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Updated: 04 फरवरी, 2017 04:44 PM
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24 फरवरी को जे जयललिता की 69वीं बर्थ एनिवर्सरी है - और दीपा जयकुमार इस मौके पर अपनी बुआ को कुछ खास तोहफा देने की तैयारी कर रही हैं. लगता है यही बात जयललिता की दोस्त शशिकला को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है.

हर आसन्न खतरे पर नजर रख रहीं मौजूदा AIADMK महासचिव शशिकला अपने लिए अलग तैयारी कर रही हैं. मीडिया रिपोर्टों की मानें तो वो जयललिता के लिए अपना पसंदीदा गिफ्ट तैयार करा रही हैं. ये गिफ्ट है खुद को तमिलनाडु की सीएम की कुर्सी पर बैठाना. संभावित तारीख भी तकरीबन मुकर्रर है - 8 या 9 फरवरी. मुहूर्त जो भी शुभ हो.

शशिकला के लिए फिलहाल सीएम बनना बायें हाथ का खेल है, लेकिन क्या कुर्सी पर बने रहना भी उतना ही आसान होगा?

तोहफे की तैयारी

दीपा जयकुमार चाहती हैं कि बुआ के बर्थ डे पर उपहार में अपनी नयी पार्टी दें. बताया गया है कि दीपा भी अपनी पार्टी का नाम AIADMK ही रखना चाहती हैं. फर्क बस ये होगा कि इसमें A का मतलब 'अन्ना' की जगह 'अम्मा' हो जाएगा. तकनीकी तौर पर ये सब कितना संभव है ये तो चुनाव आयोग ही तय करेगा. जयपाल पनीरसेल्वम इस नयी पार्टी के संयोजक बताये जाते हैं, जिनके मुताबिक पार्टी का झंडा भी AIADMK से मिलता जुलता होगा और उस पर सीएन अन्नादुरई, एमजी रामचंद्रन और जयललिता की तस्वीरें होंगी.

deepa-jayakumar_650_020417033004.jpgदीपा मानती हैं खुद को असली दावेदार...

अपनी तैयारियों को लेकर दीपा का कहना है, "तमिलनाडु की राजनीति में बहुत कुछ बदल गया है. लोगों, खास तौर पर युवाओं ने मांग है कि मुझे राजनीति में आना चाहिए."

ये तो साफ है कि जयललिता का जन्म दिन उनके उत्तराधिकार के दावेदारों के लिए ताकत दिखाने का बड़ा मौका बनने जा रहा है. 'सरवाइवल ऑफ फिटेस्ट' का फॉर्मूला सदियों से लागू होता आया है, जाहिर है ये एक बार फिर से सच साबित होने वाला है.

sasikala-respect-02__020417033455.jpgये पार्टी भी तुम्हारी, सरकार भी...

जयललिता के उत्तराधिकार पर शशिकला पहले ही काबिज हो चुकी हैं जबकि दीपा बाहर से दावेदारी पेश कर रही हैं. थोड़ा बहुत दावा राज्य सभा सांसद शशिकला पुष्पा की ओर से भी जब तब होता रहा है.

शशिकला की स्ट्रैटेजी

दिसंबर के आखिरी हफ्ते में लिंगेस्वरण थिलायन चेन्नई के AIADMK दफ्तर में घुसने की कोशिश कर रहे थे. कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया. माना गया कि हमलावर शशिकला के समर्थक रहे होंगे. लिंगेस्वरण कोई और नहीं बल्कि राज्य सभा सांसद शशिकला पुष्पा के पति हैं. लिंगेस्वरण उस दिन AIADMK महासचिव पद के लिए शशिकला पुष्पा के नाम का प्रस्ताव देना चाहते थे. शशिकला पुष्पा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए जयललिता ने बाहर कर दिया था, लेकिन उन्होंने राज्य सभा सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया. शशिकला पुष्पा ने तब जयललिता पर भी कई इल्जाम लगाये थे.

दीपा की ही तरह शशिकला पुष्पा भी शशिकला नटराजन के खिलाफ मुहिम चला रही हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी जयललिता की मौत किन परिस्थितियों में हुई, इसकी जांच के लिए एक याचिका भी दाखिल की थी.

इस घटना के बाद AIADMK ने शशिकला के नाम का प्रस्ताव किया और वो पार्टी की महासचिव बन गयीं. इसके साथ ही शशिकला के समर्थक जयललिता की आरके नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने और मुख्यमंत्री बनने की मांग करने लगे.

