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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 25 फरवरी, 2019 05:01 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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आम आदमी पार्टी (AAP) के बागी विधायक कपिल मिश्रा पुलवामा हमले के बाद से काफी आक्रोश में हैं. सोशल मीडिया पर जिस तरह वो बयानबाजी कर रहे हैं ऐसा लगता है मानो शहीदों के जाने का दुख सिर्फ और सिर्फ उन्हीं को है.

पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान देश के लिए एक बड़ी क्षति थे. पूरे भारत को इनके जाने का दुख है. सोशल मीडिया पर हर किसी ने इन शहीदों को अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दी. लेकिन जिन लोगों ने अपना रुख कश्मीर और कश्मीरियों की तरफ नर्म रखा, या जिन्होंने अमन और शांति की बात की, वो लोग लोगों का गुस्से झेल रहे हैं. इन मुट्ठी भर लोगों को anti nationals का नाम दिया, देशद्रोही और गद्दार कहा गया. क्योंकि अपनी बात लोगों के सामने रखने वाले ये लोग थोड़े बेबाक हैं और इन्हें सच बोलने में डर नहीं लगता.

लेकिन इन लोगों के लिए कपिल मिश्रा ने अपने दिल की बात एक कविता के जरिए कह दी है. लेकिन कविता को सुनकर ऐसा लगता है कि ये कविता नहीं बल्कि धमकी है, इसे आप मॉब लिंचिंग का आह्वान भी कह सकते हैं.

कपिल मिश्रा ने सोशल मीडिया के सभी प्लैटफॉर्म्स पर अतिउत्साहित होकर इस कविता को शेयर किया है.

कविता में क्या और क्यों कहा गया हम समझाते हैं-

मोदी जी तुम उनको देखो जो दुशमन हैं सीमा पार, बाकी जनता निपटा देगी घर में छिपे हुए गद्दार.

कविता में कपिल मोदी से इन लोगों की शिकायत कर रहे हैं. और बता रहे हैं कि आप सिर्फ सीमा के दुश्मनों पर ध्यान दें, घर के गद्दारों के लिए तो जनता ही काफी है.

कोई अमर शहीदों की जाति गिनवाने लगता है, कोई लेख लिखकर जाधव को फंसवाने लगता है.

यहां कपिल के निशाने पर थी 'कारवां' पत्रिका जिसमें एक लेख में पुलवामा के शहीदों की जातियों को बताया गया था. और वहीं कुलभूषण जाधव केस में हाल ही में पाकिस्तान काउंसलर ने अपना पक्ष मजबूत करने के लिए भारतीय पत्रकार करण थापर, चन्दन नंदी और प्रवीण स्वामी की मीडिया में छपी रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें बताया गया था कि कुलभूषण जाधव रॉ के एजेंट हैं और वह पाकिस्तान में जासूसी करते रहे हैं.

कभी पत्थरबाजों को मासूम बताया जाता है, और कभी भारत की सेना पर इल्जाम लगाया जाता है

कपिल ने यहां उन लोगों को निशाने पर लिया है जो ये कहते हैं कि कश्मीरी बच्चों के हाथों में कुछ पैसों के बदले पत्थर थमाए जाते हैं. उनका ब्रेनबॉश कर दिया जाता है. कश्मीर में जब सेना पैलेट गन का इस्तेमाल करती है तो उसकी चपेट में बहुत से बेकसूर और मासूम लोग भी आ जाते हैं. जिनके लिए हमदर्दी रखने वाले या फिर सेना से सवाल करने वाले कपिल के हिसाब से गद्दार हैं.

कोई बरखा पुलवामा से ध्यान हटाने लगती है, कोई कविता स्वरा देश को बदनाम कराने लगती है.

पत्रकार बरखा दत्त और स्वरा भास्कर भी पुलवामा हमले के बाद कश्मीर और कश्मीरियों से नफरत न करने की अपील कर रही थीं. बरखा दत्त ने तो कश्मीरी लोगों को अपने घर में शरण देने की बात भी ट्विटर पर लिखी थी. जिसके बाद से लोग उन्हें अश्लील तस्वीरें और जान से मार देने की धमकियां दे रहे थे. और स्वरा भास्कर जो सरकार के गलत नीतियों के खिलाफ बात करने से जरी भी नहीं चूकतीं, पुलवामा के बाद अमन और शांति की बात कर रही हैं, कश्मीरियों और पाकिस्तानी लोगों के बारे में बोल रही हैं, उन्हें भी इसी बात के लिए सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता है.

