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Updated: 12 जुलाई, 2015 03:56 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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लगता है व्यापाम घोटाले का शोर अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को भी डरा रहा है. तभी तो उसने छात्रों को डराने का फैसला कर लिया है. ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) के 25 जुलाई को होने वाली परीक्षा के लिए उसने जो ड्रेस कोड तय किए हैं, वह सुन कर मुझे तो खाप पंचायत या तालीबान की याद आ रही है. वे भी ऐसे ही बिना सिर-पैर वाले फैसले सुनाते रहते हैं. लेकिन यहां देश के इतने बड़े शिक्षा बोर्ड में तो सभी विद्वान ही होंगे! या कोई खाप से भी घुस आया है, जिसकी यह कारस्तानी है! शक है मुझे, सीबीआई जांच की मांग करूं क्या?

अब भला कोई लड़की इयररिंग्स या हेयर बैंड ही पहन कर परीक्षा देने जाती है, तो क्या हो जाएगा. पानी की बोतल ले जाने पर भी मनाही है. जूता नहीं, चप्पल पहन कर जाना है. अंगूठी, कंगन, बाली, घड़ी, झुमके यह सब नहीं चलेगा. और तो और हाफ शर्ट पहन कर जाना है! शर्ट भी हल्के रंग की होनी चाहिए. तब तो मेरे जैसा आदमी बन गया डॉक्टर. हाफ शर्ट पहनता ही नहीं. एक भी नहीं है. तो उधारी लो या परीक्षा देने के लिए नया बूशर्ट खरीदो. नया शर्ट पहन कर घर से निकला तो दोस्तो... घरवालों को शक हो जाएगा कि बंदा परीक्षा देने जा रहा है या डेट पर. लेकिन फरमान तो फरमान है, मानना पड़ेगा. बेल्ट लगा कर भी नहीं जा सकते. इसलिए देख लिजिएगा, पैंट ढीली तो नहीं, वर्ना परीक्षा केंद्र पर आपकी इज्जत ढीली पर जाएगी.

यह बातें मैं भले ही व्यंग्य के तौर पर कहा रहा हूं. लेकिन बात गंभीरता से विचार करने की है. कई बेतुके कानून और नियम पहले से ही हम ढो रहे हैं. इसमें कमी करने की बजाए रोज कुछ और नई चीजें हम पर लाद दी जाती हैं. आखिर CBSE को ऐसा बेतुका फैसला लेने की जरूरत क्यों पड़ी. जो लोग परीक्षा से पहले ही प्रश्न पत्र लीक कर लेते हैं, ऊंचे दामों पर स्टूडेंट्स को बेचते हैं, उन्हें ऐसे फैसलों से फर्क पड़ेगा क्या?

परीक्षा में नकल न हो, इसका ध्यान रखना जरूरी है. मोबाइल, कैलकुलेटर, इयर फोन, ब्लूटूथ डिवाइस की बात मुझे भी समझ आती है लेकिन सिरदर्द देने वाले ऐसे फरमान क्यों. मई में जब परीक्षा के समय धांधली और प्रश्नपत्रों के लीक होने की बात सामने आई थी तब तो CBSE परीक्षा रद्द करने के मूड में भी नहीं था. नतीजे आने वाले थे. वह तो भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसने नए सिरे से परीक्षा आयोजित कराने का फरमान दिया. जाहिर है, 25 जुलाई को होने वाली परीक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की नजर होगी.

तो क्या CBSE ने केवल कोर्ट को दिखाने के लिए ऐसे निर्देश जारी किए हैं? फलां चीज पहन कर नहीं आने से... या फलां चीज पहन लेने से क्या बदल जाएगा. परीक्षा के आयोजक अपनी तैयारी इतनी पुख्ता क्यों नहीं करते कि ऐसे फरमानों के बगैर भी साफ-सुथरी परीक्षा आयोजित की जा सके. जब धांधली करने वाले तकनीक का सहारा लेते हैं, तो आपको भी उनसे ऐसे ही निपटना होगा. हर दूसरी चीज को बैन करना कोई निदान नहीं है. ज्यादातर जगहों पर जैमर लगाना, निरीक्षकों की संख्या बढ़ाना, क्या यह सब बेहतर तरीके साबित नहीं हो सकते? 

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लेखक

विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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