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Updated: 26 जनवरी, 2020 05:47 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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कोरोना वायरस (Coronavirus), वो नाम जिसे फिलहाल सुनने भर से ही लोग सिहर जा रहे हैं. ये लाजमी भी है, क्योंकि ये वायरस एकदम नया है और जानलेवा है, जिसका इलाज (Corona virus treatment) तक नहीं है. चीन के वुहान शहर से कोरोना वायरस (Corona Virus) फैलना शुरू हुआ और अब भारत में भी इसने दस्तक (Coronavirus disease in India) दे दी है. भारत के अलावा भी अन्य देशों में इसने फैलना शुरू कर दिया है. चीन में इस वायरस की वजह से अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 1975 लोग इससे संक्रमित (Coronavirus Infection) बताए जा रहे हैं. जब इस वायरस पर रिसर्च की गई तो जो बातें सामने आई हैं, वह काफी हैरान कर रही हैं. माना जा रहा है कि यह चमगादड़ से फैला है. इससे पहले सार्स (SARS Virus) वायरस भी चमगादड़ (Fruit Bats) से फैला था और यह भी उसी की तरह है. इस वायरस से पीड़ित व्यक्ति में तेज सिरदर्द, खांसी, गले में खराश, बुखार, छींक आना, अस्थमा बिगड़ना और थकान महसूस होने जैसे लक्षण (Coronavirus symptoms) दिखाई देते हैं, जिसके चलते फेफड़ों में सूजन आ जाती है और निमोनिया की भी शिकायत हो जाती है. वैसे ये कोई पहली बार नहीं है कि किसी जानवर की वजह से कोई बीमारी फैली हो. कभी इबोला, तो कभी स्वाइन फ्लू भी जानवरों की वजह से ही इंसानों में फैले और सैकड़ों जिंदगियां लील गए. चमगादड़ों ने तो बीमारियां फैलाने की हैटट्रिक मारी है. जनवरों से इंसानों में फैली बीमारियों में कुछ तो हमने जानवरों को खाकर खुद मोल लीं, तो कुछ उन जानवरों के संपर्क में आने से हमारे अंदर आईं और वो बीमारियां हमें खा गईं.

Coronavirus disease in India Its symptoms and treatmentचीन में कोरोना वायरस चमगादड़ से फैला है और वहां चमगादड़ का सूप खूब पिया जाता है.

चमगादड़ के सूप से फैला कोरोना वायरस !

वैज्ञानिक मान रहे हैं कि कोरोना वायरस चमगादड़ से फैला है. बता दें कि चीन में चमगादड़ का सूप काफी फेमस है, जिसे वहां के लोग खूब चाव से पीते हैं. इसे चमगादड़ से फैला हुआ इसलिए भी माना जा रहा है कि क्योंकि इससे पहले चीन में 2003 सार्स (SARS) वायरस फैला था और वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की थी को वायरस चमगादड़ से फैला था. कोरोना वायरस भी करीब 70 फीसदी तक उसी वायरस से मिलता-जुलता है. इतना ही नहीं, कोरोना वायरस के प्रोटीन कोड्स उस सांप से मिलते जुलते हैं, जो चमगादड़ों का शिकार करते हैं. तो ये भी आशंका जताई जा रही है कि उस सांप के काटने से चमगादड़ों में वो प्रोटीन कोड पहुंच गया हो, जो अब कोरोना वायरस में दिख रहा है. खैर, इस वायरस पर रिसर्च जारी है और साथ ही चीन में चमगादड़ सूप ना पीने की सलाह दी जा रही है. बल्कि सलाह तो यहां तक दे दी गई है कि जनवरों और सी-फूड से कुछ समय के लिए दूरी बना ली जाए. कई जगह तो आपातकाल जैसी स्थिति हो गई है. हुबेई प्रांत में भी कुछ ऐसा ही नजारा है, जहां से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई बताई जा रही है.

