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Updated: 11 दिसम्बर, 2018 09:55 PM
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विधानसभा इलेक्शन 2018 अब अपने दिलचस्प मोड़ पर आ गया है जहां मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. जहां सिर्फ एक-एक सीट से कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस आगे बढ़ रही है. राजस्थान में कांग्रेस पूर्ण बहुमत की तरफ बढ़ गई है, छत्तीसगढ़ में भी जीत कांग्रेस की ही होती दिख रही है. हां बाकी दो राज्यों में जरूर कांग्रेस पीछे है, लेकिन वहां भी भाजपा आगे तो बिलकुल नहीं है. अब जैसे-जैसे इन पांचों राज्यों के नतीजे आ रहे हैं उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि मामला काफी हद तक साफ हो गया है.

नतीजे वैसे ही आते दिख रहे हैं जैसा कि एग्जिट पोल्स में सामने आया था और इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर ग्राफ भी दिखना शुरू हो गया है. वैसे तो अभी नतीजे नहीं आए हैं, लेकिन ऐसा कम ही हुआ है कि इलेक्शन कमीशन के ये ग्राफ गलत बताएं. यहां सीटों पर नहीं बल्कि वोट प्रतिशत के हिसाब से चुनावी नतीजों की बात हो रही है और यही कारण है कि इन ग्राफ्स पर चर्चा करना भी जरूरी हो गया है.

1. छत्तीसगढ़ के नतीजे-

छत्तीसगढ़ चुनाव के नतीजों की बात करें तो ग्राफ बताता है कि कांग्रेस लगभग 11% के हिसाब से वोटों से आगे है. यानी कि निर्णायक फैसला. ये ग्राफ दिखाता है कि कांग्रेस पूर्ण बहुमत की ओर आगे बढ़ रही है. अन्य पार्टियों का यहां ज्यादा योगदान नहीं है और भाजपा का वोट प्रतिशत कांग्रेस के मुकाबले काफी कम है.

कांग्रेस की बढ़त छत्तीसगढ़ में निर्णायक है.कांग्रेस की बढ़त छत्तीसगढ़ में निर्णायक है.

तीसरा नंबर यहां जनता कांग्रेस का है और जैसी उम्मीद की जा रही थी अजीत जोगी की पार्टी ही तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. अभी लगातार छत्तीसगढ़ की सीटों के रुझान आ रहे हैं और जैसे रुझान दिख रहे हैं उनमें भी साफ लग रहा है कि कांग्रेस आगे है और कांग्रेस ही छत्तीसगढ़ में सरकार बनाएगी. लगातार तीन हार के बाद कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में जीत का खाता खोल लिया. वो भी ऐसा- वैसा नहीं दो तिहाई बहुमत वाला. सूबे में ऐसा बहुमत कभी नहीं दिखा, तब भी नहीं जब लोग जोगी के तीन साल की सरकार से नाराज़ थे, तब भी नहीं जब चावल वाले बाबा का जादू सिर चढ़कर बोल रहा था और तब भी नहीं जब झीरम घाटी हमले के बाद कांग्रेस पूरी तरह बिखर गई थी.

छत्तीसगढ़ में पिछली बार वोट प्रतिशत कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर दिखा रहा था 2013 विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ में भाजपा को 41% वो मिले थे और कांग्रेस बेहद कम अंतर से 40% पर रह गई थी.

2. मध्य प्रदेश के नतीजे-

11 दिसंबर को जिन भी विधानसभा क्षेत्रों के नतीजे आ रहे हैं उनमें सबसे ज्यादा उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है. सबसे कम मार्जिन मध्य प्रदेश में ही है दोनों बड़ी पार्टियों के बीच. पिछली बार के चुनावों के नतीजों का आंकलन करें तो भाजपा मध्य प्रदेश में 44.88% वोटों से आगे थी और कांग्रेस के खाते में 36.38% वोट ही आए थे. पर इस बार बाज़ी पलटी हुई सी लग रही है.

मध्य प्रदेश की सीटों की गणना में 4.30 बजे शाम तक कांग्रेस 116 सीटों से बढ़त हासिल किए हुए हैमध्य प्रदेश की सीटों की गणना में 4.30 बजे शाम तक कांग्रेस 116 सीटों से बढ़त हासिल किए हुए है

राज्य में तीसरे नंबर पर कोई पार्टी नहीं बल्कि निर्दलीय हैं और आलम ये है कि ये निर्दलीय प्रत्याशी भी मध्य प्रदेश की राजनीति में किंग मेकर की भूमिका निभा सकते हैं. हालांकि, कांग्रेस तेजी से आगे बढ़ रही है और ऐसा भी हो सकता है कि इसकी जरूरत ही न पड़े. हालांकि, मध्य प्रदेश में मुद्दे का सवाल ये है कि अगला मुख्य मंत्री कौन होगा? वहां भी कांग्रेस के दो बड़े चेहरे कतार में हैं और अगर पूर्ण बहुमत नहीं भी मिला तो भी कांग्रेस को सिर्फ कुछ ही सीटों का अंतर देखने को मिलेगा. ऐसे में कांग्रेस की सरकार बनने पर कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच वही टक्कर देखने को मिलेगी जो अभी कांग्रेस और भाजपा के बीच देखने को मिल रही है.

