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Updated: 09 अप्रिल, 2020 01:16 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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ट्विटर पर एक पोस्टर देखने को मिला है जिसमें अपील की गयी है कि अगले रविवार यानी 12 अप्रैल को 5 मिनट खड़े होकर (5 Minute Standing Ovation at 5 pm) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को सैल्युट किया जाये. प्रधानमंत्री ने इस हरकत पर कड़ी नाराजगी जतायी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को लेकर दो ट्वीट किया है - और आशंका जतायी है कि ये उन्हें विवादों में घसीटने की किसी की खुराफात लगती है - लेकिन सवाल ये है कि आखिर प्रधानमंत्री को मोदी को ऐसे मुसीबत के वक्त विवादों में घसीटने की खुराफात (Bid to pull into controversy) कर कौन रहा है?

मोदी ने बताया कैसा सम्मान चाहते हैं?

भारतीय जनता पार्टी के 40वें स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को कोरोना संकट के वक्त लोगों की मदद के लिए कई जिम्मेदारियां दी थीं. इन्हीं जिम्मेदारियों में से एक था - हर कार्यकर्ता अपने साथ साथ पांच घरों के लिए खाना बनवाये ताकि मौजूदा मुसीबत के वक्त कोई भी जरूरतमंद भूखा न रहे. प्रधानमंत्री की ये अपील एक तरह से दूसरे राजनीतिक दलों के लिए भी नसीहत रही, लेकिन फिलहाल तो प्रधानमंत्री को अपने ही समर्थकों को सीख देनी पड़ी है.

जनता कर्फ्यू के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में खड़े होकर ताली और थाली बजाने की अपील की थी - और फिर दीया जला कर संकटकाल में एकजुटता प्रकट करने की. लगता है ऐसे ही कुछ उत्साही लोगों ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में 5 मिनट खड़े होकर सम्मान देने की अपील कर डाली. हालांकि प्रधानमंत्री के रिएक्शन के बाद ये ट्वीट डिलीट भी कर दिये गये.

tweet on modi saluteवो ट्वीट जो प्रधानमंत्री मोदी के नाराजगी जाहिर करने के बाद मिटा दिया गया

जिस तरुण शर्मा के हैंडल से ये ट्वीट किया गया है उसका अकाउंट भी नया नया बना है. तरुण शर्मा ने तीन लोगों को फॉलो किया है लेकिन उसे किसी ने भी नहीं फॉलो किया है. जिन तीन लोगों को तरुण शर्मा ने फॉलो किया है उनमें दो नाम हैं - किरन बेदी और रजत शर्मा.

जब मोदी ने अपने सम्मान को लेकर अपील देखी तो अपने हैंडल से ट्वीट कर बता दिया कि अगर कोई उनको सम्मानित करना ही चाहता है तो कोरोना संकट खत्म होने तक कम से कम एक गरीब परिवार का खर्च वहन करने की कोशिश करे.

तरुण शर्मा के ट्वीट के अलावा एक और पोस्टर भी सोशल मीडिया पर देखने को मिला जिसमें वही बात प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के साथ लिखी गयी थी - बाद में न पोस्टर दिखा और न ही #5minutemodi हैशटैग ही.

poster to salute modiमोदी को सम्मान देने के लिए पोस्ट किया गया पोस्टर

सवाल है कि ये कौन लोग हो सकते हैं जिनकी हरकत प्रधानमंत्री को भी लगती है कि उनको विवादों में घसीटने की कोशिश हो सकती है. क्या जो प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में लोगों को 5 मिनट खड़े होने की बात कर रहा है उसके पीछे मोदी के किसी राजनैतिक विरोधी का भी हाथ हो सकता है? ऐसे सवालों का जवाब तो तभी मिल सकता है जब पूरे मामले की जांच हो. जिस लेवल के ट्विटर यूजर की तरफ से ये हरकत हुई है उसे तो वैसे भी कोई भाव नहीं देने वाला लगता है. हो सकता है मोदी के नाम पर ट्वीट कर वो अपने फॉलोवर बढ़ाना चाहता हो. ये भी हो सकता है कि मोदी समर्थक के तौर पर वो सुर्खियों में आने की कोशिश कर रहा हो - और इस तरीके से बीजेपी नेताओं का ध्यान खींचना चाहता हो. अक्सर देखा गया है कि इस तरह की हरकतों से कुछ लोग नेताओं का ध्यान खींच लेते हैं और फिर अपने मिशन में लगे रहते हैं - ऐसे ही एक नेता को तो बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में टिकट तक दे डाला था.