निपाह (Nipah) भी फैला था चमगादड़ से

पिछले साल देश में निपाह वायरस फैला था, जिसका जिम्मेदार भी चमगादड़ ही था. रिसर्च के बाद पता चला था कि वह फ्रूट बैट थे, यानी फल खाने वाले चमगादड़. जब कोई शख्स इन चमगादड़ों का जूठा फल खा लेते थे, तो यह वायरस उनके अंदर चला जाता था. निपाह वायरस का पता सबसे पहले 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में चला था, जिसके बाद उसी गांव के नाम पर इसका नाम निपाह रख दिया गया. वहां सुअर पालने वाले किसान इस वायरस से ग्रसित थे. बता दें कि रिसर्च के बाद चमगादड़ के अलावा सुअर भी इस वायरस को फैलाने के लिए जिम्मेदार पाया गया. 2013 के ICMR रिसर्च पेपर के अनुसार ये वायरस कंबोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका और घाना में मिल चुका है. इनमें से ज्यादातर मामलों में इसके फैलने का कारण चमगादड़ का जूठा फल ही था. इसकी शुरुआत तेज सिरदर्द और फीवर से होती है और ये एक इंसान से दूसरे को फैल सकता है. इससे संक्रमित व्यक्ति का डेथ रेट 74.5 फीसदी होता है.

चमगादड़ ने ही फैलाया था इबोला (Ibola) भी

इबोला वायरस का सबसे पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में 1996 में सामने आया था. इसकी मरीज इबोला नदी के किनारे बसे गांव में था, तभी नदी के नाम पर इस वायरस का नाम इबोला पड़ गया. बता दें कि इबोला नदी कांगो की एक सहायक नदी है. इबोला के मरीजों में 50-80 फीसदी पीड़ितों की मौत हो जाती है. इसमें टाइफाइड, कालरा, बुखार और मांसपेशियों में दर्द होता है. बाल झड़ने लगते हैं. नसों में खून उतर आता है. उल्टी-दस्त, बुखार, सिरदर्द, रक्तस्त्राव, आँखें लाल होना और गले में कफ़ इसके लक्षण हैं. ये भी छुआछूत की बीमारी होती है जो एक शख्स से दूसरे में फैलती है. रिसर्च के बाद पता चला कि ये बीमारी भी चमगादड़ों की वजह से ही फैली थी.

स्वाइन फ्लू को सुअरों ने फैलाया

हाल ही में लखनऊ के एक अस्पताल में स्वाइन फ्लू (Swine Flu) की वजह से एक शख्स की मौत हुई है. ये शख्स गोरखपुर का था, तो माना जा रहा है कि हो सकता है वहां स्वाइन फ्लू ने फिर से दस्तक दे दी हो. बता दें कि स्वाइन फ्लू (H1N1) सुअरों से फैलता है. पहले ये बीमारी सुअरों में ही होती थी, लेकिन फिर वह सुअरों से इंसान के शरीर में फैल गई. ये वायरस भी जनलेवा होता है और छुआछूत की बीमारी जैसे फैलता है. हालांकि, करीब 5 फीसदी मामलों में ही मरीज की मौत होती है. H1N1वायरस के सपंर्क में आने के बाद बुखार, गले में खराश, जुकाम, खांसी, उल्टी, सिर और बदन दर्द, ठंड लगने जैसी शिकायतें होती हैं.

बंदरों से फैला एड्स

एड्स (AIDS) यानी HIV चिंपैंजी से इंसानों में फैला है. माना जाता है कि करीब 100 साल पहले पहली बार ये इंफेक्शन हुआ होगा. ये वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट कर देता है. 2007 के अंत तक करीब 3.3 करोड़ लोग इस वायरस से ग्रसित पाए गए थे. इसके बारे में जागरुकता फैलाने के लिए 1 दिसंबर को World AIDS Day भी मनाया जाता है. एड्स के करीब 62 फीसदी रोगियों को ही समय पर इलाज मिल पाता है. ये छुआछूत की बीमारी तो नहीं है, लेकिन कई वजहों से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. एड्स असुरक्षित यौन संबंध बनाने, किसी मरीज को लगाए इंफेक्शन से, गर्भवती महिला से बच्चे को, पीड़ित का खून किसी स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाने से फैलता है. इसमें बुखार रहता है, थकान महसूस होती है, सूखी खांसी होती है, वजन कम होने लगता है, स्किन, मुंह, आंख, नाक के नीचे धब्बे पड़ने लगते हैं.

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