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Updated: 13 मई, 2018 03:46 PM
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आपने कई लोगों को दान देते देखा होगा, पर क्या आप जानते हैं कि सबसे बड़ा दानी कौन है? हम मिलवाते हैं...और दावा करते हैं कि आपका दिल उस शख्स के बारे में जानकर इज्ज्त से भर जाएगा.

ऑस्ट्रेलिया के एक व्यक्ति को Man With the Golden Arm कहा जाता है. जानते हैं क्यों...क्योंकि उनके बाजुओं में वो शक्ति है जिसने लाखों बच्चों को जिंदगी दी है. जेम्स हैरिसन, पिछले 60 सालों से हर सप्ताह रक्त दान करते आ रहे हैं. और इतने रक्तदान के बाद 81 साल का ये शख्स अब रिटायर हो गया है. ऑस्ट्रेलियन रेड क्रॉस ब्लड सर्विस के अनुसार जेम्स ने अब तक 1173 बार रक्त दान कर करीब 24 लाख बच्चों की जान बचाई है.

blood donorकरीब 24 लाख से ज्यादा जानें बचाईं

क्यों खास हैं जेम्स

जेम्स के खून में रोगों से लड़ने वाली अनोखी एंटीबॉडी हैं जिनका प्रयोग एंटी-D नामक इंजेक्शन बनाने के लिए किया जाता है, जो रीसस रोग से लड़ने में मदद करता है. यह बीमारी वो स्थिति है जब गर्भवती महिला का खून असल में अपने अजन्मे बच्चे की रक्त कोशिकाओं पर हमला करना शुरू कर देता है. जिसके सबसे बुरे परिणाम हैं बच्चों का ब्रेन डेमेज या मौत.

ऐसी स्थिति तब विकसित होती है जब गर्भवती महिला के पास रीसस नेगेटिव (RhD -ive) ब्लड होता है और गर्भ में पल रहे बच्चे के पास रीसस पॉजिटिव(RhD +ive) जो उसे अपने पिता से विरासत में मिलता है.

अगर पिछली गर्भावस्था के दौरान मां का रक्त Rh +ive रक्त से मिलता है तो वो एंटीबॉडी उत्पन्न कर सकती है जो बच्चे की रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जो बच्चे के लिए घातक हो सकता है. ऑस्ट्रेलिया की 17% से भी ज्यादा महिलाओं को इससे खतरा है. ऐसे में जेम्स् के अनोखे एंटीबॉडी वाले रक्त से निर्मित इंजक्शन ही उन महिलाओं के होने वाले बच्चों की जान बचाता है.

क्यों चुना रक्तदान

14 साल की उम्र में जेम्स की छाती की सर्जरी की गई थी. तब रक्त दान की वजह से ही उनकी जान बच पाई थी. इसकी अहमियत समझते हुए उन्होंने तब से रक्त दान करने की कसम खा ली थी.

कुछ सालों बाद, डॉक्टर्स को पता लगा कि उनके खून में ऐसी एंटीबॉडी हैं जिनसे एंटी-D इंजक्शन बनाए जा सकते थे. तभी से उन्होंने रक्त दान करना शुरू कर दिया, जिससे लोगों की मदद की जा सके. डॉक्टर्स सही से नहीं कह सकते कि उनके रक्त में ये खास बात कैसे है, लेकिन उनका मानना है कि शायद ये उसी वक्त की देन है जब उनका ऑपरेशन किया गया था. पूरे ऑस्ट्रेलिया में इस एंटीबॉडी के 50 लोग भी नहीं हैं और जेम्स उन कुछ लोगों में से ही हैं.

blood donor1967 से अब तक हर सप्ताह किया रक्त दान

नेशनल हीरो हैं जेम्स

1967 से अब तक 30 लाख से भी ज्यादा एंटी D इंजक्शन जरूरतमंद मांओं को दिए जा चुके हैं. यहां तक कि उनकी अपनी बेटी को भी ये इंजक्शन दिया गया था.

1967 से पहले हर साल हजारों बच्चों की मौत हो जाती थी, और डॉक्टरों तब ये जान नहीं पाए थे कि ऐसा क्यों हो रहा था. एक बड़ी संख्या में महिलाओं को गर्भपात हो रहे थे और बच्चे क्षतिग्रस्त दिमाग के साथ पैदा हो रहे थे. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया पहला देश था जिसने इस एंटीबॉडी वाले ब्लड डोनर को खोज निकाला था.

लाखों जिंदगियां बचाने वाले जेम्स देश का गौरव हैं. और उनके लिए जितना भी सम्मान दिया जाए सो कम है. उन्हें ऑट्रेलिया का नेशनल हीरो कहा जाता है, अपने इस काम के लिए उन्हें ढेरों अवार्ड्स स् नवाजा गया है और Medal of the Order of Australia से भी वो सम्मानित किए जा चुके हैं जिसे देश का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है.

blood donor81 साल की उम्र में रक्त दान से रिटायर हो गए जेम्स

जेम्स ने अपना आखिरी रक्त दान हाल ही में किया, क्योंकि 81 साल की उम्र के बाद कोई व्यक्ति रक्त दान नहीं कर सकता. मगर जेम्स का कहना है कि अगर उन्हें इजाज़त दी जाए तो वो आगे भी रक्त दान करते रहना चाहेंगे.

रक्त दान को महादान इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो किसी को जिंदगी दे सकता है. हम में से बहुत से लोग रक्त दान करते हैं और बहुत से ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी रक्त दान किया ही नहीं. भारत में हर 2 सेकंड में किसी न किसी व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता होती है. दान योग्य व्यक्तियों में सिर्फ 4% ही रक्त दान करते हैं. 75% व्यक्ति वर्ष में एक या दो बार रक्त दान करते हैं.

लेकिन सच है कि रक्त दान की अहमियत वही समझता है जो वास्तव में उसकी जरूरत से गुजरा हो. जेम्स की जरूरत ने उन्हें इसकी अहमियत समझी और आज वो पूरी दुनिया के सामने उदाहरण बने. एक ऐसा उदाहरण जिसका अनुसरण करने के लिए इंसान को किसी खास टेलेंट की जरूरत नहीं, बस इच्छा शक्ति चाहिए. यकीन कीजिए जेम्स हम जैसे ही साधारण इंसान हैं जिनकी इच्छा शक्ति और सेवा भाव ने उन्हें असाधारण शख्सियत बना दिया.

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