और सैकड़ों लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. हजारों लोग कोरोना के भय से तिल-तिल मरने को मजबूर हैं.

पब्लिक अनलॉक फेज 1 में कोरोना को भूल सड़कों पर उतर आई है. शादियां शुरू हो गई हैं और उनमें 50 की जगह 200 की भीड़ दिखने लगी है. मॉल और मंदिरों में पहले जैसा माहौल हो गया है. सैकड़ों की संख्या में लोग भगवान के पास कोरोना से जिंदगी बचाने की मन्नत मांगने जा रहे हैं या कोरोना फैलाने की, यह समझ नहीं आ रहा है. अगर यही हालात रहे तो वाकई दिल्ली को फिर से लॉक कर लोगों को घरों में रहने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा, क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो सड़कों पर लाशें दिखने लगेंगी और उन्हें जलाने के लिए जगह कम पड़ जाएंगे. हालांकि खबर ये भी आ रही है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दोबोरा लॉकडाउन करने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है.

ये पब्लिक है, ये कब मानती है पब्लिक है!

गुरुवार को एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट का रुख कर दिल्ली में फिर से पूर्ण लॉकडाउन लगाने से जुड़ी याचिका दाखिल की, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो घरों में रह रहे हैं, वे लोग भी कितने डरे हुए हैं, लेकिन उनलोगों को बात समझ नहीं आ रही, जो कोरोना को हल्के में लेते हुए बाहर तफरी मारने, शॉपिंग करने या किसी गैरजरूरी कामों के लिए निकल रहे हैं. भई, आपकी जिंदगी है तो आपको ही खयाल रखना पड़ेगा, लेकिन कोरोना संकट ऐसा है कि सिर्फ आपके खयाल रखने मात्र से समस्या का समाधान नहीं होगा, आपको दूसरों को भी समझाना-बताना होगा कि घर में रहें, सुरक्षित रहें.

दिल्ली में कोरोना संक्रमण से हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं और आलम ये है कि यहां फिर से दौड़ती-भागती जिंदगी के पांवों को रोकने यानी पूरी तरह लॉकडाउन करने के सिवाय और कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है. विकल्प आएगा भी कहां से, जब लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 4 बार लॉकडाउन करने के बाद बर्बाद हो चुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लागे वास्ते देश को अनलॉक करना शुरू किया. दुकानें खुलने लगीं, यातायात के साधन बहाल कर दिए गए और जनजीवन सामान्य करने को कोशिशें हुईं. लेकिन इसके साथ ही सख्त चेतावनी भी दी गई कि लोग बेवजह अपनी जान जोखिम में न डालें और अति आवश्यक कार्य के लिए ही बाहर जाएं. सरकार की इस कोशिश का मकसद था कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के साथ ही लोगों की जिंदगी को फिर से पटरी पर लाना. पर देश की जनता को क्या परवाह.

अगर नहीं सुधरे तो दिलवालों की दिल्ली रोएगी

अनलॉक 1 फेज शुरू होते ही लोग सड़कों पर आ गए. सड़कों पर गाड़ियों कीं संख्या बढ़ीं, बाजार में लोगों की भीड़ बढ़ीं और लोग भूल गए कि वह कोरोना काल में जी रहे हैं, जहां लापरवाही से न सिर्फ उनकी फैमिली, बल्कि आसपास के समुदाय को भी गंभीर खतरा हो सकता है. अनलॉक 1 में वही हुआ. कोरोना ने पैर फैलाना शुरू कर दिया और पूरी दिल्ली को अपनी गिरफ्त में कर लिया, जहां हर गली-मोहल्ले से कोरोना संक्रमण की खबरें आने लगीं. आज की तारीख में दिल्ली में करीब 35,000 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और 1100 से ज्यादा जानें जा चुकी है. लेकिन यह तो कुछ नहीं है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मानें तो आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना विस्फोट देखने को मिलेगा और जनता का यही रवैया रहा तो जुलाई तक दिल्ली में सिर्फ 5 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ जाएंगे.