इसी हफ्ते शशिकला ने पार्टी में फेरबदल करते हुए कई नेताओं की अहम पदों पर नियुक्ति कर दी. शशिकला के इस कदम को पार्टी पर मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश के तौर पर देखा गया. जिन नेताओं को अहम जिम्मेदारियां दी गईं है वे निश्चित रूप से शशिकला के कट्टर समर्थक बन चुके हैं. कुछ नेता ऐसे भी हैं जो शशिकला के विरोधी गुट में शामिल हैं और उन्हें हाशिये पर डाल दिया गया है.

sasikala-respect-01__020417033546.jpgतुम्हीं चिनम्मा, तुम्हीं हो अम्मा!

AIADMK के साथ साथ फेरबदल सरकार में भी देखने को मिली है. मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम ने उन तीन बड़े अफसरों को हटा दिया जिन्हें जयललिता ने नियुक्त किया था. तमिलनाडु की सत्ता में सबसे ताकतवर शीला बालकृष्णन को भी तमिलनाडु सरकार का सलाहकार पद छोड़ने को कह दिया गया.

राज्य की मुख्य सचिव रह चुकीं शीला जब 2014 में रिटायर हो गयीं तो जयललिता ने उन्हें सलाहकार नियुक्त कर दिया था. जयललिता के बीमार पड़ने से लेकर उनके निधन और अभी तक प्रशासनिक कार्यों को शीला ही देखती रहीं.

ये तो साफ है कि सियासत और सत्ता की बिसात पर शशिकला एक एक कदम सोच समझ कर आगे बढ़ रही हैं. कहा जाता है कि सौ से ज्यादा विधायक पूरी तरह शशिकला के प्रभाव में हैं. हालांकि, गाउंडर समुदाय के कुछ एमएलए को ये सब नहीं सुहा रहा है, लेकिन विरोध के लिए उन्हें भी मौके की तलाश होगी.

शशिकला की अब यही कोशिश है कि जल्द से जल्द पूरी कमान अपने हाथ में ले लें, इससे पहले कि कोई साजिश सफल हो पाए. दीपा, शशिकला पुष्पा और विरोधी गुट के विधायकों से खतरे से तो शशिकला वाकिफ हैं ही, उन्हें ये भी बखूबी मालूम होगा कि विपक्षी डीएमके भी उनके खिलाफ हर मुहिम को हवा देगा. ऐसा भी नहीं है कि शशिकला केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के नेताओं के अरुणाचल और उत्तराखंड जैसे प्रयोगों से अनजान हों.

sasikala-respect-03__020417033200.jpgकुर्सी पर बैठना आसान है, लेकिन...

अदालती मामले तो शशिकला के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं. इसकी गंभीरता का अंदाजा तब लगा जब शशिकला के पति दिल्ली में ऐसे वकीलों से मुलाकात की जो कानून के साथ साथ राजनीति में भी उतने ही पारंगत माने जाते हैं. इसी हफ्ते शशिकला को मद्रास हाई कोर्ट से झटका लगा जब फेरा के एक मामले में उन्हें कोई राहत नहीं मिल पाई.

शशिकला के लिए ले देकर राहत की बात बस यही है कि ओ पनीरसेल्वम अब तक उनके लिए कोई खतरा नहीं बन सके हैं. इसकी वजह ये भी है कि वो न तो करिश्माई नेता बन पाये न उनका कोई जनाधार बन सका. अब तक वो जयललिता की नीतियों पर अमल करते आये हैं.

sasikala-ops_650_020417033332.jpg...क्या लागे मेरा!

पनीरसेल्वम को खुद अपनी पोजीशन में कभी बदलाव समझ नहीं आया. उनका काम बस हुक्म की तामील रहा - जिस तरह पहले जयललिता हुक्म दिया करती रहीं अब शशिकला देने लगीं हैं.

अगर शशिकला वाकई सीएम की कुर्सी संभाल भी लेती हैं तो भी पनीरसेल्वम की पुरानी पोजीशन बरकरार रह सकती है, शशिकला के खिलाफ मामला अब भी सुप्रीम कोर्ट में हैं. ऐसे में पनीरसेल्वम को कभी निराश होने की जरूरत नहीं है, बल्कि इमरजेंसी में किसी भी वक्त शपथ लेने के लिए तैयार रहना होगा.

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