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Updated: 01 मई, 2018 05:39 PM
शरत प्रधान
शरत प्रधान
 
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कई सारी गलतियां करने और उन्नाव गैंगरेप मामले में बीजेपी विधायक का नाम आने के बाद अपनी थू थू कराने के बाद उत्तरप्रदेश पुलिस अब फिर से अपनी छवि चमकाने में लग गई है. हालांकि अभी भी पुलिस डिपार्टमेंट की खामियों को दूर करने की कोशिश नहीं की जा रही है. बल्कि सारा ध्यान उन्नाव गैंगरेप घटना के समय मिली बदनामी को मिटाने में है.

राज्य पुलिस महानिदेशक द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया. इसमें पुलिस डिपार्टमेंट की छवि सुधारने के मकसद से उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में स्पेशल मीडिया सेल की स्थापना करने की बात कही गई है. इसके पीछे मकसद ये सुनिश्चित करना है कि खाकी वर्दी वालों के बारे में मीडिया में नकारात्मक खबरों को प्रमुखता न मिल पाए. इसके पहले जिसे "गलतियों पर पर्दा डालना" या "छुपाने" के रूप में देखा जाता था, वो अब पुलिस द्वारा जारी किए गए इस सर्कुलर से जिसे पुलिस "छवि सुधार" के रुप में पेश कर रहे हैं से साबित हो जाता है.

UP police, social media cellअब अपना चेहरा बचाने की जुगत में है यूपी पुलिस

महत्वपूर्ण बात यह है कि यूपी पुलिस का ये कदम राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपने खुद के ईमेज को बदलने की कवायद से मिलता जुलता है. राज्य में बदतर होती कानून व्यवस्था और ठीक प्रशासन के नाक के नीचे घटने वाली रेप की कई घटनाओं ने मुख्यमंत्री की छवि को जबर्दस्त ठेस पहुंचाई है. जिस तरह से पुलिस ने उन्नाव गैंगरेप मामले में मुख्य आरोपी स्थानीय भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का बचाव किया उसने पुलिस के साथ साथ सरकार की भी खुब किरकिरी की.

इस मामले में पीड़ितों द्वारा दर्ज एफआईआर से बड़े ही व्यवस्थित ढंग से विधायक का ही नाम बाहर नहीं किया गया बल्कि पुलिस ने आरोपी विधायक को गिरफ्तार करने से भी इंकार कर दिया था. इस घटना से अपने विधायक को बचाने की पार्टी और सरकार की मंशा साफ जाहिर हुई. मामले में गिरफ्तारी तब हुई जब प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस मामले को अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया.

संभवत: पीएमओ ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला इसलिए किया क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेने का फैसला किया था. कोर्ट मामले की सुनवाई करती उसके पहले ही एक विशेष सीबीआई टीम ने सुबह सुबह विधायक को गिरफ्तार कर लिया.

UP police, social media cellसेंगर को बचाने के चक्कर में यूपी सरकार की खासी किरकिरी पहले ही हो चुकी है

सीबीआई के कदम ने सरकार की और किरकिरी होने से बचा लिया. क्योंकि सेंगर की गिरफ्तारी के पांच घंटे बाद ही हाईकोर्ट ने पुलिस के साथ-साथ एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह के खिलाफ एक गंभीर आदेश जारी किया. एडवोकेट जेनरल राघवेंद्र सिंह ने आरोपी रेपिस्ट को बचाने के लिए सारी हदें पार करते हुए बड़ी ही बेशर्मी से उसका समर्थन किया.

योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध और खासकर नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. ऐसा कोई भी दिन नहीं है जब राज्य के प्रमुख अखबारों की हेडलाइन में रेप की खबरें न छपी हों.

लेकिन अब पुलिस अपनी छवि को चमकाने में पूरी तरीके से जुट गई है और इसलिए ही सभी जिलों में स्पेशल मीडिया सेल की स्थापना की जा रही है. राज्य पुलिस प्रवक्ता ने कहा, "ये स्पेशल मीडिया सेल प्रत्येक जिले में अपराध की घटनाओं से संबंधित जानकारी प्रदान करेगी. व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से ऐसी जानकारी मीडिया के लोगों को दी जाएगी."

ऐसी एक व्यवस्था पहले से ही पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के कार्यालय में थी, जहां डीएसपी को मीडिया सेल की निगरानी के लिए तैनात किया गया है. हालांकि ये सेल काफी कुशलता से काम करता है, लेकिन काफी हद तक ये केवल पॉजीटिव खबरों को ही सामने रखता है. निश्चित रूप से सभी जिलों में इसी तरह का सेट-अप लगाने की मंशा होगी.

जिला स्तरीय मीडिया सेल को एक "मीडिया किट" से लैस किया जाएगा जिसमें एक मल्टी-मीडिया फोन, एक ट्राइपॉड और एक एलईडी लाइट होगी है. इस किट के जरिए सभी महत्वपूर्ण अपराध और घटनाओं की रिकॉर्डिंग की जाएगी. जिला स्तरीय अधिकारियों के बयान भी रिकॉर्ड किए जाएंगे और सेल के जरिए मीडिया हाउस को भेजे जाएंगे. मीडिया किट का इस्तेमाल उन महत्वपूर्ण मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों के बयान दर्ज करने के लिए भी किया जाएगा जिनमें आमतौर पर मीडिया को बाइट्स की तलाश में होती है.

ये पूरी प्रणाली पुलिस की सकारात्मक छवि को सामने रखने के लिए है. डीजीपी ओपी सिंह के कार्यालय द्वारा जारी सर्कुलर में काफी हद तक इस तरह इशारा किया गया है. इसमें पुलिस की सफलताओं की कहानियों को बताने पर बहुत जोर दिया जाएगा. हालांकि, एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान बलात्कार के आरोपी सेंगर को डीजीपी सिन्हा द्वारा "माननीय" के रूप में संबोधित करने से हुए नुकसान की भारपाई तो नहीं ही हो सकती.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने एंटी-रोमियो स्क्वाड की "सफलता" का गुणगान करने में व्यस्त हैं, जबकि इस योजना की विफलता जगजाहिर है. आदित्यनाथ ने एक 29 अप्रैल को एक राष्ट्रीय अंग्रेजी अखबार की सभा में बोला, "जैसे ही मैंने मुख्यमंत्री के रूप में पद संभाला, पूरे राज्य में मैंने एंटी-रोमियो स्क्वाड की स्थापना की. मेरी प्राथमिकता सूची में महिलाओं की सुरक्षा सबसे ऊपर थी." और बलात्कार की बढ़ती संख्या पर उनका जवाब था, "मैंने नाबालिक लड़कियों के बलात्कारियों के लिए मौत की सजा की मांगी की थी और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का मैं इसके लिए धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने मेरा अनुरोध स्वीकार कर लिया."

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लेखक

शरत प्रधान शरत प्रधान

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक मामलों के जानकार हैं.

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