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Updated: 30 जुलाई, 2015 12:58 PM
मार्कंडेय काटजू
मार्कंडेय काटजू
  @justicekatju
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भारतीय समाज काफी हद तक साम्प्रदायिक हो गया है. मेरा अनुमान है कि आज 80 से 90 प्रतिशत हिंदू सांप्रदायिक (मुस्लिम विरोधी) हैं और 80 से 90 प्रतिशत मुसलमान भी सांप्रदायिक हो रहे हैं.

सांप्रदायिकता का वायरस ग्रामीण भारत के कई हिस्सों में भी फैल गया है. याकूब मेमन के मामले में हिंदू बड़े पैमाने पर चाहते थे कि उसे फांसी हो. जबकि मुसलमान चाहते थे कि उसे फांसी की सजा न हो.

मेरी राय थी कि उसके खिलाफ सबूत बहुत कमजोर थे और इसलिए उसकी सजा गलत थी. इसमें कोई शक नहीं कि इस बात ने मुझे लगभग 80% हिंदुओं के बीच बहुत अलोकप्रिय बना दिया है. इसलिए मैं अपने ही देशवासियों के बहुमत से खुद को अलग कर रहा हूं. लेकिन इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं लोकप्रियता का साधक नहीं हूं. जब भी जीवन में कोई अलोकप्रिय स्टैंड लेता है तो वह अलग हो जाता है, जैसा कि मैनें अक्सर किया. महत्वपूर्ण बात यह है कि वह स्टैंड ठीक होना चाहिए.

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लेखक

मार्कंडेय काटजू मार्कंडेय काटजू @justicekatju

लेखक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एवं प्रेस कॉउन्सिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष हैं

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