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Updated: 09 अप्रिल, 2018 08:16 PM
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भारत में समलैंगिकता अब भी बड़ी बहस का विषय है. एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों को अपने sexual status को खुलकर बयां करने की आजादी है, लेकिन समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध बताने वाली धारा 377 अब भी कायम है. इस कानूनी पसोपेश के बीच समलैंगिकों को लेकर भारत में सामाजिक मान्‍यताएं बहुत उत्‍साहजनक नहीं हैं. और ये समुदाय हर धर्म, जाति में संघर्ष करता दिखता है.

LGBTQ समुदाय के प्रति संवेदना लाने के उद्देश्‍य से अमेरिका की यह कहानी प्रस्‍तुत है, जिसमें एक बच्‍चे को मौत आ जाने तक सिर्फ इसलिए यातनाएं दी गईं कि उस पर गे (समलै‍ंगिक) होने का शक था:

24 मई, 2013. लॉस एंजिलिस (अमेरिका). दुनिया के दूसरे कोने में 8 साल का गैब्रिएल आंखिरी सांस लेकर दुनिया का अलविदा कह गया. लेकिन मौत से पहले ग्रैब्रिएल को 8 महीने तक एक-एक सांस के लिए तरसाया गया. इस 8 साल के बच्‍चे को इतनी यातनाएं दी गईं, जो शायद किसी युद्धबंदी को भी न दी जाती होगी. और इस हैवानियत पर उतर आने वाले कोई और नहीं, बल्कि इस बच्‍चे की मां पर्ल फर्नांडेज (30 वर्ष) और उसका बॉयफ्रेंड साउरो एग्यूरी (Isauro Aguirre) था.

कैसे बेरहम बन गए दो करीबी...

ग्रैब्रिएल को गु‍डि़या से खेलना पसंद था. बस यही वजह बना उसकी मां और फिर उसके ब्‍वॉयफ्रेंड की शंका का, जो बाद में हैवानियत में बदल गई. शुरुआत ताने देने और मारपीट से हुई. गेब्रिएल की मां को लगता था कि वह गे है और इसलिए वह उसे लड़कियों के कपड़े पहन कर स्कूल जाने को मजबूर करने लगी.

पर्ल का बॉयफ्रेंड साउरो तो इतना खफा हो जाता था कि वो गैब्रिएल को अकसर बेल्‍ट से मारता. जब इस पर से भी मन न भरता तो गैब्रिएल को सिगरेट से जलाता. मैटल के हैंगर से पिटाई अब उसके लिए आम बात होने लगी.

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ऐसा नहीं था कि इन यातनाओं की शिकायत किसी स्‍थानीय प्रशासन को नहीं की, लेकिन उन शिकायतों पर अधिकारियों ने ज्‍यादा ध्‍यान नहीं दिया. और ये प्रशासनिक लापरवाही गेब्रिएल की मां और उसके ब्‍वॉयफ्रेंड के मंसूबों को बढ़ाती चली गईं.

जरा सोचिए 6 फीट 2 इंच और करीब 100 किलो का साउरो उस छोटे 4 फीट 1 इंच के 26 किलो के गैब्रिएल पर खड़ा हो जाता. गैब्रिएल को सड़ा हुआ खाना दिया जाता था और तो और उसे बिल्‍ली की मल खिलाया जाता. जब वो उल्टी कर देता था तो उसे उल्टी भी खिलाई जाती. उसे बाथरूम नहीं जाने दिया जाता. गेब्रिएल को कहा जाता कि वह खुद के लिए सुसाइड नोट लिखे.

22 मई 2013 को गेब्रिएल की मां पर्ल ने 911 इमरजेंसी सेवा को फोन पर बताया कि उसे बेटा कमरे में आलमारी से टकराकर गिर गया है और सांस नहीं ले रहा है. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो गेब्रिएल बेडरूम में था. उसकी एक्‍स-रे रिपोर्ट से पता चला कि उसकी तीन पसलियां और सिर की हड्डी टूटी हुई थी. उसके फेफड़े और पेट में एयरगन के दो छर्रे धंसे हुए थे. गेब्रिएल के 12 वर्षीय बड़े भाई ने कोर्ट को बताया कि एक खिलौना गंदा देखकर पर्ल गेब्रिएल पर भड़क गई और उसे पीटती हुई बेडरूम में ले गई. उसके बाद कुछ देर तक गेब्रिएल के चीखने की आवाजें आईं और फिर खामोशी छा गई.

गैब्रिएल को दो दिन अस्‍पताल में रहा. वह थोड़ी देर होश में आया और इतना ही कहा कि उसे ऐसा लग रहा है कि कोई उस पर खड़ा है और मार रहा है. गैब्रिएल की मां और उसके ब्वॉयफ्रेंड को हाल ही में सज़ा हुई है. मां को उम्र कैद और साउरो को मौत की सज़ा सुनाई गई है. जांच में पता चला कि जब भी गेब्रिएल के बारे में शेरिफ के डिपार्टमेंट को सूचना दी गई, किसी ने मामले की विवेचना नहीं की. जबकि गेब्रिएल की मौत के बाद उसी घर से खून से सने गेब्रिएल के कपड़े बरामद हुए, जिनमें एयरगन के छर्रों की वजह से छेद हो गए थे. उसी घर से एक लकड़ी का डंडा मिला जो खून से सना हुआ था.

केस खत्म हो गया और साउरो को मौत की सज़ा मिली. गैब्रिएल की मां को भी जेल हुई, लेकिन उस बच्चे के साथ जो हुआ उसपर बात करने वाला कौन है?

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उस छोटे बच्चे गेब्रिएल को किस बात की सजा मिली ? गेब्रिएल के मामले को दो सनकी इंसानों की सनक से जोड़कर भी देखा जा सकता है. लेकिन इस दर्दभरी का जिक्र मानवीय संवेदनाओं के मूल्‍य का भी परिचय कराता है. कम हो या ज्‍यादा, समलैंगिकों को लेकर नफरतभरा रवैया किसी न किसी अपराध की तरफ ले जाता है. 8 साल के बच्‍चे में समलै‍ंगिकता को ढूंढना किसी बीमार मस्तिष्‍क की ही निशानी है. लेकिन एक इंसान का किसी दूसरे इंसान को कमतर मानना भी कोई सेहतमंद समाज की निशानी नहीं कही जा सकती.

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