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Updated: 07 अप्रिल, 2016 07:36 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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अफगानिस्तान का हेलमांड प्रांत इन दिनों बेहद व्यस्त है. प्रांत की सरकार, तालिबान लड़ाके और क्षेत्रीय ग्रामीण साल की सबसे महत्वपूर्ण फसल की कटाई देख रहे हैं. अफगानिस्तान में दुनिया का 90 फीसदी हेराइन उत्पादन होता है और इसका दो-तिहाई हिस्सा अकेले हेलमांड प्रांत से आता है. इस प्रांत में इस एक फसल के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां हेरोइन को चौथी बीबी का दर्जा मिला हुआ है. यह इसलिए नहीं कि शरियत के मुताबिक यहां वाकई लोग हेरोइन से शादी करते हैं. बल्कि इसलिए कि उम्र के जिस पड़ाव पर चौथी शादी की जाती है वहां मेहर अदा करने के लिए बड़ी रकम का इंतजाम इसी फसल की कमाई से होता है.

पश्चिमी मीडिया में छप रही खबरों के मुताबिक हेलमांड प्रांत में बीते कुछ महीनों में अफगानिस्तान सरकार की पकड़ कमजोर हुई है. तालिबान एक बार फिर प्रांत के अधिकांश इलाकों पर काबिज है. लिहाजा, इलाके में खड़ी फसल पर बीते साल की तरह कोई खतरा नहीं मंडरा रहा है. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की देखरेख और पश्चिमी देशों की सेना के निर्देश पर बीते साल अफगानिस्तान सरकार ने बड़ी संख्या में खड़ी फसल को तबाह करने के लिए तालिबानी लड़ाकों को खदेड़ दिया था. इसके चलते जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में हेरोइन की सप्लाई प्रभावित हुई थी वहीं खुद अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों समेत कई वृद्ध कबीले वालों को नई शादी करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. लिहाजा इस साल हेलमांड प्रांत में अच्छी फसल के साथ अच्छी कमाई की उम्मीद जताई जा रही है. इसके लिए इलाके में तालिबानी लड़ाके मजबूत हैं और बेलगाम भ्रष्टाचार से सूबे की सरकार कमजोर बनी हुई है.

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अफगान महिला

हेलमांड पूरे अफगानिस्तान का सबसे खतरनाक प्रांत भी है. बीते साल सेना और तालिबान लड़ाकों के संघर्ष में आधे से ज्यादा मौत इसी इलाके में हुई है. इस प्रांत में राष्ट्रपति अशरफ घानी के प्रतिनिधि मेजर जनरल अब्दुल जब्बार कहरमन का मानना है कि यहां सबसे बड़ी चुनौती यही है कि किस तरह तालिबान को हेरोइन के कारोबार से अगल किया जाए. कहरमन के मुताबिक ज्यादातर तालिबानी लड़ाकों का प्रांत में हो रही हेरोइन की खेती में हिस्सा रहता है. और इसीलिए यहां से न तो तालिबानी खत्म किए जा पा रहे हैं और न ही इस नशीले पदार्थ की खेती को राकने में सरकार सफल हो रही है.

गौरतलब है कि इस्लाम में चार शादी करने की इजाजत है. चौथी शादी में मिया और बीबी के बीच कई दशकों का अंतर रहता है. इसी अंतर के चलते लड़कियों के घरवाले एक बड़ी रकम की उम्मीद पर शादी के लिए राजी होते हैं. देश में आमदनी का कोई और जरिया नहीं होने के कारण ज्यादातर परिवारों को पैसे के लिए हेरोइन से होने वाली कमाई का ही सहारा रहता है. हेरोइन के इस काले कारोबार से अगर किसी को चौथी पत्नी मिल रही है तो कई परिवारों की जिंदगी संवर रही है. उदाहरण के लिए मेजर जनरल अब्दुल जब्बार कहरमन ने एक मीडिया रिपोर्ट के लिए खुलासा किया कि कैसे हाल ही में हेलमांड प्रांत के तालिबान कमांडर मुल्लाह मनन ने एक गरीब आदमी को बड़ी रकम देकर कम उम्र की लड़की से अपनी चौथी शादी की थी. इसके साथ ही अफगान नेशनल पुलिस के कमांडर हाजी मरजान हकमल ने 30 लाख अफगानी मुद्रा देकर एक कम उम्र की लड़की से शादी की जबकि उसकी तीन साल की सैलरी भी इतनी बड़ी रकम नहीं बनती.

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हेरोइन की खेती

लिहाजा, इतना साफ है कि अफगानिस्तान में ड्रग्स का यह काला कारोबार एक खतरनाक षडयंत्र की तरह काम कर रहा है. हेरोइन की खेती वाले इलाकों पर जिसका वर्चस्व है वह देश में कमाई के स्रोत पर बैठा है. हेरोइन की खेती पर तालिबान टैक्स लगाता है, कुछ सरकारी अधिकारी टैक्स लगाते हैं या फिर दूसरी तरफ देखने के लिए तालिबानियों से बड़ी रकम बतौर घूस ऐंठ लेते हैं. इन सब के बीच अगर हेरोइन को अफगानिस्तान के इन इलाकों में चौथी बीबी का दर्जा मिला है तो क्या गलत है.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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