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Updated: 03 अप्रिल, 2017 07:16 PM
मोहित चतुर्वेदी
मोहित चतुर्वेदी
  @mohitchaturvedi123
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भारत एक ऐसा देश है जहां सबसे बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा वालों का है. यानी लाखों लोग सड़कों पर सो कर और भीख मांगकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं. सरकार उनके लिए बहुत कुछ करने की कोशिश भी करती है. लेकिन क्या आपको पता है. लगभग 20 भारतीय राज्यों और 2 यूनियन टेरेटरी में भीख मांगना ​क्राइम है. जी हां, Nyaaya (एक ऑनलाइन पोर्टल, जो भारतीय राज्य और केन्द्रीय कानून को आसान भाषा में प्रकाशित करती है) ने इस कानून का पूरा विवरण अपनी वेबसाइट पर दिया था. 

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भारतीय संहिता की आपराधिक प्रक्रिया द्वारा भीख मांगने को एक संज्ञेय अपराध माना जाता है. मतलब अगर पुलिस को आशंका ​है कि कोई व्यक्ति भिखारी है, तो वो उसे बिना किसी कोर्ट के ऑर्डर या वारंट के गिरफ़्तार कर सकती है. सरकारी आंकड़ों (2011) की मानें तो भारत में कुल 4 लाख भिखारी हैं. सबसे ज्यादा भिखारी बंगाल, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में हैं. लेकिन सरकार मानती है कि आंकड़ों में फेरबदल हो सकता है. आइए सबसे पहले जानते हैं इस बजट में सरकार ने गरीबों के लिए क्या दिया है...

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गरीबों के लिए सरकार ने क्या किया ऐलान

* वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2017-18 के लिए आम बजट पेश करते हुए घोषणा की कि बेघरों के लिए 2019 तक एक करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

* 2019 तक एक करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर निकाला जाएगा.

* 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में महिला शक्ति केंद्रों के लिए 500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे.

* 50,000 ग्राम पंचायतों को भी गरीबी मुक्त किया जाएगा.

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यानी एक तरफ जहां सरकार गरीबों के लिए तरह-तरह के ऐलान कर रही है वहीं उनके साथ ऐसा व्यव्हार हो रहा है. यहां तक की कई राज्यों ने अपनी पुलिस को ये छूट दी है कि वो किसी भी उस व्यक्ति को गिरफ़्तार कर सकते हैं, जो भिखारी जैसा दिख रहा हो या पुलिस को उस पर शक हो.

ये एक ग़ैरजमानती अपराध है. भारत के कई राज्यो में किसी भी उस व्यक्ति को भिखारी घोषित किया जा सकता है, जो सार्वजनिक स्थान में घूम रहा हो और जिसे देख कर नहीं लगता कि वो अपना जीवन यापन करने योग्य है. कर्नाटक और असम में अगर कोई भगवान के नाम पर पैसा मांग रहा है तो वो भिखारी नहीं है, लेकिन अगर कोई गाना गाकर या नाचकर पैसे मांग रहा है, तो वो गैरकानूनी है.

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हिमाचल प्रदेश में तो ये भी क़ानून है कि जो लोग किसी भिखारी पर निर्भर हैं, उन्हें जेल भी हो सकती है. कहीं 5 साल की और तो कहीं 2 साल की जेल हो सकती है. कुछ लोगों के लिए भीख मांगना बिजनेस जैसा बन गया है, कुछ लोग भिखारी दिखते हैं लेकिन असल में वे पढ़े लिखे होते हैं, उनके लिए ये लॉ ठीक है, लेकिन उन गरीबों का क्या जो सच में गरीब हैं और सड़क किनारे सोने के लिए मजबूर हैं? उनको जेल में डालकर सजा देना कितना ठीक है?

मोदी जी कहते हैं कि हमारी सरकार गरीबों की सरकार है. लेकिन, भारत में ही गरीबों के साथ ये अन्याय कहां तक सही है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में मोदी सरकार गरीबों के लिए सोचती है?

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लेखक

मोहित चतुर्वेदी मोहित चतुर्वेदी @mohitchaturvedi123

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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