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Updated: 25 दिसम्बर, 2019 02:20 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पिछले कुछ दिनों से देश भर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (CAA Protest) हो रहे हैं. ये प्रदर्शन कई जगहों पर उग्र भी हो चुके हैं, जिसका नतीजा ये हुआ कि हिंसा भड़की, जिसमें कई लोगों को मौत भी हो चुकी है. इसके बाद से ही तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं. कुछ सवाल प्रदर्शनकारियों की ओर इशारा कर रहे हैं, तो कुछ उंगलियां पुलिस पर भी उठ रही हैं. राजनीतिक पार्टियां भी सवालों से घेरे में हैं. प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि पहले पत्थर पुलिस की तरफ से फेंके गए, जबकि पुलिस कह रही है कि प्रदर्शनकारियों ने ही पत्थरबाजी करते हुए हिंसा को अंजाम दिया. वहीं दूसरी ओर भाजपा कह रही है कि विपक्षी पार्टियां (Opposition Parties) माहौल खराब करने के लिए हिंसा भड़का रही हैं, जबकि विपक्ष की ओर से भाजपा (BJP) पर राजनीतिक हित साधने के लिए दंगे भड़काने का आरोप लगाया जा रहा है. ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि क्या कोई ऐसी व्यवस्था हो सकती है, जो इन सब पर नजर रखे? यहां सुप्रीम कोर्ट की बात नहीं हो रही, बल्कि कुछ ऐसा, जिसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी नजरअंदाज ना कर सके. यहां सीसीटीवी एक अहम रोल अदा कर सकता है. सीसीटीवी (CCTV) ऐसी व्यवस्था हो सकती है जो सारे कंफ्यूजन साफ कर देगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट भी नजरअंदाज नहीं कर सकेगा, क्योंकि कैमरा कभी झूठ नहीं बोलता. तभी तो, मंगलौर में हुई हिंसा (Mangaluru Violence) में उपद्रवियों ने जितने हो सके, उतने सीसीटीवी तोड़ दिए. हालांकि, कुछ सीसीटीवी कैमरों की नजर में वह फिर भी आ ही गए.

CAA NRC Protest CCTVसीसीटीवी कैमरे और पुलिस के शोल्डर कैमरे बड़े काम की चीज साबित हो सकते हैं.

कई घटनाएं तो होने से पहले ही रुक जाएंगी

यूं तो सीसीटीवी का इस्तेमाल लोगों पर नजर रखने के लिए होता है, लेकिन बहुत से लोग सीसीटीवी देखकर ही संभल जाते हैं. किसी दुकान में लिखी एक लाइन 'सावधान ! आप कैमरे की नजर में हैं' अधिकतर अपराधियों के दिल में डर पैदा करने के लिए काफी होती है. डर इस बात का कि कहीं पकड़े ना जाएं, क्योंकि भले ही कोई हो ना हो, लेकिन सीसीटीवी कैमरा सब देख रहा है. इसी डर के चलते तो मंगलौर में हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों ने जितने सीसीटीवी कैमरे दिखे, उन्हें तोड़ दिया, ताकि वह पकड़े ना जाएं. अब जरा सोचिए, अगर ये सीसीटीवी कैमरे आसानी से उनकी पहुंच में ना आने वाली जगह पर होते, तो वो इसे कभी तोड़ नहीं पाते और उनकी हर हरकत कैमरे में कैद होती. जैसे हाईवे पर बेहद ऊंचाई पर सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं, जो सब कुछ देखते हैं और उन्हें तोड़ना इतना आसान नहीं होता.

अगर घटना हो भी गई, तो दोषी का पर्दाफाश होगा

सीसीटीवी घटना एक तो घटनाओं को होने से रोकेगी और अगर कोई घटना हो भी गई तो ये साफ हो जाएगा कि दोषी कौन है. घटना को अंजाम देने वाले सीसीटीवी कैमरों में कैद हो जाएंगे. अगर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी लाइव हुई तब तो अनहोनी होने से काफी पहले पुलिस सख्त एक्शन लेकर बवाल बढ़ने से पहले ही स्थिति पर काबू पा सकती है.

विरोध प्रदर्शनों में उपद्रवी पहचानने मिलती है मदद

अगर सीसीटीवी की व्यवस्था पहले से ही होती तो विरोध प्रदर्शनों में उन लोगों की पहचान करना आसान हो जाता, जो उपद्रवी थे. ये उपद्रवी जब हिंसा की तैयारी कर रहे होते, तभी पकड़ में आ जाते. ऐसे में पुलिस को ना तो बेगुनाहों पर लाठीचार्ज करनी पड़ती, ना ही आंसूगैस के गोलों से किसी को नुकसान पहुंचता. यहां तक कि जामिया का बवाल भी नहीं हुआ होता, क्योंकि दोषियों की पहचान तुरंत हो जाती, लेकिन सीसीटीवी ना होने की वजह से स्थिति देखते ही देखते बेकाबू हो गई. जिन भी इलाकों में विरोध प्रदर्शन के बीच हिंसा हुई, वहां आस-पास मौजूद सीसीटीवी कैमरों को खंगालने पर पुलिस को अभी भी कई लोगों के खिलाफ सबूत मिल रहे हैं. सीसीटीवी कैमरों में जिन लोगों को हिंसा भड़काते हुए देखा जा रहा है, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. अगर ये व्यवस्था व्यापक रूप से पूरे देश में हो, तो बेशक वैसी घटनाएं नहीं होंगी, जैसी पिछले दिनों देखने को मिली हैं. इतना ही नहीं, शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए जगह सुनिश्चित कर के उन पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा सकती है, ताकि किसी उपद्रवी की हरकत की सजा किसी बेगुनाह को ना मिले, जो शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहा था.

