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Updated: 14 नवम्बर, 2015 06:05 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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पिछले साल जबर्दस्त बहुमत के साथ जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए तो ब्रिटेन के अखबार 'द गार्डियन' में संपादकीय छपा. अखबार ने लिखा कि सच्चे रूप में आज अंग्रेज भारत से बाहर हो गए. अकबार ने लिखा कि कांग्रेस शासन कहीं न कहीं ब्रिटिश राज का ही विस्तार था. यह वही अखबार है जिसके पत्रकार ने दो दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी से चुभता हुआ सवाल पूछा था और फिर चर्चा भारत समेत पूरी दुनिया में हुई.

ये सवाल भारत समेत ब्रिटेन के अखबारों की सुर्खियां बना. कई लोगों ने इसकी आलोचना भी की और आरोप लगाया कि ब्रिटिश मीडिया का मकसद मोदी को अपमानित करने का था. जानबूझकर ऐसे सवाल उठाए गए जिसका वहां कोई महत्व नहीं था. बहरहाल, मकसद जो भी रहा हो लेकिन ब्रिटेन दौरा खत्म होने से पहले मोदी इसका जवाब देना नहीं भूले.

इमरान खान का जिक्र

'राजस्थान के अलवर जैसे छोटे स्थान के इमरान ने मोबाइल के 50 एप बनाए हैं. ये सभी एप उसने विद्यार्थियों को मुफ्त में समर्पित कर दिया हैं. मेरा हिंदुस्तान अलवर के उस इमरान खान में बसता है.' वेम्बले स्टेडियम में 50,000 से ज्यागा लोगों के सामने नरेंद्र मोदी ने यह बात यूं ही नहीं बोली. यह तो विरोधी भी मानते हैं कि मोदी सार्वजनिक मंचों से अपनी बात मजबूती से रखने का हुनर जानते हैं. ब्रिटेन दौरे में मोदी का यह आखिरी कार्यक्रम था और इसलिए इस मंच का भरपूर प्रयोग उन्होंने तमाम आरोपों का जवाब देने में किया. बिना किसी का नाम लिए और बिना कोई विवाद को चर्चा में लाए.

विदेशों में भारतवंशियों के बड़े जनसैलाब के सामने भाषण मोदी के लिए नया नहीं है. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी 30 से ज्यादा देशों की यात्रा कर चुके हैं और तकरीबन हर जगह खुद को वहां बसे भारतीयों के बीच ले जाते रहे हैं. इस लिहाज से वेम्बले का आयोजन भी कुछ वैसा ही था. वह हर बार की तरह यहां भी अपने काम और योजनाओं का बखान करते रहे जिसमें बैंक अकाउंट खुलवाना, स्कूलों में शौचालय बनवाने की योजनाएं तक शामिल हैं. हमेशा की तरह उन 18,000 गांव का भी जिक्र हुआ जहां बिजली के खंभे तक नहीं पहुंचे हैं.

मतलब, ज्यादातर बातें वहीं थीं, जिसे हम सबने पहले भी सुना है. उसी अंदाज में. लेकिन इसके बावजूद वेम्बले का भाषण सबसे अलग रहा. खासकर जिस प्रकार मोदी ने भाषण की शुरुआत की और जिस प्रकार उसे खत्म किया. मोदी भाषण के शुरुआती चरण में ही विविधताओं की बात करते हैं. 100 भाषाएं, 1500 बोलियां और हजारों खानपान की पद्धतियों तथा सैकड़ों वेश-भूषा की चर्चा करते हैं और फिर बड़ी मजबूती से तमाम विविधताओं को विशेषता की संज्ञा भी देते हैं.

हिंदुस्तान केवल वह नहीं है जो टीवी पर दिखता है..

अपने भाषण में सिख समुदाय और पंजाब का जिक्र. सूफी परंपरा और इस्लाम की बात. जाते-जाते टीवी पर्दे और अखबारों की हेडलाइन का जिक्र. 'हिंदुस्तान केवल वही नहीं है जो टीवी के पर्दे पर दिखता है और जो अखबारों में छपता हैं. मेरा हिंदुस्तान बहुत गहरा हिंदुस्तान है, ऊंचा है, उत्तम है.' नरेंद्र मोदी ने इस एक लाइन से कई आरोपों का एक साथ जवाब देने की कोशिश की और कामयाब रहे.

ब्रिटेन दौरा आर्थिक और द्विपक्षीय रूप से भारत के लिए कितना फायदेमंद रहा, यह हिसाब-किताब की बातें हैं. लेकिन मोदी के लिए यह अब तक का सबसे चुनौती पूर्ण दौरा साबित हुआ. मोदी का विरोध पहले के विदेश दौरों में भी होता रहा है लेकिन ब्रिटेन में इसे विशेष कवरेज मिली. टीवी की भाषा में कहें तो इसे स्पेस खूब मिला. ब्रिटिश अखबारों में जहां कही भी मोदी का जिक्र हुआ तो उसी आर्टिकल में नीचे गुजरात दंगे का 'जिन्न' भी साथ खड़ा रहा. लेकिन फिर भी दौरा खत्म होते-होते बाजी मोदी ही मार ले गए.

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लेखक

विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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