स्वरा भस्कर के लिए तो कपिल पहले भी ट्वीट कर चुके हैं जिसमें वो स्वरा के मास्टरबेशन वाले सीन को भी बीच में ले आए थे. और तभी कपिल ने अपने ट्वीट में बहुत हिंसात्मक बातें कही थीं.

kapil mishra tweetकपिल के हिंसात्मक विचार पहले भी सामने आए हैं

कभी पीएम के बारे में झूठ फैलाया जाता है, और कभी कश्मीरियों को अंडर अटैक बताया जाता है.

जाहिर है कपिल मिश्रा उनसे खफा हैं जो देश के प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों से खुश नहीं हैं. और मोदी के खिलाफ लिखते और बोलते हैं. और कश्मीर में हो रही राजनीति के खिलाफ आवाज उठाते हैं.

कोई नसिरुद्दीन देश को दहशत में बतलाता है, लेकिन अगले दिन कराची पूंछ हिलाता जाता है.

कपिल अपनी कविता में बॉलीवुड अभिनेता नसीउद्दीन शाह का जिक्र करते हैं जिन्होंने बुलंदशहर हिंसा के बाद कहा था कि भारत अब ऐसा देश हो गया है जहां पुलिसकर्मी से अधिक कीमत गाय की है. इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध की भीड़ ने हत्या कर दी थी. लेकिन तब से नसीरुद्दीन शाह बीजेपी और संघ के निशाने पर रहे हैं. उन्हें गद्दार कहा जाता है.

कोई कमल हासन करता है जनमत संग्रह वाली बात, कोई शहला रोज़ फैलाती देश विरोधी झूठी बात

अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद एक कार्यक्रम में कश्मीर में जनमत संग्रह की बात कहीथी. उनका कहना था कि 'भारत कश्मीर में जनमत संग्रह क्यों नहीं करा रहा है. सरकार किससे डरती है?' भारत और पाकिस्तान दोनों के नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कमल हासन ने कहा था, 'यदि दोनों पक्षों के राजनेता उचित व्यवहार करते, तो एक भी सैनिक के मरने की आवश्यकता नहीं होती'

वहीं जेएनयू छात्रा शहला राशिद भी कश्मीरी छात्रों और निर्दोष कश्मीरियों के साथ हैं. पुलवामा आतंकी हमले के बाद शहला ने एक ट्वीट किया था कि गुस्साई भीड़ की वजह से देहरादून के हॉस्टल में कुछ कश्मीरी लड़कियां फंसी हुई हैं. कथित रूप से अफवाह और अल्पसंख्य समुदाय के बीच डर फैलाने के लिए शहला राशिद के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी.

शहला राशिद ने पुलिस एफआईआर की कॉपी को साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा था कि- ‘भाजपा सरकार में न्याय मांगने पर ये मूल्य चुकाना पड़ता है. उत्तराखंड पुलिस ने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है लेकिन वे बजरंग दल के संयोजक विकास वर्मा के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं कर पाए जिन्होंने राष्ट्रीय अखबारों को दिए अपने बयान में स्वीकार किया है कि वे भीड़ हमले में शामिल रहे और कश्मीरियों को देहरादून छोड़ने के लिए कहा. कह नहीं सकते कि उत्तराखंड को कौन चला रहा है.’

वो फेसबुक पर भी पाकिस्तान जिंदाबाद लिख जाते हैं, और आतंकी हमलों पर वो लड्डू तक बंटवाते हैं.

यहां जिक्र उन लोगों का हो रहा है जो रहते तो भारत में हैं लेकिन पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं. जाहिर तौर पर आजाद कश्मीर की बात करने वाले लोग हैं ये जो सरकार और भारतीय सेना के खिलाफ हैं और इसीलिए पुलवामा हमले के बाद how is the jaish के ट्वीट भी करते हैं.

