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Updated: 06 अप्रिल, 2017 06:29 PM
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इंसान जब पैदा होता है तो उसका कोई धर्म, कोई नाम, कोई पहचान नहीं होती. धरती पर आने के बाद सिर्फ एक चीज सभी को पता होती है कि उसका लिंग क्या है- मतलब जो बच्चा पैदा हुआ वो लड़का है या लड़की. इसके अलावा बाकी हर चीज वो जिस घर में पैदा हुआ उससे तय होता है. उसकी जाति, धर्म से लेकर नाम तक घरवाले तय करते हैं और उन्हें लेकर ही हम पूरी जिंदगी बिता देते हैं. मरने के बाद तक ये पहचान हमारे साथ चलती है. हमें दफनाया जाएगा या फिर जलाया जाएगा ये भी हमारा धर्म ही तय करता है.

untitled-9_040617054639.jpgये कैसा प्रश्न!

ऐसे में अगर आपसे पूछा जाए कि शवों को दफनाया जाना सही है या जलाना तो आप क्या कहेंगे? जाहिर है अपने धर्म के हिसाब से हम अपने किसी प्यारे इंसान की अंतिम यात्रा को पूरा करेंगे. लेकिन अगर पर्यावरण के लिहाज से पूछा जाए तो? अब हम सभी के मत भिन्न हो सकते हैं. ऐसा ही एक सवाल सीबीएसई बोर्ड ने 12वीं के बायोलॉजी की परीक्षा में पूछ लिया. इसके बाद से वाद-विवाद का दौर जारी है.

दरअसल माजरा ये है कि सीबीएसई बोर्ड ने बायोलॉजी के पेपर में छात्रों से पर्यावरण से जुड़ा सवाल किया. विज्ञान का छात्र होने के नाते उन्हें बताना था कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए छात्र के हिसाब से शवों को जलाने की प्रक्रिया ज्यादा अच्छी है या फिर दफनाने की? अपने जवाब के पक्ष में उन्हें दो तर्क भी देने थे.

खैर अपनी धार्मिक और व्यक्तिगत प्राथमिकता के आधार पर आपका जो भी जवाब हो, हम शवों को दफनाने और जलाने दोनों के पक्ष-विपक्ष के लिए कुछ फैक्ट आपके सामने रख देते हैं.

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शवों को जलाना बनाम दफनाना-

1- इसमें कोई दो राय नहीं कि शवों को दफनाने के मुकाबले ज्यादा सस्ता होता है. साथ ही ये भी एक कड़वा सच है कि एक शव को जलाने पर 500 मील तक कार चलाने जितनी ऊर्जा की खपत होती है. लेकिन अगर इस तरीके से देखेंगे तो हम खराब दांत में पारा भरवाते हैं. जबकि हम सभी को पता है कि पारा पर्यावरण को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाता है.

2- शवों को जलाने पर पर्यावरण को दफनाने के मुकाबले 5 गुना ज्यादा नुकसान होता है. लेकिन कब्रिस्तान के रख-रखाव में होने वाले खर्चे इस नुकसान को कम ही कर देते हैं. दोनों ही तरीकों के अपने फायदे और नुकसान हैं लेकिन शवों को दफनाने से भूमिगत जलों को भारी नुकसान तो होता ही है साथ ही वो जमीन भी प्रयोग में नहीं आती.

3- लेकिन जब हम रख-रखाव और खर्च बात करते हैं तो बिना शक शवदाह से बेहतर कोई उपाय नहीं है. लेकिन अगर सिर्फ पर्यावरण को होने वाली कसौटी पर तौलते हैं तो फिर दफनाया जाना ही बेहतर विकल्प है.

आखिर में इस मुद्दे पर सबके अपने-अपने तर्क हैं.

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