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Updated: 08 जून, 2016 11:49 AM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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बात अगर स्कूल ड्रेस की हो, तो अक्सर लड़कियों की ड्रेस को लेकर विवाद होते रहते हैं. यहां तो कई स्कूलों ने स्कर्ट पर बैन लगाकर लड़कियों के लिए शलवार सूट अनिवार्य कर दिया है. जिन स्कूलों में स्कर्ट पहनी जाती हैं, वहां स्कर्ट की ऊंचाई को लेकर स्कूलों के अपने अलग नियम और कायदे हैं, जो कोई नियमों को नहीं मानता उन्हें अक्सर डांट भी खानी पड़ती है. लेकिन अमेरिका के मोन्टेना में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें ड्रेस कोड उल्लंघन करने के लिए हाई स्कील की एक छात्रा को डांट खानी पड़ी, लेकिन डांट के बाद इस मामले ने एक बहस को जन्म दिया, जिसने अब एक आंदोलन की शक्ल इख्तियार कर ली है.

ड्रेस कोड उल्लंघन, क्या सच में ?

हुआ कुछ यूं, कि मोन्टेना के हाईस्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा केटलिन जूविक(Kaitlyn Juvik), रोज की तरह स्कूल आई लेकिन उस दिन उसने कपड़ों के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी. उसने कंधे तक ढलती हुई काले रंग की टी शर्ट पहनी थी जिसपर स्कूल प्रशासन ने उसे बुलाकर, ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के नाम पर फटकार लगाई. उससे कहा गया कि ऐसा करके उसने बाकी लोगों को 'अनकंफर्टेबल'(असहज) महसूस करवाया है. उसे कपड़े कवर करने या फिर ब्रा पहनने के लिए कहा गया.

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ब्रा नहीं पहनने पर केटलिन को फटकारा गया

इसपर केटलिन का कहना है कि स्कूल का उसके अंतर्वस्त्रों पर टिप्पणी करना गलत है. उसने कहा कि- ' मैंने जो टीशर्ट पहनी थी, न तो उसके आर पार देखा जा सकता था, और न ही वो अशिष्ट थी. ये जानने के लिए कि मैंने अंदर कुछ पहना है या नहीं, देखने वाले को बहुत ध्यान से देखना होगा. मैंने ऐसा कुछ नहीं पहना जिससे ड्रेस कोड का उल्लंघन हुआ हो.'

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 ये रहे वो कपड़े जो उस वक्त केटलिन ने पहने थे. उन्होंने फेसबुक पर ये पोस्ट शेयर की, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया

स्कूल के प्रिंसिपल स्टीव थेनिस का कहना है कि 'मुद्दा ये नहीं है कि उसने ब्रा पहनी थी कि नहीं, बल्कि उसके कपड़ों से दूसरों को असहज महसूस हुआ.'

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स्कूल के इस रवैये का विरोध करते हुए केटलिन और स्कूल की कई लड़कियां अगले दिन ब्रा पहनकर नहीं आईं. उनका कहना था कि अगर आपके कपड़ों से कुछ नजर नहीं आ रहा, आप ढंके हुए हैं, तो लड़कियों को ब्रा पहनने की क्या जरूरत है. केटलिन का कहना है कि 'ये मेरा शरीर है. और प्राकृतिक रूप से ये ऐसा ही है, और मुझे ये समझ नहीं आता कि इससे दूसरे कैसे असज हो सकते हैं.'

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विरोध प्रदर्शन करती हुईं स्कूल की छात्राएं

ये विवाद अब एक आंदोलन का रूप ले चुका था, और इसी कड़ी में No Bra No Problem नाम से एक फेसबुक पेज भी बनाया गया, जिसपर सैकड़ों लोगों ने अपना समर्थन जताया. इतना ही नहीं स्कूल के लड़कों ने भी केटलीन का साथ दिया और इस आंदोलन के समर्थन में बहुत से लड़के टीशर्ट के ऊपर ब्रा पहनकर स्कूल आए.

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 स्कूल के छात्र भी केटलिन से सहमत थे, इसीलिए उन्होंने भी इस तरह प्रदर्शन किया

ब्रा पहनने या नहीं पहनने पर बहस क्यों?

स्तन हमारे शरीर का अंग ही तो हैं. और अगर इससे कोई दूसरा असहज होता है, तो वो उसकी दिमागी परेशानी है. महिलाओं को उनके शरीर के कारण ही सेक्सुअलाइज किया जाता है. महिलाओं का शरीर प्राकृतिक रूप से ही ऐसा है. लेकिन चाहे महिला सर से लेकर पांव तक ढकी ही क्यों न हो, फिर भी उसकी फिगर पर लोगों की निगाहें टिकी रहती हैं. इसलिए कपड़े कभी भी सामने वाले को असहज नहीं करते, वो सिर्फ उसकी सोच होती है. (हां कपडे न हों तो असहज होने की बात समझ भी आती है).

लेकिन इस मामले में तो लड़की ने पूरे कपड़े पहने थे फिर भी पुरुष उससे विचलित हो गए, असहज हो गए. वो इतने गौर से उस लड़की के सीने को निहार रहे थे कि उनको ये समझ भी आ गया कि उसने ब्रा पहनी थी या नहीं. तो इस मामले में केटलीन का आंदोलन स्वाभाविक रूप से सही नजर आता है, और सोशल मीडिया पर उन्हें जो प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, उसने इस बात को वजन जरूर दिया है कि महिलाओं को वही कपड़े पहनने चाहिए जिसमें वो कंफर्टेबल रहें, और अगर ब्रा में वो कंफर्टेबल नहीं, तो बेशक ब्रालैस रहें, आखिर वो उनका अपना शरीर है.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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