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Updated: 17 नवम्बर, 2019 06:29 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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एक नाबालिग के साथ रेप होता है, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. न लड़की की चिंता होती है और न रेपिस्ट को ही पकड़ा जाता है. रेप के बाद लड़की प्रेगनेंट हो जाती है तो भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन रेप की वजह से जब बच्चा पैदा हो जाता है तो पूरा समाज परेशान हो जाता है. और परेशानी की वजह वो नन्ही सी जान.

बिहार से एक बेहद असंवेदनशील मामला सामने आया है, जिसने हमारे समाज का घनौना चेहरा सबसे सामने ला दिया है. मुजफ्फरपुर की बात है जहां स्थानीय मस्जिद में कई परिवार खाना भेजते थे. एक परिवार की नाबालिक बच्ची भी मौलाना को खाना देने जाया करती थी. लेकिन एक दिन मौलाना ने उसका बलात्कार किया. और जान से मार देने की धमकी देकर वो अक्सर उससे रेप करता. पीडिता का कहना है कि इसी बीच एक और शख्स को इस बरे में पता चला तो वो भी मदद के नाम पर उसके शरीर के साथ खिलवाड़ करता रहा. दो महीने तक दोनों लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाते रहे.

पीड़िता ने इसकी शिकायत गांव की पंचायत से की तो पंचायत ने रेप के लिए लड़की को ही जिम्मेदार ठहरा दिया. यानी दो लोग लड़की का रेप कर गए तो उन दोनों की कोई गलती नहीं थी, कुसूर लड़की का था. अब जब लड़की प्रेगनेंट हो गई और पंचायत से दोबारा न्याय की गुहार लगाई तो पंचायत ने मौलाना को पाक साफ बता दिया. पंचायत ने कहा कि इस बच्चे से गांव खराब हो रहा है, इसे इस गांव से बाहर होना चाहिए. और लड़की को 20 हजार में बच्चा बेच देने का फरमान दे दिया. बच्चा नहीं बेचा तो परिवार को गांव से बाहर कर देने की धमकी भी दी गई.

bihar rape victimजब रेप नहीं खटका तो बच्चे क्यों खटक रहा है?

परिवारवाले बच्चे को बेचना नहीं चाहते, लेकिन पंचायत के फरमान से परेशान होकर पुलिस के पास पहुंचे. पुलिस में खबर हुई तो रेप करने वाले दोनों शख्स गांव से फरार हो गए. पुलिस कार्रवाई कर रही है.

अब जरा फर्ज कीजिए, अगर बच्ची प्रेगनेंटट न हुई होती तो किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था. हर कोई बच्ची का शोषण कर रहा था, ये सिलसिला आगे भी चलता रहता अगर वो प्रेगनेंट न हुई होती. अब बच्चा आ जाने के बाद वो एक महीने का बालक गांववालों को चुभ रहा है. वो मासूम जिसने अभी ठीक से आंखे तक नहीं खोलीं वो इनके मुताबिक गांव गंदा कर रहा है. जब उस बच्ची के साथ गंदा किया जा रहा था तो इन्हीं लोगों ने आंखे बंद कर ली थीं.

जो समाज रेप पीड़िता को नहीं अपनाता वो बच्चे को कैसे अपनाएगा

हमारे समजा में जहां एक बलात्कार पीड़िता को समाज अपना नहीं पाता, वहां रेप से होने वाले बच्चे के लिए तो ये समाज और भी ज्यादा क्रूर हो जाता है. उस बच्चे को सम्मान भरा जीवन तो मिलता ही नहीं. वो अपनी मां के लिए शर्म और कलंक ही बताया जाता है. क्योंकि वो अपराध के जन्मा होता है इसलिए कभी उसके अस्तित्व को जायज नहीं माना जाता. और इसलिए ऐसे ज्यादातर मामलों में महिलाएं गर्भपात का निर्णय ही लेती हैं. लेकिन एक नाबालिग बच्ची तो ये निर्णय भी नहीं ले सकती. और एक बच्चा उम्र भर उस जुर्म की सजा भुगतता रहता है जो उसने कभी किया ही नहीं था. और इसीलिए इन बच्चों को भी रेप विक्टिम की तरह ही पीड़ित माना जाता है, जो उम्र पर पीड़ा झेलते हैं, जबकि इन्हें भी एक सम्मानजनक जीवन जीने का हक है.

नाबालिग बच्ची के साथ होने वाली इस बेहद शर्मनाक घटना पर गांव की पंचायत का उतना ही असंवेदनशील रवैया ये दिखाता है कि रेप को लेकर समाज कितना संवेदनशील है. सरकार बलात्कारियों पर कोई कड़ा फैसला नहीं लेती न ले, लेकिन कम से कम लोगों को इस तरफ संवेदनशील होने के लिए जागरुक तो कर ही सकती है. प्रयास एक न एक दिन रंग लाते हैं, बशर्ते किए तो जाएं.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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