जो कोई भी हो. पोस्टर लगाने वाले से लेकर ट्वीट करने वाले तक - जो भी उनकी मंशा रही हो, प्रधानमंत्री मोदी ने बिलकुल सही नसीहत दी है. अगर वो किसी राजनैतिक विरोधी के बहकावे में भी ऐसा किया हो. अब तो नहीं लगता कि मोदी के नाम इस तरह की हिमाकत फिर कोई कर सकेगा.

बातों बातों में ही सही प्रधानमंत्री मोदी ने ये तो साफ कर ही दिया है कि उनके लिए फिलहाल अपने सम्मान की परिभाषा क्या है?

कैसा होगा कोरोना के बाद का जीवन?

प्रधानमंत्री मोदी ने लोक सभा और राज्य सभा में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मुलाकात की है - और लॉकडाउन को लेकर विचार विमर्श किया है - बैठक में बातें तो बहुत सारे मुद्दों पर हुई, लेकिन एक बात जो निकल कर आयी है उसे समझना महत्वपूर्ण है.

प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में शामिल बीजू जनता दल के नेता पिनाकी मिस्रा ने पीटीआई से कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि लॉकडाउन नहीं हट रहा है और कोरोना वायरस से पहले और बाद का जीवन एक जैसा नहीं रहने वाला है.'

यही वो बात है जो ध्यान देने वाली है - 'कोरोना वायरस से पहले और बाद जीवन एक जैसा नहीं रहने वाला है.'

लॉकडाउन को लेकर तो यही लगता है कि न तो वो 21 दिन पूरा होने पर एक साथ हटने वाला है और न ही इतना जल्दी खत्म होने वाला है, हालांकि, बैठक से ही निकल कर आया है कि 11 अप्रैल को एक बार फिर प्रधानमंत्री देश भर के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करने वाले हैं और इस सिलसिल में ये तीसरी मीटिंग होगी. इससे पहले वाली मीटिंग में प्रधानमंत्री ने सभी मुख्यंत्रियों से ऐसा एक्शन प्लान तैयार करने को कहा था जिसे जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक जैसे लागू किया जा सके. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो इस दिशा में काफी सक्रिय भी दिखे हैं. दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपने तरीके से तैयारियों में लगे होंगे लेकिन उनकी तरफ से ज्यादा जानकारी नहीं दी गयी है.

रही बात कोरोना के बाद वाले जीवन की, तो अगर बीते वक्त से तुलना करें और प्रधानमंत्री मोदी के इशारे को समझें तो शायद काफी कठिन वक्त आने वाला है. ये वहीं नरेंद्र मोदी हैं जो अच्छे दिनों के वादे के साथ आये और कई तरह के चुनावी वादे पूरे करते हुए दोबारा सत्ता में लौटे हैं - और वही मोदी अगर कोरोना के बाद के जीवन को लेकर कोई संदेश दे रहे हैं तो वास्तव में काफी गंभीर स्थिति लगती है.

संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी आगाह किया गया है कि भारत में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ लोग गरीबी की गिरफ्त में आ सकते हैं. ILO यानी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट में कोरोना संकट को दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे भयानक संकट माना है.

श्रम संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत देशव्यापी बंदी से श्रमिक वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है. संगठन का मानना है कि ऐसे 40 करोड़ लोग हैं जिनकी अर्थव्यवस्था में 90 फीसदी की भागीदारी है और उनके सामने गरीबी के चंगुल में फंस जाने का खतरा है.

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे ही किसी खतरे का इशारा कर रहे हैं और गरीबी की आगोश में जाने वाले लोगों के खर्च उठाने को ही अपना सम्मान बता रहे हैं? स्थिति तो काफी भयावह लग रही है - लेकिन जब पूरा देश एकजुट हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है और हर संटक दूर भी हो जाता है.

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#लॉकडाउन, #नरेंद्र मोदी, #कोरोना वायरस, Narendra Modi, Bid To Pull Into Controversy, 5 Minute Standing Ovation At 5 Pm

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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