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Updated: 28 दिसम्बर, 2018 11:15 AM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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आंध्र प्रदेश के चित्तूर से एक वीडियो वायरल हुआ है. पूरे इंटरनेट पर तहलका मचाता ये वीडियो चित्तूर के चैतन्य भारती स्कूल का है जिसमें कक्षा 3 में पढ़ने वाले कुछ स्टूडेंट्स को सिर्फ इसलिए नंगा कर दिया गया क्योंकि बच्चे स्कूल देरी से पहुंचे थे. वीडियो में साफ दिख रहा है कि टीचर का बच्चों को देरी से स्कूल आना नागवार गुजरा और फिर उसने स्वामी विवेकानंद की तस्वीर के सामने बच्चों के साथ वो कर दिया जिसने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया बल्कि गुरु शिष्य के रिश्ते को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया.

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घटना पर बच्चों के अभिवाहकों ने कड़ा ऐतराज जताया और प्रदर्शन किया. बच्चों के माता पिता का कहना है कि सरकार इस मामले का गंभीरता से संज्ञान ले और स्कूल पर सख्त कार्रवाई की जाए.

मामले के सुर्ख़ियों में आने के बाद प्रशासन भी इसपर गंभीर हुआ है. मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि जांच जारी है और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अधिकारी ने कहा कि 2019-20 के लिए स्कूल की मान्यता भी रद्द की जा सकती है.

यदि इस पूरी घटना का गंभीरता से अवलोकन किया जाए तो मिल रहा है कि जिस जगह ये सब हुआ वहां स्वामी विवेकानंद की एक तस्वीर लगी थी. यानी स्कूल में जिस वक़्त टीचर बच्चों को सजा दे रहा था उसे शायद उन बातों का बिल्कुल भी आभास नहीं था जो स्वामी विवेकानंद ने बच्चों के अलावा एक शिक्षक के विषय में कही थीं.

एक शिक्षक को लेकर स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक गुरु या आचार्य वो है जिसके अन्दर ईश्वरीय शक्तियां समाहित होती हैं और उन्हीं शक्तियों के अंतर्गत वो जनकल्याण करता है. ऐसे कई प्रसंग मिलते हैं जिनमें स्वामी विवेकानंद से जब गुरुओं के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति गुरु नहीं बन सकता है. एक गुरु के लिए ये बहुत जरूरी है कि जहां एक तरफ उसमें त्याग और तपस्या हो साथ ही उसमें धैर्य भी कूट-कूट के भरा हो.

इसके अलावा स्वामी विवेकानंद ने ये भी कहा था कि समय-समय पर एक गुरु को ही अपने शिष्य के पाप के बोझ को उठाना पड़ता है. स्वामी विवेकानंद का मानना ये भी था कि गुरु एक ऐसा नकाब है जिसे धारण कर खुद ईश्वर हमारे पास आते हैं.

ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं कि गुरु हर बार सही हो. ऐसे भी कई मौके आए हैं जब अपने छात्रों के सामने गुरु ने, अपने को अधिक योग्य और उन्हें मूर्ख साबित करने का काम किया है. कैसे कभी -कभी एक गुरु अपने अहम में डूब जाता है और उसे मुंह की खानी पड़ती है इसे स्वामी विवेकानंद ने ही एक उदाहरण में पेश किया है.

स्वामी विवेकानंद ने एक ऐसे गुरु के विषय में बताया जो अपने शिष्यों के समक्ष अपने को अधिक योग्य साबित करना चाहता था और इस उद्देश्य से उसने अपने शिष्यों से सवाल किया कि 'आखिर धरती ऊपर से गिरती क्यों नहीं है?' गुरु शायद अपने शिष्यों को गुरुत्व समझाना चाह रहे हों. बहरहाल गुरु के इस सवाल के बाद सभा में उपस्थित छात्र अपनी बगलें झांकने लग गए. इसी बीच एक बच्ची आई और उसने अपने गुरु से ही सवाल कर लिया कि,'वो गिरेगी कहां?' बच्ची का सवाल भी वैसा ही था जैसा गुरु का सवाल.

ऐसे में चित्तूर में जो हुआ उसे देखकर बस यही कहा जा सकता है कि टीचर ने स्वामी विवेकानंद की तस्वीर को देखा तो जरूर मगर न तो उसे उनके विचारों से मतलब था और न ही उनकी दी हुई शिक्षा का कोई असर उसपर हुआ. हो सकता है कि मासूम बच्चों को सजा देते वक्त टीचर ने ये सोचा हो कि वो खुदा है और उसे नियमों को ताक पर रखकर हर चीज करने की खुली छूट है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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