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Updated: 30 जून, 2016 05:11 PM
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फिल्म अभिनेता इरफान खान ने कहा है कि रमजान के दौरान बकरे की कुर्बानी बंद होनी चाहिए. कुर्बानी तो अपनी सबसे प्यारी चीज की होती है. इसी तरह रोजा रखने को भी कहा कि भूखे रहना रोजा नही होता बल्कि आत्मचिंतन करना होता है. मुहर्रम को भी कहा कि दुख वाले मौके को मुसलमान ने सर्कस बना दिया है. साथ हीं मुसलमानों के लिए कहा कि इस्लाम के नाम पर दहशतगर्दी के खिलाफ मुसलमानों को आवाज उठानी चाहिए, क्यों नही उठा रहे हैं.

अपनी फिल्म मदारी के प्रमोशन के दौरान अपने घर जयपुर आए इरफान ने मुस्लिम त्योहारों को लेकर विवादिक बयान दे डाला. इरफान ने कहा कि मुसलमान कुर्बानी के नाम पर बकरे की कुर्बानी देते हैं, वो ठीक नही है. बाजार से दो बकरे खरीद लाए और कुर्बान कर दिए, ये कोई कुरबानी हुई. कुरबानी तो अपनी सबसे प्यारी चीज की दी जाती है. उसके बाद इरफान ने कहा कि रोजा में मुसलमान भूखे रहते हैं. भूखा रहना कोई रोजा नही होता है बल्कि ये आत्मचिंतन के लिए बना है. इरफान यहीं नही रुके वो ये कह दिए कि मुहर्रम मातम का त्योहार है लेकिन इसे भी ताजीया निकालने के नाम पर सर्कस बना दिया है.

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एक्टर इरफान खान

इरफान के हमले का अगला निशाना मुसलमान दहशतगर्दी के खिलाफ खामोशी के लिए बने. इरफान ने कहा कि मुसलमान चुप क्यों है आतंकवाद के खिलाफ. नेताओं को भी मदारी बताते हुए कहा कि जनता को नेताओं से सवाल पूछना चाहिए न कि चुप रहना चाहिए.

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धार्मिक मामलों में इरफान की दखलअंदाजी मुश्लिम धर्मगुरुओं को रास नही आई और सबने एक स्वर से इरफान का विरोध किया. जमात उलेमा ए हिंद ने कहा है कि इरफान एक्टर हैं और एक्टिंग करें, धर्म के मामले में न बोलें. जमायत उलेमा ए हिंद के स्टेट जेनरेल सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल वाहिद खत्री इरफान ये सब अपनी पब्लिसिटी के लिए कर रहे हैं. अच्छा होगा वो धार्मिक मामलों में दखल न दें. जबकि शहर काजी शेर काजी खालीद उस्मानी ने कहा है कि इरफान को इस्लाम का ज्ञान नही है इसलिए चुप रहे हैं तो बेहतर है.

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