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Updated: 07 अक्टूबर, 2018 11:18 AM
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पीएम मोदी के राज में इजराइल और भारत के रिश्ते नए सिरे से लिखे गए हैं और अब राजनैतिक स्तर पर इजराइल को भारत का अच्छा दोस्त समझा जाने लगा है. फेसबुक से लेकर गूगल, हर जगह बात इजरायल की बात गाहे-बगाहे होती ही रहती है. इजरायल की लड़कियां बला की खुबसूरत होती हैं इस बात को सभी जानते हैं. लेकिन ये वो देश भी है जहां पुरुषों और महिलाओं दोनों का ही सेना में सेवा करना जरुरी है. हमारे यहां के 'लड़का और लड़की एक बराबर नहीं होते' का गुणगान करने वाले लोगों के लिए ये एक कड़वी सच्चाई है.

आइए इजरायल के बारे में कुछ अनसुनी बातें थोड़े और विस्तार से आपको बताएं-

60 साल से भी ज्यादा समय से महिलाएं इजरायली सेना का हिस्सा हैं-

Israel, Woman, Armyआंखों से ही कत्ल नहीं करती हैं ये

इजरायल के बनने से पहले ही ये सुनिश्चित कर लिया गया था कि इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) में महिलाओं का प्रतिनिधित्व जरुरी है. देश के नियमों के मुताबिक 18 साल की उम्र तक सभी यहूदी इजरायली नागरिकों को राष्ट्रीय सेवा पूरा करना जरुरी है. चाहे वो कोई भी हो, स्त्री या पुरुष.

जी हाँ ये सच है. सेना में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी लड़ाई के मैदान में होना जरुरी है. यहां तक की नाज़ियों के खिलाफ 1948 में हुई स्वतंत्रता की लड़ाई में महिलाओं ने युद्ध के मैदान में अहम् भूमिका निभाई थी.

सेना के शीर्ष पदों पर पुरुषों का स्वामित्व ही नहीं था-

सेना में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व के अलावा शीर्ष पदों पर भी महिलाओं की नियक्ति आम बात है. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, उनकी सेना की नौकरियों में 92% से ज्यादा नौकरियां महिलाओं के लिए खुली हैं. इसमें फाइटर पायलट, पैदल सेना के अधिकारी, नौसेना के कैप्टेन इत्यादि का पद महिलाओं के लिए खुला है.

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सेना में भले महिलाओं को सम्मान मिलता है लेकिन नागरिक नौकरियों में उनसे भेदभाव किया जाता है

इसराइल में महिला और पुरुषों की मजदूरी का अंतर दुनिया में सबसे ज्यादा है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले औसतन 66% कम पैसे मिलते हैं. यह आंकड़ा चौंका देने वाला है क्योंकि पिछले तीस सालों में इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. और यही काफी नहीं है. एबीसी के अनुसार, भले ही 65% राज्य कामगार महिलाएं ही हैं लेकिन सीनियर मैनेंजमेंट के लेवल पर उनकी उपस्थिति न के बराबर है. असल में 106 सरकारी अधिकारियों में से सिर्फ चार में ही महिला डायरेक्टर हैं. पुरुष प्रबंधकों की तुलना में महिलाओं को औसत मासिक वेतन 73% ही मिलता है.

महिला के गर्भपात के लिए यहां की सरकार भुगतान करती है

जी हां, बिल्कुल सच! हरेत्ज़ के मुताबिक 2014 में, इजरायली कैबिनेट ने फैसला सुनाया कि चाहे कोई परिस्थिति हो सरकार देश की 20 से 33 वर्ष आयु की महिलाओं के लिए कानूनी गर्भपात का भुगतान करेगी. हालांकि देश में गर्भपात समितियां हैं जो गर्भपात का कराना है या नहीं इसका निर्णय करती हैं. लेकिन वे लगभग सभी अर्जियों को मंजूरी दे देते हैं. और अभी ये खत्म नहीं हुआ है. देश में गर्भपात कानून के मुताबिक एक महिला अपनी गर्भावस्था के 40 सप्ताह के अंदर इस प्रक्रिया को पूरी कर सकती है. अगर ये कोई नाबालिग लड़की है तो उसे गर्भपात कराने के लिए अपने माता-पिता की सहमति की जरुरत नहीं है.

इजरायल में गर्भपात करना आसान है तलाक लेना नहीं

इजरायल में अगर कोई महिला यहूदी नहीं है तो भी उसे यहूदी कानून के अनुसार ही तलाक लेना होगा. यहूदियों के तलाक प्रक्रिया एक रूढ़िवादी रब्बी की देखरेख में होती है. इसमें पति एक मुड़ी हुई डिक्री या तलाक का कागज जिसे गेट कहा जाता है को अपनी पत्नी के हाथों में रखता है. लॉस एंजेल्स टाइम्स के मुताबिक तलाक की सुनवाई करने वाला रब्बी उन दस्तावेजों को फाड़ देता है और फिर उसे रिकॉर्ड के लिए रख दिया जाता है. अगर कोई स्त्री या पुरुष तलाक देना नहीं चाहता (खासकर पुरुष) तो रब्बी उसे आदेश देकर तलाक दिला सकता है. लेकिन फिर भी अगर कोई पार्टनर तलाक देने से मना कर देता है तो फिर अदालत को कोई अधिकार नहीं है कि वो इस मसले को सुलझा सके.

क्या आप जानते हैं, इजरायल में अभी भी ऐसी कोई एक जगह नहीं है जहां पुरुष और महिला एक साथ पूजा कर सकते हैं?

Israel, Woman, Armyपूजा करने के लिए भी पर्दा

इज़राइली यहूदी महिलाएं सालों से पूजा के लिए एक ऐसी जगह की मांग कर रही हैं जहां उन्हें परुषों से अलग नहीं किया जाए. लेकिन उनकी ये सारी मेहनत बेकार ही हो गई जब खुद देश ने ही कोई एक स्टैंड नहीं लिया. द टाइम्स ऑफ इजराइल के मुताबिक प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गैर-रूढ़िवादी पुरुषों और महिलाओं के एक साथ पूजा करने के लिए कोई जगह दिलाने से मना कर दिया. इस कदम की दुनिया के अन्य भागों में यहूदियों ने भारी आलोचना की थी.

इजरायल, महिला प्रधानमंत्री पाने वाला दुनिया में चौथा देश था?

महिला प्रधान मंत्री का चुनाव करने वाला इजरायल दुनिया का चौथा देश था. 1969 में गोल्डा मेयर को इजरायल के प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था. ये बात और है कि उनके बाद इस पद पर कोई और औरत नहीं पहुंच पाई हैं. लेकिन फिर 60 के दशक में भी ये एक प्रगतिशील कदम था.

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