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Updated: 23 मार्च, 2023 01:52 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे का स्वघोषित मुखिया अमृतपाल सिंह कहां है? पंजाब पुलिस इसे बता पाने में अभी नाकाम है. तलाशी अभियान और छापेमारी जारी है पुलिस बार बार इसी बात को दोहरा रही है कि जल्द ही अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. चूंकि किसी भी सूरत में पुलिस को अपनी कट्टरपंथी विचारधारा से पंजाब समेत देश की अखंडता और एकता को प्रभावित करने वाले अमृतपाल को सलाखों के पीछे डालना है इसलिए उसने अमृतपाल के करीबियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी है. इसी क्रम में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल के पांच करीबियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया है और इन्हें असम में स्थानांतरित कर दिया गया है. क्योंकि अमृतपाल के इन पांच करीबियों पर पूरे देश की नजर है इसलिए हमारे लिए भी जरूरी है कि हम इनके विषय में अधिक से अधिक जानें और साथ ही इस बात को भी समझें कि कैसे और किस तरह ये अमृतपाल को मदद मुहैया करा रहे थे.

बता दें कि अमृतपाल के पांच में से चार सहयोगियों दलजीत कलसी, बसंत सिंह, गुरमीत सिंह भुखनवाला और भगवंत सिंह - को अभी बीते दिन ही विशेष सैन्य विमान द्वारा असम के डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है. पांचवें आरोपी की पहचान हरजीत सिंह के रूप में हुई है, जो अमृतपाल का चाचा है और जिसने पंजाब पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था.

Amritpal Singh, Khalistan, Deep Sidhu, Punjab, Punjab Police, NSAखालिस्तानी समर्थक अमृतपाल की गिरफ्तारी पंजाब पुलिस और सरकार दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है

पंजाब में सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि ये पांच लोग अमृतपाल और उसके संगठन वारिस पंजाब से जुड़े मसलों को 'बारीकी से प्रबंधित' कर रहे थे. ध्यान रहे अमृतपाल ' कट्टरपंथी विचारधारा' से ग्रसित है और जिसने अपने भाषणों में पंजाब को भारत से अलग करने की मांग की थी.

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दायर एफिडेफिट में, पंजाब पुलिस ने दावा किया था कि अमृतपाल और उसके सहयोगी 'राज्य की सुरक्षा के प्रतिकूल' तरीके से काम कर रहे थे. तो ऐसे में अब देर किस बात की आइये जानें कि कौन हैं अमृतपाल से जुड़े ये पांच लोग और कैसे इनके इरादे बेहद खतरनाक हैं.

हरजीत सिंह

हरजीत सिंह, अमृतपाल का चाचा है जो उसके मैनेजर की तरह काम करता था. हरजीत सिंह के विषय में जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक वो दुबई में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाता था जहां भारत आने से पहले अमृतपाल काम करता था. बताया जाता है कि अमृतपाल के हिंदुस्तान आने और वारिस पंजाब दे का सर्वेसर्वा बनने के बाद हरजीत सिंह ने भी औरों की तरह उसे ज्वाइन किया और बहुत ही कम समय में उसका विश्वासपात्र बन गया और तमाम मौकों पर न केवल उसका साथ दिया बल्कि उसे बचाया भी.

अपने आत्मसमर्पण से पहले हरजीत सिंह ने पुलिस को ये भी बताया कि ये बात बिल्कुल झूठ है कि एक संगठन के रूप में वारिस पंजाब दे पंजाब का माहौल ख़राब करने का प्रयास कर रहा था. हरजीत का दावा है कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि अमृतपाल कहां है.

बसंत सिंह फौजी

पंजाब के मोगा से संबंध रखने वाला बसंत सिंह फौजी का शुमार उन लोगों में है जिनका शुमार अमृतपाल के खासमखास में है. बसंत के विषय में जो जानकारी आई है उसके मुताबिक बसंत, शुरुआत में संगठन में अमृतपाल के बॉडीगार्ड के रूप में नियुक्त हुआ. बाद में उसने उस नशा मुक्ति केंद्र की देखभाल शुरू कर दी, जिसे अमृतपाल ने अपने पैतृक गाँव जल्लू खेड़ा में स्थापित किया था. यहां भी दिलचस्प ये है कि इस नशामुक्ति केंद्र का इस्तेमाल युवाओं में कट्टरता फैलाने और उन्हें अलगाववाद की आग में धकेलने के लिए किया जाता है.

गुरमीत सिंह बुक्कनवाल

बसंत सिंह फौजी की तरह ही गुरमीत सिंह बुक्कनवाल भी मोगा का रहने वाला है. माना जाता है कि बुक्कनवाल मोगा में वारिस पंजाब दे का इंचार्ज था जो पहले दीप सिद्धू और उसकी मौत के बाद अमृतपाल का करीबी बन गया. विचारों के लिहाज से बुक्कनवाल भी बेहद खतरनाक है जो पंजाब में कम पढ़े लिखे युवाओं को बरगलाने का काम कर रहा है.

दलजीत कलसी

सुरक्षा एजेंसियों से जारी तथ्यों और मीडिया रिपोर्टों पर गौर करें तो, पंजाबी अभिनेता से बिजनेसमैन बना दलजीत कलसी, अमृतपाल और वारिस पंजाब दे का मुख्य फाइनेंसर और सलाहकार है. कलसी के विषय में बताया जाता है कि वह काफी लंबे समय तक वारिस पंजाब दे के संस्थापक दीप सिद्धू का सहयोगी रहा है. कलसी की ट्विटर प्रोफाइल का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उसने दीप सिद्धू के साथ-साथ कई बॉलीवुड अभिनेताओं और सिंगर्स संग तस्वीरें खिंचवाई हैं और सोशल मीडिया पर अपलोड किया है.

दलजीत के इरादे भी कितने खतरनाक हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दीप सिद्धू की मौत के बाद, वारिस पंजाब दे के प्रभारी के रूप में अमृतपाल के चुनाव में कलसी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, मामले में दिलचस्प ये था कि सिद्धू के भाई और परिवार वाले कलसी के इस विचार के खिलाफ थे. वो लोग अमृतपाल और उसकी विचारधारा से सहमत नहीं थे.

कई रिपोर्ट्स में ये भी आया है कि कलसी कई फर्मों के बोर्ड में था, जो कथित रूप से पोंजी स्कीम चलाने सहित अनियमित गतिविधियां को अंजाम दे रहा था. कलसी पर पिछले दो वर्षों में विदेशों से 35 करोड़ रुपये प्राप्त करने का भी आरोप है. माना जाता है कि इन्हीं पैसों का इस्तेमाल उसने वारिस पंजाब दे के लिए किया. कहा ये भी जा रहा है कि कलसी के तार पाकिस्तान से भी जुड़े हैं जहां से उसे कई कॉल्स आई हैं.

भगवंत सिंह उर्फ प्रधानमंत्री बाजेके

अगर सवाल ये हो कि अमृतपाल की टीम में आखिर वो व्यक्ति कौन है जो बेहद खतरनाक है? जवाब होगा भगवंत सिंह उर्फ प्रधानमंत्री बाजेके. भगवंत सिंह को लेकर पंजाब पुलिस का कहना है कि वह वारिस पंजाब दे संगठन के माध्यम से युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में सबसे आगे था और राज्य में कानून व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा था.

ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने मुखर व्यवहार से कई लोगों को वारिस पंजाब दे की ओर आकर्षित किया था, आगे कुछ कहने से पहले ये बता देना बहुत जरूरी है कि बाजेके के यूट्यूब पेज पर तो बैन लगा दिया गया है लेकिन उसका फेसबुक पेज अभी भी चल रहा है जहां उसके छह लाख से ऊपर फॉलोअर्स हैं.

भगवंत सिंह के बारे में एक खास बात ये भी है कि वह अक्सर अपने वीडियो में अपने विरोधियों को चुनौती देता नजर आता है. साथ ही उसे अक्सर ही मोहाली में भी देखा गया है जहां उसने कौमी इंसाफ मोर्चा द्वारा उग्रवाद के दोषी सिखों की रिहाई के लिए चल रहे विरोध में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है.

Amritpal Singh, Khalistan, Deep Sidhu, Punjab, Punjab Police, NSAशुरुआत में वारिस पंजाब दे का उद्देश्य पंजाब के हित की बात करना था लेकिन अमृतपाल के आने के बाद सब बदल गया

क्या है वारिस पंजाब दे

वारिस पंजाब दे, यानी वो लोग जो 'पंजाब के वारिस' हैं. संगठन को 30 सितंबर 2021 को अभिनेता से सामाजिक कार्यकर्त बने संदीप सिंह उर्फ ​​दीप सिद्धू ने शुरू किया था. संगठन का प्राथमिक उद्देश्य सामाजिक मुद्दे उठाने के अलावा पंजाब के अधिकारों की रक्षा करना और उनके लिए लड़ना था. 2021 में एक कार्यक्रम में, सिद्धू ने कहा था कि, 'संगठन पंजाब के अधिकारों के लिए केंद्र के खिलाफ लड़ेगा और जब भी पंजाब की संस्कृति, भाषा, सामाजिक ताने-बाने और अधिकारों पर कोई हमला होगा, आवाज उठाएगा.'

वहीं तब सिद्धू ने इस बात को भी कहा था कि यह उन लोगों के लिए एक मंच है जो वर्तमान परिदृश्य में पंजाब की सामाजिक वास्तविकता से संतुष्ट नहीं हैं. वारिस पंजाब दे को सिद्धू ने पूर्णतः सामाजिक मंच करार दिया था और कहा था कि, यह कोई चुनावी हथकंडा नहीं है. हम किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं कर रहे हैं.

अपनी बातों में सिद्धू ने ये भी जाहिर किया था कि संगठन हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई में हर उस व्यक्ति का है जो पंजाब के अधिकारों के लिए हमारे साथ लड़ेंगे. 47 का जिक्र करते हुए सिद्धू ने कहा था कि 1947 से पहले तक हम आपस में मिलजुल कर रहते थे, लेकिन अंग्रेजों ने हमसे वह भाईचारा छीन लिया. सिद्धू द्वारा सिमरनजीत सिंह मान के शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) को समर्थन देना भर था. संगठन ने खालिस्तान समर्थक मोड़ ले लिया.

Amritpal Singh, Khalistan, Deep Sidhu, Punjab, Punjab Police, NSAएकेएफ ही वो संगठन है जो अमृतपाल और उसके सहयोगियों को हथियार मुहैया करा रहा है

क्या है अमृतपाल का नया संगठन AKF

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल की जो तस्वीरें अब तक मीडिया या फिर सोशल मीडिया पर आई हैं उनमें एक कॉमन चीज है. कई तस्वीरों में हमें AKF दिखा है. बताया जा रहा है कि अलगाववादी वाली छवि रखने वाले अमृतपाल और उसके गुर्गों को बंदूकों से लेकर बुलेट प्रूफ जैकेट तक हर वो चीज जो पंजाब की शांति को भंग कर रही है उसे AKF द्वारा ही मुहैया कराया गया है.

जब इस संगठन के बारे में पड़ताल हुई तो मालूम यही चला है कि अमृतपाल एक फ़ौज का निर्माण कर रहा था जिसका नाम AKF या आनंदपुर खालसा फ़ौज है. अमृतपाल ने अपने इस संगठन का नाम आनंदपुर खालसा फ़ौज क्यों रखा? ये सवाल भी कम रोचक नहीं है.

बताते चलें की आनंदपुर ही वो जगह थी जहां से सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने मुगलिया हुकूमत से लड़ाई लड़ी थी. सवाल ये है कि आखिर किस्से लड़ाई करने की फ़िराक में था अमृतपाल? बहरहाल बात अमृतपाल के सहयोगियों पर एनएसए लगाने की हुई है तो जो काम पंजाब में पुलिस ने आज किया उसे काफी पहले हो जाना था.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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