सूरत से सीख ली जा सकती है

गुजरात के सूरत में 600 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इन कैमरों का इस्तेमाल पुलिस कानून व्यवस्था लागू करने के लिए कर रही है और महानगरपालिका सड़कों को साफ रखने के लिए इन्हें इस्तेमाल कर रही है. सड़कों पर गंदगी फैलाने या थूकने वालों के खिलाफ ई-चालान काटे जा रहे हैं. इस तरह सड़कों को साफ-सुथरा बनाए रखने में मदद मिलेगी. वहीं दूसरी ओर, कहीं पर भी कोई हादसा या दुर्घटना हो जाए या फिर किसी तरह की कोई हिंसा भड़क जाए तो वो सब पुलिसवालों को लाइव दिख रही होती है. ऐसे में पलक झपकते ही पुलिस स्थिति को काबू करने के लिए घटनास्थल पर पहुंच सकती है. यहां तक कि इन कैमरों से ही अपराधियों की पहचान भी हो जाएगी कि किसने हिंसा की या किसनी किसी महिला के साथ छेड़खानी की. वीडियो सबूत के आधार पर उसके खिलाफ मुकदमा भी चलाना आसान होगा और तेजी से इंसाफ मिल सकेगा.

गाड़ियों में भी लगाए जाने चाहिए सीसीटीवी

आए दिन सड़कों पर कई घटनाएं होती हैं, जिनके सबूत ही नहीं मिल पाते. अगर गाड़ियों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा सकें तो सड़क पर होने वाली घटनाओं के भी वीडियो सबूत मिल जाएंगे. जिस तरह पीएम मोदी ने देश से सब्सिडी छोड़ने का आग्रह किया, सफाई का आग्रह किया वैसे ही एक बार अगर वह लोगों से अपनी गाड़ियों में कैमरे लगाने को कह दें, तो आधी जनता तो उनकी बात मान ही लेगी. और अगर लाइसेंस और इंश्योरेंस की तरह ही गाड़ियों में कैमरा लगाए जाने को भी अनिवार्य कर दिया गया तब तो सोने पर सुहागा समझिए. इन कैमरों से ना सिर्फ ट्रैफिक पुलिस को यातायात व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिल सकती है, बल्कि इंश्योरेंस कंपनियों के लिए भी ये कैमरे वीडियो सबूत देने वाले बन जाएंगे. इनकी मदद से लोग इंश्योरेंस कंपनियों को आसानी से ये बता सकेंगे कि दरअसल उनकी गाड़ी का एक्सिडेंट कैसे और कहां हुआ.

पुलिस के लिए अनिवार्य होने चाहिए शोल्डर कैमरे

आपने अक्सर हॉलीवुड फिल्मों में देखा होगा कि पुलिसवालों के कंधों पर कैमरे लगे होते हैं. वहीं पास में एक छोटा सा माइक भी लगा रहता है, जिसे कॉलर माइक कहते हैं. ये कैमरे अगर भारत में भी पुलिसवालों के कंधों पर लगे होंगे तो उन पर भी कोई सवाल नहीं उठेंगे. पिछले दिनों हुई हिंसा की घटनाओं में पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं. अगर इनके कंधों पर कैमरे लगे होते तो सब पता चल जाता कि किसी पुलिसवाले ने अपनी हद पार की है या नहीं. ये कैमरे होते तो उनके सामने से उन पर हमला करने वाले भी इसमें कैद होते, जिसके चलते उन पर कार्रवाई की जा सकती थी. यानी ये कैमरे ना सिर्फ पुलिस को सवालों से बचाते, बल्कि दोषियों को पकड़ने और पुलिस में चल रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में भी मददगार होते. यकीन मानिए, शोल्डर कैमरे वाकई पुलिस को हमारा मित्र बनाने में एक अहम रोल अदा कर सकते हैं.

यानी एक बात तो तय है कि अगर शहरों में सीसीटीवी का जाल बिछा दिया जाए तो वह हर तरीके से कानून व्यवस्था को सुधारने में मददगार होगा. अपराधी पलक झपकते पकड़े जाएंगे, जिससे अपराध में कमी आएगी. ऊपर से सीसीटीवी कैमरों का डर अपराधियों को कुछ करने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर करेगा. सीसीटीवी कैमरे होंगे तो हैदराबाद की दिशा के साथ रेप और हत्या करने जैसी घटनाओं में भी भारी गिरावट आएगी.

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