मध्य प्रदेश में अभी पूर्ण बहुमत की स्थिती किसी एक पार्टी को मिलती नहीं दिख रही है, लेकिन नतीजे सामने आने तक कुछ भी हो सकता है.

3. राजस्थान के नतीजे-

राजस्थान में सत्ता विरोधी लहर का फायदा पूरा-पूरा कांग्रेस को मिलता दिख रहा है और इलेक्शन कमीशन के ग्राफ देखें तो कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है. हां, भाजपा और कांग्रेस के बीच का अंतर ज्यादा नहीं है, लेकिन फिर भी कांग्रेस की बढ़त देखकर लगता है कि पार्टी पूर्ण बहुमत की ओर बढ़ सकती है.

राजस्थान में भी कांग्रेस बेहद अच्छा प्रदर्शन कर रही है.राजस्थान में भी कांग्रेस बेहद अच्छा प्रदर्शन कर रही है.

राजस्थान की राजनीति का एक बड़ा असर ये है कि यहां पर भी निर्दलीय उम्मीदवार निर्णायक भूमिका में पहुंच गए हैं और अगर दोनों में से किसी भी बड़ी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो ये निर्दलीय उम्मीदवार ही किंग मेकर की भूमिका में आ सकते हैं. हालांकि, बसपा का रोल भी यहां कम नहीं समझा जा सकता है. राजस्थान में भी मध्य प्रदेश की तरह कांग्रेस के दो बड़े चेहरे हैं जो चुनाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं और यहां भी मुख्य मंत्री का पद किसे मिलेगा इसके बारे में लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं. सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच का विवाद किसी से छुपा नहीं है ऐसे में राजस्थान का अगला मुख्य मंत्री कौन होता है ये देखने वाली बात होगी. पिछली बार के चुनावों के नतीजों का आंकलन करें तो भाजपा राजस्थान में 45% वोटों से आगे थी और सरकार बनाई गई थी. कांग्रेस यहीं पर 33.07% वोटों पर सिमट गई थी. 

4. तेलंगाना के नतीजे-

तेलंगाना में भी मामला लगभग पूरी तरह से एकतरफा दिख रहा है. ग्राफ्स पर जाएं तो देखेंगे कि वोटिंग प्रतिशत TRS के लिए ज्यादा आया है.

TRS के पूर्ण बहुमत की ओर है, लेकिन यहां भी भाजपा निर्णायक हो सकती हैTRS के पूर्ण बहुमत की ओर है, लेकिन यहां भी भाजपा निर्णायक हो सकती है

हालांकि, कांग्रेस वहां दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन बड़ी बात ये है कि क्या तेलंगाना को पूर्ण बहुमत मिलता है या फिर नहीं. अगर नहीं मिलता तो किंग मेकर की भूमिका में यहां कोई भी दूसरी छोटी पार्टी आ सकती है और जैसा कि पिछले चुनावों के नतीजों से सामने आया है भाजपा गठबंधंन की सरकार बना ले जाती है. पर AIMIM के असद्दुदीन ओवैसी ने पहले ही अपना सपोर्ट TRS को देने की घोषणा कर दी है. ओवैसी अपनी सीट चंद्रायानगुट्टा से जीत गए हैं और वो भाजपा या कांग्रेस किसी भी पार्टी के साथ जाने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में 47% TRS को अगर AIMIM का साथ मिल जाता है तो तेलंगाना के नतीजे साफ दिख रहे हैं. पिछली बार भी तेलंगाना में TRS की सरकार बनी थी और इस बार भी नजारा वैसा ही है. 

5. मिजोरम के नतीजे-

मिजोरम में मामला न तो कांग्रेस का है और न ही भाजपा का. यहां MNF यानी मिजो नैशनल फ्रंट जीत चुकी है. 

विधानसभा चुनाव नतीजेमिजोरम में चुनाव नतीजे सामने आ चुके हैं. MNF की सरकार बन रही है.

MNF – 26, INC – 5, BJP – 1, IND - 8 क

एमएनएफ 26 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है और कांग्रेस को सिर्फ 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है. मिजोरम में कांग्रेस की हार बेहद खराब है क्योंकि सत्ताधीन पार्टी होने के बाद भी पांच साल सरकार न चला पाना किसी बुरे सपने की तरह है. पिछले चुनावों में कांग्रेस ने 44% वोट अपने हिस्से किए थे और इस बार ये संख्या गिरकर 30% रह गई है. भाजपा की पकड़ मिजोरम में वैसे भी नहीं थी और 2018 के चुनाव नतीजों से भी साफ हो गया है कि भाजपा को मिजोरम जीतने के लिए अभी काफी समय लगेगा. 

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