जुलाई तक दिल्ली में ही सिर्फ 5.5 लाख कोरोना संक्रमित!

मनीष सिसोदिया की मानें तो 15 जून तक दिल्ली में 44,000 कोरोना मरीज हो जाएंगे, जिनमें गंभीर स्थिति वाले मरीजों के लिए 6,600 बेड की जरूरत होगी. वहीं 30 जून तक यह ग्राफ एक लाख पार कर जाएगा, जिनके लिए 15,000 बेड की आवश्यकता होगी. 15 जुलाई तक 2.5 लाख और 31 जुलाई तक दिल्ली में 5.5 लाख कोरोना मरीजों की संख्या होने की आशंकाओं के बीच दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नींद उड़ी हुई है. दिल्ली में कोरोना से बिगड़ते हालात के मद्देनजर बीते गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और परिस्थितियों से अवगत कराया. साथ ही उन्हें दिल्ली के अस्पतालों की स्थिति भी बताई. बाद में केजरीवाल ने ट्वीट किया कि गृह मंत्री ने उन्हें हरसंभव मदद का वादा किया है. सरकारी कोशिश, मदद, अस्पतालों में बेड की कमी, सड़कों, स्ट्रेचरों पर मर रहे लोग, अस्पतालों के गेट पर बढ़ रही लाशों की संख्या... यह फिलहाल दिल्ली की हकीकत है, जो कि आप सब भी सोशल मीडिया पर वीडियोज के माध्यम से देख रहे होंगे.

कोरोना पर राजनीति भी कम नहीं

अब जरा बात कर लें दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में मची हलचल की. दिल्ली में इन दिनों कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ ही सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है. सीएम केजरीवाल बाहरी लोगों के इलाज के वास्ते दिल्ली आने पर ऐतराज जता रहे हैं. केंद्र और एलजी अनिल बैजल को तरह-तरह से कोस रहे हैं. दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. लेकिन इसका कुछ लाभ नहीं हो रहा है, क्योंकि इन लोगों की सारी ऊर्जा तो बहस में व्यर्थ हो रही है और ऐसे में लोग सोशल मीडिया पर इनकी मौज ले रहे हैं. बीच-बीच में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी करने के लिए फिर से लॉकडाउन लागू करने की चर्चा भी हो रही है. साथ ही ये खबरें भी आ रही हैं कि घरेलू विमानों के परिचालन पर फिर से रोक लगाई जा सकती है. लेकिन विपक्षी पार्टी नेता राहुल गांधी बार-बार यह दोहरा रहे हैं कि लॉकडाउन लागू करना समाधान नहीं है. उनका कहना है कि लोगों को जागरूक करने की जरूरत है, न कि जिंदगी की रफ्तार धीमी करने की. लेकिन ये पब्लिक है भई, कब किसी की मानी है और कब मानेगी.

भारत को अमेरिका बनने से रोक लीजिए!

आपको बता दूं कि भारत में कोरोना वायरस पीड़ितों का आंकड़ा 3 लाख पहुंचने को है और इससे करीब 8400 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. भारत कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में चौथे पायदान पर पहुंच गया है. भारत में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है, जहां हर दिन हजारों लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं. सिर्फ महाराष्ट्र में एक लाख से ज्यादा कोरोना मामले आ चुके हैं और करीब 4000 लोगों की मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र के सीएम ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि लोग सुधर नहीं रहे हैं, ऐसे में लॉकडाउन फिर से लागू करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है. चाहे दिल्ली हो या मुंबई, पढ़े-लिखे लोग जब कोरोना संक्रमण के खतरे को इग्नोर करते हुए सड़कों पर निकल आते हैं तो आलम यही होता है. कोरोना का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन बढ़ता है और लोगों की जानें जाती रहती हैं. हमारी गुजारिश है कि आप घर में रहें और अपनी गैरजरूरी गतिविधियों पर कुछ समय के लिए विराम लगा दें, क्योंकि जान है तो जहान है.

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