 

जिन्हें एएमयू में तिरंगा देख आग लग जाती है, और जिनके नारों बातों में भारत से आजादी है.

गणतंत्र दिवस के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्र नेता अजय सिंह ने के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी कैंपस में तिरंगा यात्रा निकाली गई थी. जिसपर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आरोप लगाया था कि इस तिरंगा यात्रा की इजाजत न मिलने के बावजूद छात्रों ने यात्रा निकाली और कैंपस के शैक्षणिक वातावरण को प्रभावित करने का प्रयास किया. इसपर विरोध करने वाले कपिल के निशाने पर हैं.

ये जो भूषण रातों को भी कोर्ट खुलवाने जाते हैं, यो जो सिद्धू युद्ध भूमि में शांति पाठ समझाते हैं

यहां बात हो रही है प्रशांत भूषण की जिन्होंने 1993 बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी को टालने के लिए आधी रात 12 वकीलों के साथ चीफ जस्टिस एचएलदत्तू के घर जाकर सुनवाई की अपील की थी. तब जस्टिस दत्तू ने जज दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच को सुनवाई रात में ही करने को कहा था. वहीं पुलवामा हमले के बाद सिद्धू ने भी कहा था कि आतंकवाद का कोई देश नहीं होता. सिद्धू अमन र शांति की बात कर रहे हैं, बातचीत से मासला हल करने की बात करते हैं. और इसीलिए कपिल मिश्रा के हिसाब से ये दोनों देश के दुश्मन हैं.

अबकी बारी उनके घर में घुसकर करना होगा वार, खींच निकालो बीच सड़क पर घर में छिपे हुए गद्दार.

इन सभी लोगों पर कपिल मिश्रा और इनके समर्थकों के विचार तो समझ आते हैं, लेकिन इनके साथ क्या किया जाए वो कपिल मिश्रा ने अपनी कविता की आखिरी लाइनों में साफ कर दिया है. कपिल कह रहे हैं कि इन लोगों के घरों में घुसकर इनपर हमला करना चाहिए और इन गद्दारों को घर से निकालकर बीच सड़क पर लाना चाहिए.

कविता की इन लाइनों में कपिल के छिपे गुस्से को समझा जा सकता है और इसीलिए इस कविता को महज कविता मानने की भूल भी नहीं की जा सकती. क्योंकि यहां ये कविता कम और धमकी ज्यादा लग रही है. इस कव्ता पर कपिल मिश्रा और सो कॉल्ड देशप्रेमी वाह-वाह कर रहे हैं. उनका समर्थन कर रहे हैं.

इसपर कविता कृष्णन और शहला राशिद ने जवाब भी दिया है. शहला ने दिल्ली के आईपीएस मधुरवर्मा को लिखा है कि ये इंसान जिसकी बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है दिल्ली का एमएलए है. ये लोगों को हमें हमारे घरों से बाहर खींचने और लिंचिंग की बात कर रहा है.

shehla rashid answer

वहीं कविता कृष्णन का कहना है कि वो कपिल मिश्रा जैसे गली के गुंडों से नहीं डरतीं.

kavita krishnan answer

कपिल मिश्रा की इस कविता पर वाह-वाह करने वाले लोग ज्यादातर वो लोग हैं जो अपनी पहचान लड़कियों के नाम और चेहरे के पीछे छुपा रहे हैं. फेक प्रोफाइल्स से इन लोगों के खिलाफ गालियां और अपशब्द कहे जा रहे हैं.

हालांकि उन्हें लताड़ने वाले भी कम नहीं हैं.

कपिल मिश्रा की इस कविता ने न सिर्फ कवियों का अपमान किया है बल्कि ये भी बता दिया है कि आज की तारीख में कितना आसान है लोगों के लिए इस तरह की हिंसात्मक बातों को सबके सामने रखना. खासकर तब जब वो एमएलए हों. किसी भी जिम्मेदार पद को संभालने वाले व्यक्ति के मुंह से निकली इस तरह की बातें अशोभनीय हैं.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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