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Updated: 16 दिसम्बर, 2016 09:46 PM
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नोटबंदी के मसले पर बुरी तरह घिर चुकी बीजेपी के लिए फिलहाल राहत की बात बस इतनी ही है कि विपक्ष में फूट पड़ चुकी है. जब राष्ट्रपति से मिलने सोनिया गांधी नेताओं का प्रतिनिधिमंडल लेकर पहुंचीं तो विपक्ष के चार दलों के नेता नदारद थे. कहा जा रहा है कि ये विपक्षी राहुल गांधी के प्रधानमंत्री से अकेले अकेले मिल लेने से खफा हैं.

एक मुलाकात जो...

अब तक राहुल गांधी तो यही कहते रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे डरते हैं. मालूम नहीं मोदी से मुलाकात में राहुल गांधी को इसका अहसास हुआ या नहीं, लेकिन कांग्रेस को बड़ा झटका जरूर लगा है.

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जब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर पर्सनल करप्शन के आरोप लगाये तो उनके साथ प्रेस कांफ्रेंस में एनसीपी और लेफ्ट नेता भी रहे, लेकिन राष्ट्रपति से मुलाकात के वक्त इन दोनों ही दलों के प्रतिनिधि अपने को दूर रखे.

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देश बदल रहा है!

वैसे बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री से राहुल गांधी की ये मुलाकात करप्शन वाले आरोप के सिलसिले में नहीं बल्कि किसानों की समस्याओं को लेकर रही. फिर भी जो विपक्षी दल नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ थे उन्होंने अब दूरी बना ली है. हो सकता है उन्हें यकीन ही न हो रहा हो कि मुलाकात में किसानों के मुद्दों के अलावा कोई बात हुई ही न हो.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी से मिलने के बाद जब राहुल गांधी चलने लगे तो प्रधानमंत्री ने कहा - "हमें इस तरह से मिलते रहना चाहिये."

समझो और समझाओ

बीजेपी संसदीय दल की बैठक में मोदी ने नेताओं से अपेक्षा की कि पहले तो वे खुद नोटबंदी के फायदे समझ लें और फिर उसे लोगों को समझाएं - और डिजिटल पेमेंट को सफल बनाने के लिए पूरी कोशिश करें. मोदी ने एक तरफ मौजूदा आर्थिक हालात के लिए इंदिरा गांधी को जिम्मेदार बताया तो नोटबंदी को सपोर्ट करने के लिए बिहार और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों - नीतीश कुमार और नवीन पटनायक का शुक्रिया कहा.

नोटबंदी को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तो सांसदों को पहले खुद उसका महत्व समझ लेने की सलाह दी है - उसके बाद लोगों को भी उसके बारे ठीक से समझाने की हिदायत दी है ताकि मोदी के मिशन को सफल बनाया जा सके.

शाह ने सभी सांसदों को अपने इलाके में सात दिन बिताने को कहा है - और नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष की पोल खोलने का फरमान जारी किया है.

समझ नहीं आता वो क्या पोल खोलें कि एटीएम की लाइन में लगे लोगों की मौत की खबरें विपक्ष की साजिश हैं. किसी की कार तो किसी के बाथरूम से जो करोड़ों की रकम बरामद हो रही है वो भी विपक्ष की ही साजिश है.

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घंटों लाइन में गुजारने के बाद भी किसी को एटीएम से दो हजार भी नहीं मिल रहा - और एक कार्पोरेटर के पास से नये नोटों की गड्डियों का मिलना भी विपक्ष की ही साजिश है.

बीजेपी के कई नेता महसूस करने लगे हैं कि नोटबंदी का फैसला बैकफायर करने लगा है. अगर बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल का कोई फॉर्मूला जल्दी नहीं निकाला तो स्थिति और खराब हो सकती है - और फिर यूपी सहित और राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

अगर बीजेपी आलाकमान नोटबंदी को लेकर भी वैसी ही उम्मीद कर रहे हैं जैसी कभी शाइनिंग इंडिया से पार्टी को रही - तो वो बिलकुल सही सोच रहे हैं. नोटबंदी बीजेपी को वैसा ही झटका देने वाली है जैसा शाइनिंग इंडिया से मिला था. बेहतर होता अपनी बात थोपने की बजाए सांसदों और लोगों के मन की बात सुनते.

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