New

होम -> समाज

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 09 दिसम्बर, 2017 12:22 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
  • Total Shares

महंगाई की मार ऐसी पड़ी है कि अब प्याज काटने के साथ-साथ प्याज खरीदने में भी आंसू निकलते हैं. टमाटर इतना महंगा हो गया है कि पहले ये सलाद से गायब हुआ और अब सब्जी में भी ढूंढ़ने पर मुश्किल से मिलता है. सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने भी जैसे हाथ खड़े कर दिए हों. मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद RBI ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में महंगाई और बढ़ेगी. तो क्या प्याज-टमाटर आम सब्जी न रहकर 'खास' हो गए हैं? क्या सब्जियों के इतने महंगे होने का मतलब यह है कि किसान के अच्छे दिन आ गए हैं? अगर हां तो यूपी में किसान मेहनत से पैदा की गई आलू की फसल सड़कों पर क्यों फेंक रहे हैं, साल भर पहले किसानों ने कई ट्रक टमाटर सड़क पर क्यों फेंक दिए? इन सभी घटनाओं से सरकार की नाकामी साफ दिखती है.

कोल्ड स्टोरेज, प्याज, टमाटर, आलू, मोदी सरकार

कोल्ड स्टोरेज की कमी है सबसे बड़ी वजह

जब किसान अपनी फसल लेकर बाजार पहुंचता है तो उसकी मेहनत दो कौड़ी में बिकती है. और जब कोई व्यक्ति सब्जी खरीदने के लिए बाजार पहुंचता है, तो उसकी खून-पसीने की कमाई को जैसे लूटा जाता है. नोटबंदी के बाद छत्तीसगढ़ में किसानों को टमाटर की कीमत 50 पैसे प्रति किलो मिल रही थी, जिसके बाद उन्होंने टमाटर सड़क पर फेंक दिए. मेहनत से उगाई फसल की कीमत इतनी कम मिली कि किसानों ने टमाटर उगाने से ही तौबा कर ली. इसका नतीजा यह हुआ है कि आज कम उत्पादन के चलते टमाटर के दाम आसामान छू रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कोल्ड स्टोरेज की कमी. अगर पर्याप्त मात्रा में और सही दाम पर कोल्ड स्टोर की सुविधा किसानों को मिलती तो शायद आज कीमतें इस तरह से नहीं बढ़तीं.

यूपी में किसान सड़कों पर फेंक रहे आलू

नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2014 तक देश में कुल 6,891 कोल्ड स्टोरेज थे, जिनकी कुल क्षमता करीब 3.18 करोड़ मीट्रिक टन की थी. यहां आपको बताते चलें कि मार्च 2014 तक ही कम से कम 3.51 करोड़ मीट्रिक टन की क्षमता की जरूरत थी यानी उसी समय करीब 32.7 लाख मीट्रिक टन की क्षमता की कमी थी. जो स्थिति साल भर पहले टमाटर को लेकर छत्तीसगढ़ के किसानों की थी, अब वैसी ही स्थिति यूपी के किसानों की होने जा रही है. यूपी के फर्रूखाबाद में बहुत से किसान करीब 200 करोड़ का आलू कोल्ड स्टोरेज से निकाल कर सड़कों पर रखने को तैयार हो गए हैं. दरअसल, आलू की कीमत लगातार इतनी कम है, कि किसान को अपनी फसल का सही दाम ही नहीं मिल पा रहा है.

कोल्ड स्टोरेज, प्याज, टमाटर, आलू, मोदी सरकार

बारिश में सड़ गया 340 करोड़ रुपए का प्याज

पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी अपने कई भाषणों में कोल्ड स्टोरेज की कमी होने की बात कही. सरकार ने यह भी माना है कि कोल्ड स्टोर की कमी की वजह से ही हर साल बहुत सारी फसल सड़ जाती है. लेकिन बावजूद इसके सत्ता में आने के बाद से अभी तक मोदी सरकार ने कितने कोल्ड स्टोरेज खोले हैं, इसके बारे में कुछ नहीं बताया है. जुलाई में एक रिपोर्ट आई थी, जिसके अनुसार मध्य प्रदेश के भोपाल में किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया करीब 7.6 लाख कुंटल प्याज सड़ गया. सही रख-रखाव न होने की वजह से ऐसा हुआ. बुधवार को प्याज की कीमत 45-50 रुपए प्रति किलो हो गई यानी जितना प्याज जुलाई में बर्बाद हुआ आज के हिसाब से उसकी कीमत करीब 340 करोड़ रुपए होती. हर साल करीब 5-15% फल और सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं, जिससे करीब 40 हजार करोड़ का नुकसान होता है.

हरसिमरत कौर को तो इस्तीफा ही दे देना चाहिए

मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की प्रमुख हरसिमरत कौर बादल को ये डेटा देखकर इस्तीफा दे देना चाहिए. मोदी सरकार ने जो भी दावे किए थे किसानों की स्थिति बेहतर बनाने के लिए, उनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. क्या सरकार किसानों का टमाटर एक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदकर उसे बाजार में एक सही कीमत पर नहीं बेच सकती है? इससे न सिर्फ किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि महंगाई पर भी लगाम लगाई जा सकेगी. पीएम मोदी आए दिन विदेशों का दौरा करते हैं. विदेशों में किसानों की फसल के लिए भी ग्राहक तैयार किए जा सकते हैं. क्या हमारे देश के आलू से चिप्स बनाकर विदेशों में बेचे नहीं जा सकते हैं? या फिर क्या टमाटर की प्यूरी बनाकर उन्हें प्रिजर्व करके उनकी सप्लाई विदेशों में नहीं हो सकती है? अगर इस ओर सरकार गंभीरता से ध्यान दे तो ही किसान की स्थिति सुधर सकती है. गांवों में सड़कें बनाने, शौचालय बनाने, नोटबंदी के जरिए डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने भर से किसानों की हालत नहीं सुधरने वाली.

ये भी पढ़ें-

कितना सच है कि सरकार हमारा बैंक में जमा पैसा छीनने जा रही है...

आधार से सबसे पहले फ्रॉड क्‍यों लिंक होता है !

लेखक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय