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Updated: 28 अगस्त, 2016 10:58 AM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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भारत को हमेशा से साधु - संतो का देश कहा जाता रहा है, मगर ऐसा शायद पहली बार हुआ है जब किसी विधानसभा के सत्र की शुरुआत किसी संत के प्रवचन से की गयी हो. सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, मगर हरियाणा की खट्टर सरकार ने इस बार मानसून सत्र की शुरुआत जैन धर्मगुरु तरुण सागर के 'कड़वे वचन' से की.

ऐसा शायद भारतीय राजनीति के इतिहास में पहली ही बार हो रहा जब किसी संत के प्रवचन से सत्र की शुरुआत हो. सरकार ने भी अपनी तरफ से संत के आदर में कोई कमी नहीं करते हुए उनके बैठने के लिए विधानसभा में सबसे ऊँची सीट लगायी थी, तरुण सागर के लिए लगायी गयी सीट गवर्नर, मुख्यमंत्री और बाकी विधायकों की सीट से ऊंची थी.

तरुण सागर ने अपने प्रवचन के माध्यम से राजनीती का पाठ वहाँ मौजूद मंत्री, विधायकों और अधिकारियों को पढ़ाया. सागर ने धर्म की प्रधानता बताते हुए कहा कि, धर्म पति है और राजनीती पत्नी, हर पति की यह ड्यूटी है कि वह अपनी पत्नी की सुरक्षा करे. हर पत्नी का धर्म होता है कि वह पति के अनुशासन को स्वीकार करे. अगर राजनीति पर धर्म का अंकुश नहीं होगा तो वह मस्त-मग्न हाथी की तरह हो जाती है.

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 विधान सभा में धर्मगुरु!

विधानसभा में तरुण सागर ने कन्या भ्रूण हत्या और पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर भी विधायकों को उपदेश दिए. सागर ने कन्या भ्रूण हत्या से निपटने के कई तरीके भी बताये. सागर ने अपने प्रवचन में दागी नेताओं पर भी सवाल उठाते हुए दागी लोगों को राजनीती से दूर रखने की भी नसीहत दी.

अब यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि इस प्रवचन का कितना असर वहां मौजूद नेताओं पर पड़ेगा, हो सकता है कि आने वाले दिनों में कुछ और राज्यों के विधानसभा इस तरह के कुछ कार्यक्रम आयोजित करें. और हो सकता है कि भ्रूण हत्या रोकने के उपाय जो तरुण सागर ने बताये उनका अनुपालन सरकार अपने योजनायों में भी कर ले.

हालांकि, किसी संत के सम्मान में कोई बुरी बात नहीं, और हर नेता अधिकारी की अपनी आस्था हो सकती है, मगर विधानसभा में इस तरह के आयोजन कई सवाल भी खड़े करता है. जो स्थान जनता के चुने नुमाइंदों के चर्चा का है वहां अगर उपदेशों के जरिये चीजें समझाई, बतलाई जाए तो यह चिंतनीय जरूर है.

लेखक

अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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