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Updated: 02 जून, 2022 03:49 PM
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प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ के लिए तलब किया है. ईडी की ओर से भेजे गए नोटिस के बारे में कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. ताजा नोटिस के बारे में जानकारी देते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 'सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ईडी ने 8 जून को पूछताछ के लिए बुलाया है. सोनिया गांधी इस मामले में ईडी के सामने पेश होंगी. लेकिन, राहुल गांधी अभी विदेश में हैं. अगर वह तब तक वापस आ जाते हैं, तो ईडी के सामने पेश होंगे. अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम आगे समय देने की मांग करेंगे.' बता दें कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व यानी गांधी परिवार लंबे समय से नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट के चक्कर काट रहा है. आइए जानते हैं कि नेशनल हेराल्ड केस क्या है? और, इसका सोनिया गांधी और राहुल गांधी से क्या लेना-देना है?

National Herald case EDनेशनल हेराल्ड केस को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्ज कराया था.

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

2012 में भाजपा नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में एक शिकायत दर्ज कराई कि AJL के यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) द्वारा किए गए अधिग्रहण में कुछ कांग्रेस नेताओं की संलिप्तता है. सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि यंग इंडियन लिमिटेड द्वारा एजेएल कंपनी के अधिग्रहण को 'गलत' तरीके से अंजाम दिया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि यंग इंडियन लिमिटेड ने बंद हो चुके प्रिंट मीडिया आउटलेट की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को लाभ पाने की नीयत से अधिग्रहित किया. स्वामी ने ये भी दावा किया कि यंग इंडियन लिमिटेड ने 90.25 करोड़ की वसूली के अधिकार को पाने के लिए केवल 50 लाख रुपये ही चुकाए. जो एजेएल कंपनी को कांग्रेस की ओर से उधार के तौर पर दिया गया था. सुब्रमण्यम स्वामी ने ये भी दावा किया कि एजेएल को लोन भी अवैध तरीके से दिया गया था. क्योंकि, यह पार्टी फंड के पैसों से ही दिया गया था.

2014 में शुरू हुई जांच

2014 में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस में जांच को आगे बढ़ाया. ताकि, पता लगाया जा सके कि क्या इसमें मनी लॉन्ड्रिंग की गई थी? 18 सितंबर 2015 में बताया गया कि ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस की जांच को फिर से शुरू कर दिया है.

क्या है एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड?

जवाहर लाल नेहरू ने कई स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर 1938 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का गठन किया था. आजादी से पहले बनाई गई AJL के जरिये अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज नाम के समाचार पत्रों को प्रकाशित किया जाता था. आजादी के बाद ये अखबार कांग्रेस के मुखपत्र बन गए. लेकिन, 90 के दशक के बाद इस व्यापार में घाटा दर्ज होने लगे. 2008 आते-आते कंपनी पर 90 करोड़ से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया. जिसके बाद अखबारों का प्रकाशन बंद कर दिया गया.

क्या है यंग इंडियन लिमिटेड?

यंग इंडियन लिमिटेड को 2010 में बनाया गया था. राहुल गांधी इस कंपनी के डायरेक्टर थे. जो उस समय कांग्रेस के महासचिव थे. यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी के 76 फीसदी शेयर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नाम पर थे. बाकी के 24 फीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोहरा और ऑस्कर फर्नांडीज के नाम पर थे. बता दें कि मोतीलाल वोहरा और ऑस्कर फर्नांडीज का पहले ही निधन हो चुका है.

AJL के शेयरहोल्डर्स के आरोप

एजेएल के यंग इंडियन लिमिटेड द्वारा अधिग्रहण के दौरान इसके कई शेयरहोल्डर्स ने आपत्ति जताई. जिनमें पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और उच्च न्यायालय को चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने आरोप लगाया कि उन्हें इस अधिग्रहण के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि उनके पिता के नाम पर जारी हुए एजेएल के शेयर्स को बिना सहमति लिए ही ट्रांसफर कर दिया गया.

कौन है आरोपी?

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दर्ज कराए गए मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोहरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया गया था.

नेशनल हेराल्ड केस राजनीति से प्रेरित :कांग्रेस

कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड केस में आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि यंग इंडियन लिमिटेड की स्थापना चैरिटी के उद्देश्य से की गई थी, नाकि कोई लाभ लेने के लिए. कांग्रेस की ओर से दावा किया गया है कि लेन-देन पूरी तरह से वैध था. इसे अवैध नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, यह कंपनी के शेयर्स को ट्रांसफर करने के लिए एक कॉमर्शियल लेन-देन भर था. कांग्रेस ने सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर सवाल उठाते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया.

अब तक क्या हुआ?

2015 में नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ट्रायल कोर्ट से जमानत मिल गई. 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को प्रत्यक्ष रूप से पेश होने से छूट दे दी. 2018 में केंद्र सरकार ने 56 साल पुरानी लीज को खत्म करने का फैसला लिया. और, एजेएल को उस परिसर से बेदखल कर दिया. लेकिन, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी.

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