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Updated: 30 दिसम्बर, 2015 02:07 PM
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सवाल सिर्फ इतना ही था. 'क्या जयललिता की सत्ता में वापसी संभव है?' तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता और डीएमडीके प्रमुख विजयकांत भड़क गए और जवाबी सवाल दाग दिया, "क्या तुम जर्नलिस्ट हो?" फिर उन्होंने पत्रकारों पर थूक दिया. गाली भी दी. लेकिन मीडिया से उनके खफा होने की वजह जाहिर करने में ज्यादा देर नहीं लगी.

जया पर भी भड़के

राजनीति में कुछ ही बातें प्रीस्क्रिप्टेड होती हैं. सवाल पूछने के लिए लिखे हुए नोट्स मिल सकते हैं. ऑडिएंस को बांधे रखने के लिए किस्से भी पहले से बताए जा सकते हैं. कुछ संभावित सवालों के जवाब भी रटाए जा सकते हैं, लेकिन इनमें हर सवाल का जवाब नहीं होता. विजयकांत की भी यही मुश्किल रही होगी.

ऐसे सवाल पर्दे पर पूछे गये होते तो शायद वो मुस्कुराते हुए जवाब देते. शब्द भी संतुलित, सम्मानित और सटीक हो सकते थे. सवाल जब हकीकत में पूछे जाते हैं तो पर्दा नहीं ढक पाता. असलियत सामने आ ही जाती है. विजयकांत के साथ भी यही हुआ. पर्दा था नहीं, इसलिए उन्हें थूकते हुए देख लिया गया.

विजयकांत की इस हरकत के खिलाफ एक वकील ने पुलिस में विजयकांत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. वैसे वकील का संबंध एआईएडीएमके से बताया जा रहा है.

विजयकांत ने मीडिया के सवाल को इधर उधर घुमाने की कोशिश भी की. खुद सवाल किया कि उनकी इतनी हिम्मत नहीं है कि कि वो सीधे जयललिता से ये सवाल पूछ सकें.

जया की तैयारी

जयललिता की कोशिश है कि वो अपनी जनहित योजनाओं के जरिये लोगों से जुड़ी रहें. बाढ़ के दौरान उनका अम्मा किचन लगातार प्रभावित लोगों को भोजन उपलब्ध कराने में जुटा रहा.

जयललिता ने नवजात बच्चों और उनकी माताओं के लिए 'अम्मा बेबी किट' तैयार कराया है. एक हजार रुपये की कीमत वाली इस किट में बच्चे के लिए कपड़े, मच्छरदानी, साबुन, शैम्पू, हैंड सैनिटाइजर, नेल क्लिपर और गुड़िया सहित कुल 16 चीजें शामिल हैं.

जयललिता को मालूम है कि गरीबों के लिए योजनाएं उनके वोट बैंक के लिए कारगर तो होंगी ही, आम लोगों की भावनाओं का भी इसमें बड़ा हाथ होता है. इसीलिए जयललिता सांड़ों पर काबू पाने के खतरनाक खेल ‘जल्लीकट्टू’ के लिए कानूनी उपाय चाह रही हैं. इस सिलसिले में 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में जयललिता ने कहा, "यह बहुत जरूरी है कि जल्लीकट्टू के पारंपरिक आयोजन से गहरा लगाव रखने वाले तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं का ख्याल रखा जाए."

सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बावजूद हर पार्टी जल्लीकट्टू के फेवर में है. हाल ही में डीएमके चीफ के करुणानिधि से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, “मुझे यकीन है कि किसी केंद्रीय मंत्री द्वारा इस बारे में कोई औपचारिक घोषणा की जाएगी.”

गठबंधन का विकल्प

चेन्नई में आई बाढ़ के लिए विजयकांत सीधे सीधे जयललिता को जिम्मेदार बताते हैं और हो सकता है इसे चुनावी मुद्दा भी बनाएं. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में विजयकांत कहते हैं, "एआईएडीएमके सरकार सुस्त है जिससे बाढ़ की विपदा आई. ये जयललिता का किया हुआ है. चेम्बराम्बकम से बड़े पैमाने पर पानी छोड़ा गया, जिससे जानमाल की बड़ी क्षति हुई."

बाढ़ के बहाने विजयकांत डीएमके को भी लपेटे में लेते हैं, "द्रविड़ सरकारों ने जलाशयों के अतिक्रमण को बढ़ावा दिया है जिससे रिहायशी इलाके जलमग्न हो गए."

एआईएडीएमके और डीएमके दोनों ही पार्टियों को नकारा करार देते हुए विजयकांत विकल्प भी सुझाते हैं, "गठबंधन सरकार में क्या खराबी है? गठबंधन सरकार की जरूरत है क्योंकि बाकी पार्टियों का द्रविड़ पार्टियों ने अपनी तरह से इस्तेमाल किया है."

जहां तक गठबंधन की बात है तो जिस दिन से जयललिता जेल से छूटी हैं, बीजेपी से उनकी नजदीकियों की खबरें आती ही रहती हैं. वैसे 2014 में विजयकांत की पार्टी डीएमडीके ने बीजेपी से हाथ मिलाया था, लेकिन दादरी कांड और लेखकों की अवॉर्ड वापसी पर वो गोलमोल बात करते रहे. सवाल उठता है कि क्या उन्हें बीजेपी से हाथ मिलाने पर पछतावा हो रहा है?

विजयकांत की ही तरह अंबुमणि रामदॉस की पीएमके और जीके वासन की तमिल मनीला कांग्रेस भी गठबंधन करने के लिए बेताब हैं. हर पार्टी अपने अपने नेताओं को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानती है और यही उनके बीच गठबंधन की सबसे बड़ी बाधा है.

इसी बीच एक पुराने गठबंधन का नया फॉर्म सामने आया है. करीब तीन साल बाद डीएमके ने कांग्रेस को गठबंधन के लिए सबसे उपयुक्त सहयोगी बताया है. 2013 में डीएमके ने श्रीलंका के तमिलों के मुद्दे पर कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था. वैसे इसे दिखावे की वजह मानी गई. असली वजह समझी गई 2 जी मामले में पूर्व मंत्री ए राजा और करुणानिधि की बेटी की गिरफ्तारी.

जयललिता की तैयारियों में सबसे बड़ी बाधा उनकी सेहत ही हो सकती है. हालांकि, जयललिता की सेहत से जुड़ी सारी बातों का सरकार की ओर से खंडन किया जा चुका है. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की अंत्येष्टि में जयललिता खराब सेहत की वजह से ही नहीं पहुंच पाई थीं.

नीतीश कुमार को भले ही जीतन राम मांझी से कुर्सी वापस लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता हो. केजरीवाल को शपथग्रहण के लिए पैरासिटामॉल लेना पड़ता हो. लेकिन जयललिता के पास तो संजीवनी बूटी ही है - ओ पनीरसेल्वम, जिसके सामने हर बाधा बौनी साबित होती रही है.

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