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Updated: 13 मई, 2021 04:52 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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चाहे संक्रमित मरीजों की संख्या हो. या फिर मौत का ग्राफ. कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप ने देश में आम से लेकर खास लोगों को डरा कर रख दिया है. कोरोना की पहली लहर में जहां मॉर्टेलिटी रेट कम और ठीक होने वालों की संख्या ज्यादा थी तो इस बार मामला ठीक उलट है. क्या युवा क्या बुजुर्ग कोरोना सभी को लील रहा है. कोविड आगे क्या रूप लेगा? बीमारी के संबंध में कौन सी नई जानकारियां हमारे सामने होंगी इसपर देश विदेश के वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट्स शोध कर रहे हैं. कोविड की चुनौतियों को समझने के लिए ऐसा ही एक शोध CSIR यानी कॉउंसिल ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ने किया है. शोध के नतीजे उन लोगों को परेशानी में डाल सकते हैं जिनका ब्लड ग्रुप AB या B है. CSIR ने एक शोध पत्र प्रकाशित किया है जिसमें बताया गया है कि AB और B ब्लड ग्रुप वाले लोग अन्य ब्लड ग्रुप के लोगों की तुलना में Covid 19 के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं. बहुत सीधे शब्दों में कहा जाए तो उन लोगों को कोविड 19 का संक्रमण होने की अधिक संभावना है जिनका ब्लड ग्रुप AB या B में से कोई एक है.

Coronavirus, Covid 19, Disease, Death, Blood, Blood Group. Researchकोविड के मद्देनजर CSIR का शोध कई मायनों में विचलित करता है

शोध में जो बात सबसे ज्यादा हैरत में डालती है. या ये कहें कि सुखद एहसास देती है. वो ये है कि वो लोग जिनका ब्लड ग्रुप 'O' है वो वायरस से सबसे कम प्रभावित होते हैं. यदि ये लोग इस बीमारी की चपेट में आ भी गए तो इनके सही होने की संभावना कहीं ज्यादा है. शोध कह रहा है कि वो लोग जो 'O' ब्लड ग्रुप के थे और बीमारी की चपेट में आए उनमें लक्षण तो दिखाई दिये लेकिन ये लक्षण बेहद मामूली लक्षण थे.

इसके अतिरिक्त, शोध, जो सीएसआईआर द्वारा किए गए एक राष्ट्रव्यापी सेरोपॉजिटिविटी सर्वेक्षण पर आधारित है, इस बात को भी इंगित करती है कि जो लोग मांस का सेवन करते हैं, वे शाकाहारियों की तुलना में कोविड -19 के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. बात इसके कारणों की हो तो शाकाहारी भोजन में उच्च फाइबर सामग्री ज्यादा होती है जो सीधे सीधे इम्युनिटी को प्रभावित करती है और शरीर को मजबूत बनाती है.

वहीं मांसाहारियों के मामले में ऐसा नहीं है शाकाहारियों के मुकाबले उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है. वैज्ञानिकों का तर्क है कि फाइबर युक्त आहार पोस्ट कोविड की जटिलताओं के लिए लाभकारी है. ऐसा इसलिए क्यों कि ये शरीर की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और वो मरीज जिसे कोविड हुआ था उसे आगे संक्रमण कम लगते हैं और उसके बचने की संभावना अधिक रहती है.

बताते चलें कि देश भर में 10 हजार से अधिक लोगों के नमूने के साथ, डेटा का विश्लेषण 140 डॉक्टरों के एक समूह द्वारा किया गया है. सर्वेक्षण में जो बात सबसे ज्यादा हैरान करती है वो ये कि इसमें यह भी पाया गया है कि कोविड 19 के सबसे अधिक संक्रमित AB ब्लड ग्रुप से आते हैं, इसके बाद अगला नम्बर B ब्लड ग्रुप वालों का है. बात अगर O ब्लड ग्रुप वालों की हो तो ओ ब्लड ग्रुप के लोगों में सबसे कम सेरोपॉजिटिविटी देखी गई है.

कोविड से लड़ने के लिए प्रतिरोधक परिणामों को प्रभावित कर सकती है जेनेटिक संरचना.

जैसा कि हम बता चुके हैं कोविड 19 की चुनौतियों को समझने और उससे लड़ने के लिए दुनियाभर के अलावा भारत में भी रोज नए नए शोध जारी हैं. तो कहा ये भी जा रहा है कि यदि व्यक्ति या बहुत सीधे कहें तो रोगी की जेनेटिक संरचना इस बात का निर्धारण करती है कि उसकी रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कैसी है? डॉक्टर्स का मत है कि व्यक्ति सही हो पाएगा या नहीं. वो रोग से लड़ने में सक्षम है या नहीं इन सब बातों का निर्धारण उसकी आनुवंशिक संरचना पर करता है.

डॉक्टर्स मानते हैं कि थैलेसीमिया से पीड़ित लोग मलेरिया से शायद ही कभी प्रभावित होते हैं। इसी तरह, ऐसे कई उदाहरण हैं जब पूरा परिवार कोविड से संक्रमित हो गया, लेकिन परिवार का एक सदस्य अप्रभावित रहा. यह सब आनुवंशिक संरचना के कारण है.

चूंकि बात ब्लड ग्रुप की हुई है डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में एबी और बी समूहों की तुलना में इस वायरस के खिलाफ बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है, हालांकि अभी इस तथ्य में शोध और विस्तृत अध्ययन की गुंजाइश है. हो सकता है ये बात O ब्लड ग्रुप वालों को संतोष दे और उन्हें ये महसूस हो कि बीमारी उनका कुछ नहीं कर पाएगी. तो ऐसा बिल्कुल नहीं है.

चूंकि ओ ब्लड ग्रुप वाले लोग वायरस से पूरी तरह से प्रतिरक्षा नहीं रखते हैं इसलिए इनमें भी जटिलताओं के विकसित होने की प्रबल संभावना है. बहरहाल बात सीएसआईआर द्वारा इस सर्वेक्षण और कोविड 19 की चुनौतियों की हुई है तो बता दें कि कोरोना के मद्देनजर आए रोज़ कुछ न कुछ नई जानकारी हमें पता चल रही है तो किसी भी चीज पर कोई पक्की टिप्पणी नहीं की जा सकती.

बाकी अभी भी ये जांच का ही विषय है कि विभिन्न रक्त समूहों वाले लोगों के संक्रमण दर में अंतर क्यों था, वही O ब्लड ग्रुप जिसे हाल फिलहाल में सुरक्षित समझा जा रहा है, यदि किसी व्यक्ति का ब्लड ग्रुप ओ है तो उसे तसल्ली में नहीं आ जाना चाहिए. AB और B ब्लड ग्रुप की तरह इन्हें भी खतरा है और किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए सावधान होकर जीवन जीने की जरूरत है.

यदि आपका ब्लड ग्रुप AB या B में से कोई एक है तो लाजमी है कि उपरोक्त बातों ने आपको विचलित किया होगा इसलिए हम अपनी तमाम बातों पर विराम लगाते हुए बस इतना ही कहेंगे कि रोज़ वैज्ञानिक नए शोध कर रहे हैं. तकरीबन रोज़ ही नई जानकारियां हमारे सामने आ रही हैं इसलिए कुछ भी अभी फुल एंड फाइनल नहीं है. सावधान रहें. सुरक्षित रहें और जब भी कभी किसी बहुत जरूरी काम से घर से बाहर निकलें तो सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा मास्क जरूर लगाएं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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