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Updated: 10 जून, 2021 08:46 PM
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केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच पिछले कई महीनों से ठनी है. मगर केंद्र सरकार की बार-बार दी जा रही चेतावनी के बावजूद ट्विटर पर उसका असर नहीं दिख रहा. भारत सरकार ने आईटी नियमों का हवाला देते हुए अब तक चार मर्तबा नोटिस दिया है. दूसरी ओर नाइजीरिया की सरकार ने तनातनी के ऐसे ही एक मामले में ट्विटर की सारी हेकड़ी एक झटके में निकाल दी. ना सिर्फ अनिश्चितकाल के लिए बैन लगा दिया बल्कि उसकी प्रतियोगी शॉर्ट मैसेजिंग एप "कू" को सरकारी इस्तेमाल के लिए मान्यता भी दे दी. कू भारतीय एप है. भारत के लिहाज से कार्रवाई के कई मायने हैं.

दरअसल, नाइजीरिया की सरकार अपने प्रेसिडेंट की एक पोस्ट हटाने से नाराज थी. ट्विटर ने नियमों के उल्लंघन के आरोप में प्रेसिडेंट का ट्वीट हटाया था. अब जबकि अनिश्चितकाल के लिए उसे बैन कर दिया गया है विवाद सुलझाने के लिए अमेरिकी माइक्रोब्लोगिंग साईट ने बातचीत की पहल की है. इस बीच नाइजीरिया की सरकार ने साफ़ कहा कि हमारे लिए संप्रभुता सबसे बड़ी चीज है. नाइजीरिया के विकास या उसके कॉरपोरेट अस्तित्व को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि के लिए ट्विटर प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल को अनुमति नहीं दी जा सकती.

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भारत सरकार पिछले पांच महीने से ट्विटर को देश विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कह रही है. अब तक चार बार नोटिस भी दिया जा चुका है. आख़िरी चेतावनी के तौर पर पिछले हफ्ते 5 जून को नोटिस भेजा गया था. भारत सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया एप को सरकार के आईटी नियमों का पालन करना ही होगा. लेकिन ट्विटर हेकड़ी दिखा रहा है. उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू के निजी ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक भी हटा दिया था. हैंडल को पालिसी के तहत लंबे समय से निष्क्रिय होने का तर्क दिया अगया. जबकि बहुत सारे हैंडल लंबे समय से निष्क्रिय थे उनका ब्लू टिक नहीं हटाया गया था. हालांकि बाद में ब्लूटिक बहाल कर दिया गया. ट्विटर की कार्रवाई को सीधे तौर पर भारत सरकार को चुनौती के रूप में देखा गया. बावजूद दर्जनों चाइनीज एप पर कार्रवाई करने वाली सरकार के कदम अब तक किसी तरह की कार्रवाई से हिचकिचा रहे थे.

भारत सरकार ने भी कू एप का इस्तेमाल शुरू तो किया मगर ट्विटर पर बड़ी कार्रवाई में संकोच करते दिखी. अब नाइजीरिया की कार्रवाई और उसके बाद ट्विटर के रुख से भारत सरकार को कदम आगे बढ़ाने में बल मिलना चाहिए. समझ में नहीं आता कि एक संप्रभु और लोकतांत्रिक देश में कोई विदेशी कंपनी भला किस ताकत और आधार पर कानूनों की अनदेखी करते हुए नियमों को मानने के लिए तैयार नहीं है. अगर सच में ट्विटर का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों के लिए हो रहा है तो क्यों नहीं नाइजीरिया की तरह भारत सरकार को भी आगे बढ़कर ऐसी ही कार्रवाई करनी चाहिए.

ट्विटर और भारत सरकार के विवाद की वजह क्या है?

दरअसल, भारत सरकार और ट्विटर के बीच विवाद की शुरुआत इस साल जनवरी के अंत में हुई थी. दिल्ली में किसान आंदोलन कर रहे थे और गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ही 'ट्रैक्टर रैली' आयोजित की गई. बाद में ये हिंसक हो गई. सरकार का आरोप है कि ट्विटर पर इससे जुड़े कई फेक न्यूज और भड़काऊ कंटेंट लगातार साझा किए जा रहे थे. सरकार ने कुछ अकाउंट्स पर एक्शन लेने को भी कहा. करीब 257 हैंडल्स को सस्पेंड किया गया मगर बाद में फ्रीडम ऑफ़ स्पीच का हवाला देते हुए उन्हें बहाल भी कर दिया. इसके बाद फरवरी के पहले हफ्ते में सरकार ने 1157 और हैंडल्स की लिस्ट दी जो भारत-विरोधी दुष्प्रचार कर रहे थे. बताया गया कि ये हैंडल पाकिस्तान या खालिस्तान के समर्थक ऑपरेट कर रहे थे. ट्विटर ने कुछ ही हैंडल्स को ब्लॉक किया.

25 फरवरी को सरकार ने नया आईटी रूल जारी किया. इसके तहत जिन सोशल प्लेटफॉर्म के 50 लाख से ज्यादा यूजर होंगे उन्हें भारत में एक शिकायत अधिकारी को नियुक्त करना होगा. किसी भड़काऊ कंटेंट पर अगर सरकार जानकारी मांगे तो संबंधित को जानकारी देनी होगी. आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने के आदेश पर 36 घंटे के भीतर उसे रिमूव करना होगा. ट्विटर ने इसी नियम को फ्रीडम ऑफ़ स्पीच पर अंकुश लगाने की कोशिश बताकर मानने से इनकार कर दिया था.

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