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Updated: 30 जून, 2021 04:50 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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2014 में कांग्रेस क्यों धाराशाही हुई और कैसे बीजेपी सत्ता में आई ? कांग्रेस समर्थक Anti incumbency को आधार बनाकर संतोष कर सकते हैं लेकिन जब हम 2019 आम चुनावों पर नजर डालते हैं और परिणामों का अवलोकन करते हैं तो मिलता है कि देश की जनता द्वारा कांग्रेस को नकारने की एकमात्र वजह Anti Incumbency तो थी ही इसका एक बड़ा कारण पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी भी थे.

2019 आम चुनाव में अमेठी में जिस तरह राहुल गांधी, स्मृति ईरानी से हारे उसने तमाम बातों पर मोहर लगा दी. सवाल होगा कि राहुल गांधी, 2019 आम चुनाव और अमेठी का जिक्र क्यों? जवाब के लिए हमें एक्टर सोनू सूद से मिलने के अलावा केरल चलना होगा और राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र 'वायनाड' का दौरा करना होगा. अब इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और जो काम वायनाड के लिए राहुल गांधी को बहुत पहले कर देना था उस काम को करने के लिए एक्टर सोनू सूद ने अपनी कमर कस ली है.

Rahul Gandhi, Sonu Sood, Education, Online Education, Wayanad, Kerala, MPवायनाड में अपने प्रयासों से सोनू सूद ने राहुल गांधी को शर्मसार कर दिया है

क्या है मामला

देशभर में उच्च साक्षरता दर वाले राज्य केरल में कोविड 19 के कारण शिक्षा के प्रवाह में जो असर पड़ा है उसे जानने के लिए आजतक / इंडिया टुडे ने रियलिटी चेक किया. इंडिया टुडे ये जानना चाह रहा था कि केरल में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिक्षा के आ जाने से छात्रों को किन चुनैतियों का सामना करना पड़ रहा है.इसी क्रम में जब उत्तरी केरल स्थित वायनाड जोकि राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है वहां जब इंडिया टुडे की टीम गई तो जो बातें निकल कर आईं वो चौंकाने वाली थीं.

2019 से राहुल यहां के सांसद हैं और जैसे हालात हैं उन्होंने न केवल बतौर सांसद राहुल गांधी को बेनकाब किया बल्कि ये भी बताया कि 3 साल सांसद रहने के बावजूद उन्होंने यहां भी अमेठी वाला काम किया और विकास के नाम पर या तो जुमले दिये या फिर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तरह तरह के आरोप लगाए.

सरकारी डेटा पर यकीन करें तो वायनाड का 74.10 फीसदी क्षेत्र जंगल है. आदिवासियों की भी एक बड़ी आबादी यहीं पर वास करती है. पर्यावरण की दृष्टि से भले ही ये एक हरा भरा क्षेत्र हो लेकिन बात ऑनलाइन एजुकेशन और इंटरनेट कनेक्टिविटी की हुई है तो बताना जरूरी है कि यहां टावर नहीं है इसलिए डिजिटल इंडिया की इन बड़ी बड़ी बातों के बीच यहां छात्रों को इंटरनेट ही नहीं मिल पा रहा है.

हमारी आपकी तरह ये खबर गरीबों के मसीहा और इस कोरोनकाल में किसी सुपर हीरो की तरह सामने आए सोनू सूद तक भी पहुंची. सोनू ने न केवल इस समस्या का संज्ञान लिया बल्कि ट्विटर पर इंडिया टुडे समूह के पत्रकार को आश्वासन दिया को वायनाड में जल्द से जल्द नया टावर लगाया जाएगा.

सवाल ये है कि बतौर सांसद राहुल गांधी को अपने क्षेत्र से जुड़ी इस समस्या की जानकारी जरूर रही होगी. ऐसे में यदि उनका काम बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद को करना पड़ रहा है तो साफ हो जाता है कि राहुल गांधी में राजनीतिक योग्यता कितनी है.

मामले पर इंडिया टुडे पत्रकार को जवाब देते हुए सोनू ने ट्वीट अपने फाउंडेशन के अलावा चंद और लोगों को टैग किया है. सोनू ने लिखा है कि - किसी की भी पढ़ाई अधूरी नही4 रहेगी. @Itsgopikrishnan वायनाड में सबको बता दीजिए कि हम वहां पर मोबाइल टावर इंस्टाल करने के लिए एक टीम भेज रहे हैं. साथ ही सोनू ने ये भी लिखा कि @Karan_Gilhotra अब वक्त आ गया है कि हम अपनी सीटबेल्ट कस कर बांध लें. एक और मोबाइल टावर लगाने का वक़्त आ गया है @Sood Foundation.

राहुल जान लें सोनू सांसद नहीं है.

हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि यहां साफ कमी राहुल गांधी की है. जब वो देख रहे थे कि हाथियों के अलावा इंटरनेट बच्चों की पढ़ाई बाधित कर रहा है तो उन्होंने मामले के मद्देनजर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? बात सीधी और साफ है यदि राहुल का काम एक बॉलीवुड एक्टर को करना पड़ रहा है तो ये बात राहुल गांधी की पॉलिटिकल समझ पर सवाल उठाती है और उनकी काबिलियत को सवालों के घेरे में लाती है.

राहुल ने अपने को साबित करने का बड़ा मौका गंवा दिया है.

वायनाड में जो मामला इंटरनेट का सामने आया है उसके लिए राहुल गांधी न तो नरेंद्र मोदी और भाजपा को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं न ही इसके लिए गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह जैसे लोग जिम्मेदार है. राहुल वायनाड के सांसद थे अमेठी हारने के बाद पहले ही उनकी बड़ी फजीहत हो चुकी थी.

ऐसे में राहुल के पास क्षेत्र की समस्याओं के निदान के रूप में अपने को सिद्ध करने का एक बड़ा मौका था और पूरे मामले में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यही है ये मौका राहुल ने गंवा दिया है.

कह सकते हैं कि बतौर सांसद राहुल गांधी के लिए इस समस्या का समाधान कराना एक बहुत छोटी सी बात थी जिसका बड़ा फायदा उन्हें भविष्य या बहुत सीधे कहें तो 2024 के आम चुनाव और 22 में होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिलता. इस मामले के बाद ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं है कि अब वो वक़्त आ गया है जब एक राजनेता, एक सांसद के रूप में राहुल गांधी को समझ लेना चाहिए कि राजनीति का मतलब न तो केवल आरोप प्रत्यारोप हैं और न ही बतकही.

खैर इस पूरे मामले में हीरो सोनू सूद हैं. ये सोनू के ही प्रयास हैं जिनके बाद इस पहल के लिए सोये हुए राहुल गांधी जागे और उन्होंने चिट्ठी लिखने की जहमत उठाई.

अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि ये वाक़ई शर्मनाक है जब किसी सांसद का काम किसी एक्टर को करना पड़े. ऐसा सांसद जिसे देश बतौर प्रधानमंत्री देख रहा है. जिससे देश के एक वर्ग को ठीक ठाक उम्मीदें हैं जिसका मानना है कि अपने पिता की तरह राहुल भी भारत की तस्वीर बदलने और उसे बुलंदियों पर ले जाने का सामर्थ्य रखते हैं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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