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Updated: 09 दिसम्बर, 2018 12:05 PM
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किसी भी इंसान के लिए अपने प्रियजन का अंतिम संस्कार बहुत ही दुखद होता है. किसी भी प्रियजन को जाते हुए देखना बेहद कठिन होता है और हम कोशिश करते हैं कि उसके लिए हर मुमकिन कोशिश की जाए ताकि उसे याद रखा जाए. कई बार इसके लिए हम कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते हैं. जल समाधि देना, दाह संस्कार करना, सुपुर्दे खाक करना और भी ऐसे कई तरीके अपनाए जाते हैं ताकि अपनों की आत्मा को शांति मिले, लेकिन इस सबके बीच एक नया तरीका है जो लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है. अंतिम संस्कार का ये तरीका है अंतरिक्ष में अस्थियों को विसर्जित करना या छोड़ देना.

अंतरिक्ष, अंतिम संस्कार, सोशल मीडिया, स्पेसएक्स, फैल्कन रॉकेट, एलन मस्कSpaceX के रॉकेट के साथ 100 लोगों की अस्थियों का कुछ हिस्सा भी अंतरिक्ष में भेजा गया है

मरने के बाद लोग तारे बन जाते हैं, ये तो कहावत है, लेकिन मरने के बाद अंतरिक्ष में जाते हैं ये कुछ अलग है. 3 दिसंबर 2018 को SpaceX रॉकेट 64 छोटे-छोटे सैटेलाइट लेकर कैलिफोर्निया से उड़ा. ये रॉकेट वही फैल्कन 9 रॉकेट है जो इसके पहले भी तीन स्पेस मिशन के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है. स्पेसX कंपनी जो दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले रॉकेट बनाती है. जो रॉकेट लॉन्च किया गया उसमें 34 कंपनियों, सरकारी संस्थानों, यूनिवर्सिटी आदि के सैटेलाइट थे और उसी के साथ एक कृत्रिम तारा भी था. इसी के साथ, भेजी गई हैं 100 लोगों की अस्थियां.

क्या है अंतरिक्ष में अंतिम संस्कार ?

Elysium Space नाम की कंपनी का ये पूरा प्रोग्राम है जो लोगों से 2500 डॉलर (लगभग 1 लाख 76 हज़ार रुपए) लेकर उनके परिजनों की अस्थियों को स्पेस में भेजने का काम करती है.

कैसे होता है काम?

कंपनी की वेबसाइट के अनुसार सबसे पहले अस्थियों को एक सील बंद कैप्सूल में रखा जाता है जिसमें मृतक का नाम होता है. ये कैपसूल कंपनी ही उन लोगों तक भेजती है जिन्हें अपने परिजनों का अंतरिक्ष में अंतिम संस्कार करवाना होता है. जब कंपनी के पास ये कैप्सूल वापस आते हैं तो उन्हें सील करके उस रॉकेट के रवाना होने तक सेफ रखा जाता है जिसमें ये जाने वाले हैं.

एक 4 इंच स्क्वेयर क्यूब सैलेटाइल जिसे cubesat कहा जाता है वो इन कैप्सूल को स्पेस में रखेगा और 4 साल तक परिजन अपने फोन में मौजूद एप्स के जरिए उसे ट्रैक भी कर पाएंगे. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक ये स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के चक्कर अगले चार सालों तक लगाएगा और फिर तय समय पर ये पृथ्वी पर वापस गिर जाएगा.

अस्थियों का पूरा मर्तबान नहीं भेजा जाएगा..

ये बहुत बड़े मर्तबान में नहीं जाते. कोई भी पूरा अस्थिकलश नहीं भेज सकता. एक छोटी सी डिब्बी में कुछ हिस्सा दिया जाता है.

ये है वो डिब्बी जिसमें स्पेस में अस्थियां (राख) भेजी जाती है.ये है वो डिब्बी जिसमें स्पेस में अस्थियां (राख) भेजी जाती है.

इसके बाद एक सैटेलाइट में प्लेस कर दिया जाता है.

ये वो सैटेलाइट है जो अंतरिक्ष में छोड़ दिया गया.ये वो सैटेलाइट है जो अंतरिक्ष में छोड़ दिया गया.

इस मिशन के लिए लोगों ने 2 साल पहले से बुकिंग करवा रखी थी. कंपनी की वेबासइट में एक लॉन्च शेड्यूल भी दिया गया है जो अगले लॉन्च के बारे में बताता है. 

ये तो था शूटिंग स्टार मिशन जिसमें एक सितारे की तरह सैटेलाइट अंतरिक्ष में घूमता रहेगा. लेकिन इस कंपनी का एक और मिशन है. वो है चंद्रमा पर अपने परिजनों की अस्थियों का कुछ हिस्सा भेजना. ये लूनर मिशन है और इसके लिए रिजर्वेशन अभी से ही हो रहा है. इसके लिए लोगों को 10 हज़ार डॉलर यानी 7 लाख से भी ज्यादा रुपए देने होंगे.

क्या ये एकलौता ऐसा मामला है?

जी नहीं बिलकुल नहीं, ये न तो पहला है और न ही एकलौता. ये कई सालों से चल रहा है. 1997 में Celestis नाम की एक कंपनी ने ये सर्विस शुरू की थी. 2004 में अंतरिक्ष यात्री Clyde William Tombaugh (जिन्होंने प्लूटो की खोज की थी.) उन्हें भी नासा के एक रॉकेट से ऐसे ही अंतरिक्ष का अंतिम संस्कार मिला था. 2012 में भी 320 लोगों की अस्थियों को अंतरिक्ष में भेजा गया था. इसमें स्टार ट्रेक सीरीज के एक्टर जेम्स दोहान की अस्थियां भी शामिल थीं.

इंटरनेट पर स्पेस क्रिमेशन सर्च करने पर न जाने कितने रिजल्ट आ जाएंगे जो कंपनियां परिजनों की अस्थियों को अंतरिक्ष में भेजने का काम करती हैं. तो अगर आपको भी लगता है कि अपने परिजनों को वाकई में चांद-तारे में भेजा जाए तो रिसर्च शुरू कर सकते हैं.

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