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Updated: 03 दिसम्बर, 2015 04:03 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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9/11 की घटना के बाद से अपने यहां आतंकवादी हमलों को रोकने में कामयाब रहने के लिए भले ही अमेरिका की तारीफ होती रही हो. लेकिन यह भी सच है कि उसके शहर, उसके सड़क, उसके मॉल, स्कूल-कॉलेज, चर्च इन सब ने पिछले 14-15 वर्षों में कई बार हिंसा झेली है. कब, कौन कहां से आकर अंधाधुंध गोलीबारी करने लगेगा कहा नहीं जा सकता. वैसे, कैलिफोर्निया की घटना में किसी गुट का हाथ है या ये भी बस कुछ 'सनकी' लोगों की कारस्तानी है, अभी कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन इस घटना ने अमेरिका में एक बार फिर 'गन लॉ' को लेकर बहस छेड़ दी है.

कैलिफोर्निया की घटना के बाद बराक ओबामा ने अमेरिका के CBS न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, 'अमेरिका में ऐसी घटनाओं का एक पैटर्न बन चुका है. इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा दुनिया के दूसरे देशों में नहीं होता. हमें 'गन लॉ' में बदलाव करने की जरूरत है.' वैसे ओबामा यह बात पहली बार नहीं कह रहे. अक्टूबर के पहले हफ्ते में ओरेगन के एक स्कूल में हुई ऐसी ही घटना के बाद भी ओबामा ने यही बातें कही थीं

क्यों छिड़ी है 'गन लॉ' पर बहस?

एक आंकड़े के अनुसार अमेरिका में 2012 से अब तक ऐसी छोटी-बड़ी 990 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं. इनमें से करीब 300 तो इसी वर्ष हुए हैं. इसलिए सवाल जायज है कि आखिर साल दर साल इस तरह की घटनाएं क्यों बढ़ती जा रही हैं? क्योंकि 'मास शूटिंग' की घटनाओं के लिहाज से देखें तो खुद को सुरक्षित मानने वाला अमेरिका दूसरे कई देशों से कहीं ज्यादा असुरक्षित नजर आता है.

दरअसल, अमेरिका में बंदूकों की खरीद से जुड़ा कानून बेहद लचीला है. अमेरिकी कानून किसी को भी उसकी पृष्ठभूमि की विस्तृत जांच किए बगैर बंदूक खरीदने की अनुमति देता है. इसलिए राष्ट्रपति बराक ओबामा 'गन लॉ' में बदलाव की बात कर रहे हैं. बराक ओबामा के अनुसार अमेरिका नो-फ्लाई लिस्ट को लेकर तो गंभीर है जिसमें दर्ज लोग देश या उससे बाहर जाने वाली फ्लाइट्स में नहीं चढ़ सकते लेकिन वही लोग अमेरिका में किसी भी दुकान में जाकर बंदूक या कोई दूसरा हथियार आसानी से खरीद सकते हैं. वैसे, कैलिफोर्निया जैसे कुछ राज्यों में हथियारों की खरीद-बिक्री को लेकर जरूर कुछ कड़े नियम हैं. लेकिन इसका ठीक तरीके से पालन नहीं हो पाना भी सवालों के घेरे में है.

कानून बदलने को लेकर अमेरिका की दोनों पार्टियां आमने-सामने

ओबामा की डेमोक्रेटिक पार्टी हथियार रखने संबंधी कानून में बदलाव की समर्थक है जबकि ज्यादातर रिपब्लिकन इसके खिलाफ हैं. इसी साल जुलाई में अमेरिका की Pew Research Centre नाम की एक संस्था ने इस पूरे विषय पर सर्वे किया. इस सर्वें में 70 फीसदी डेमोक्रेट्स ने कानून में बदलाव का समर्थन किया. जबकि रिपब्लिकन पार्टी से ताल्लकु रखने वालों में से केवल 48 फीसदी इसके पक्ष में दिखे. कड़े कानून के साथ-साथ एक राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने की भी बात हो रही है जिसमें बंदूकों की बिक्री से जुड़े तमाम रिकॉर्ड रखे जाएंगे.

इस कानून में बदलाव को लेकर इतना विरोधाभास क्यों है, यह समझ से परे है. जबकि इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. यह तो नहीं कहा जा सकता कि एक कानून बदल जाने से एकाएक ऐसी घटनाएं रूक जाएंगी लेकिन इससे निपटने और इसमें कमी लाने में थोड़ी मदद तो जरूर मिलेगी.

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लेखक

विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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