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Updated: 26 अक्टूबर, 2020 10:29 AM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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दशहरा RSS और शिवसेना दोनों ही के लिए साल का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है - संघ के लिए ये अपना मैसेज देने का मौका होता है तो शिवसेना के लिए भी अपना संदेश देने का अवसर होता है. शिवसेना के पास तो सबसे असरदार मैसेज बोर्ड सामना है ही, लेकिन वहां रूटीन की बातें होती हैं - और दशहरा रैली की शिवसेना के लिए कई मायनो में खास अहमियत होती है.

शिवसेना की दशहरा रैली बरसों से शिवाजी पार्क मैदान में होती आई है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण पहली बार ये रैली ऑडिटोरियम में करानी पड़ी. चूंकि मुख्यमंत्री होने के नाते खुद उद्धव ठाकरे ने ही महाराष्ट्र में राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक सभाओं पर पाबंदी लगायी हुई है, इसलिए स्वयं वो उसका उल्लंघन कैसे कर सकते हैं.

दशहरा रैली के मंच से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने दो महत्वपूर्ण बातें कही हैं, जिनका राजनीतिक महत्व कई मायनों में विमर्श का विषय हो सकता है. एक, हिंदुत्व के मुद्दे पर संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के विजयादशमी भाषण से सलाह लेने की - और भारत में अगर कहीं PoK है तो उसके लिए जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) हैं - और ये बात सीधे सीधे बीजेपी नेतृत्व को खुली चुनौती है. जब कंगना रनौत ने मुंबई को PoK जैसा कहा था तब उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वो कुछ बोल नहीं रहे हैं तो उसका मतलब ये नहीं कि उनके पास जवाब नहीं है. उद्धव ठाकरे का कहना रहा कि वक्त आने पर वो जरूर बोलेंगे - क्या वो वक्त आ चुका है क्योंकि उद्धव ठाकरे अपनी गठबंधन सरकार को गिराने की फिर से चुनौती दे रहे हैं. पहले भी ऐसा चैलेंज वो सामना के साथ एक इंटव्यू में दे चुके हैं.

वैक्सीन को लेकर पाक-बांग्लादेश

उद्धव ठाकरे बीजेपी नेतृत्व से खफा तो तभी से हैं जब से कंगना रनौत ने अपना ऑफिस तोड़े जाने पर वीडियो मैसेज में तू-तड़ाक किया था. नाराजगी की एक वजह बिहार के जरिये सुशांत सिंह राजपूत केस की जबरन सीबीआई जांच रही - और फिर उसी तरीके से TRP स्कैम को लेकर यूपी के रास्ते वैसी ही कार्रवाई हुई है. तभी तो महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में सीबीआई जांच के लिए परमिशन जरूरी कर दी है. हालांकि, महाराष्ट्र सरकार के इस आदेश से पहले से चल रही जांच और अदालती आदेश पर होने वाली जांच में कोई रुकावट नहीं आएगी.

बीजेपी ने बिहार चुनाव को लेकर अपने घोषणा पत्र में सत्ता में आने पर राज्य के सभी लोगों को मुफ्त कोरोना वैक्सीन लगाने का वादा किया है - और इसे लेकर बीजेपी चौतरफा घिर चुकी है. बार बार सफाई देनी पड़ रही है. कांग्रेस ने इसे बीजेपी के वोट के बदले वैक्सीन का नारा बताया है. उद्धव ठाकरे ने उसी बाद को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोला है.

शिवसेना की दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे कह रहे थे, 'आप बिहार में मुफ्त वैक्सीन देने की बात कर रहे हैं - क्या बाकी का देश पाकिस्तान या बांग्लादेश है? जो इस तरह की बात कर रहे हैं उन्हें शर्म आनी चाहिए... आप केंद्र की सत्ता में हैं.'

uddhav thackeray, narendra modiउद्धव ठाकरे ने कंगना रनौत का जवाब प्रधानमंत्री मोदी को दे दिया है

उद्धव ठाकरे काफी दिनों के कोई ऐसा मौका खोज रहे थे जब कुछ कहें तो उसे दूर तक सुना जा सके. ऐसा तभी हो पाता है जब विरोध किसी मुद्दे को लेकर हो और बिहार में बीजेपी के फ्री वैक्सीन प्रोग्राम ने ये मौका दे भी दिया है.

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व केंद्रीय मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा का विमोचन कर रहे थे जिसमें वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उद्धव ठाकरे के साथ साथ बिहार में बीजेपी के चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस भी शामिल थे. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की एक बात उद्धव ठाकरे को बेहद नागवार गुजरी थी.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं आप लोगों से एक बात कहना चाहूंगा. विशेषकर महाराष्ट्र के लोगों से तो जरूर कहना चाहूंगा... कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है - महाराष्ट्र में ये चिंता जरा ज्यादा है.' बात सिर्फ कोरोना वायरस से पैदा संकट पर काबू पाने तक ही होती तो शायद चल भी जाता, लेकिन मोदी ने एक और ऐसी बात बोल दी जो उद्धव ठाकरे को चुभ गयी.

बगैर कोई नाम लिये प्रधानमंत्री मोदी ने कटाक्ष किया, 'हम जानते हैं... कुछ पीढि़यां ऐसी हैं... एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी थोड़ी कम ताकतवर नजर आती है. तीसरी पीढ़ी और कमजोर नजर आती है और धीरे-धीरे डेटोरिएशन' दिखता है.'

नाम भले नहीं लिया गया हो, लेकिन संकेत साफ थे. प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर बाला साहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे से लेकर आदित्य ठाकरे सभी रहे.

फ्री वैक्सीन के साथ साथ उद्धव ठाकरे ने PoK का नाम लेकर कंगना रनौत को भी जवाब दिया है. जब कंगना रनौत ने उद्धव ठाकरे के लिए एक वीडियो मैसेज में मन की पूरी भड़ास निकाल डाली थी, तो शिवसेना नेता ने वक्त आने पर जवाब देने की बात कही थी.

अब उद्धव ठाकरे कह रहे हैं - "भारत में अगर कहीं PoK है तो ये PM मोदी की नाकामी है," और PoK के साथ मुंबई की तुलना भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान है.

उद्धव ठाकरे कहते हैं, 'एक चेहरे का कहना है कि मुंबई पीओके है. मैं कहना चाहूंगा कि अनुच्छेद-370 हट चुका है. अगर हिम्मत करो तो वहां एक जमीन खरीदने की हिम्मत करो. आप यहां रोजगार के लिए आते हैं और मुंबई को बदनाम करते हैं. मुंबई पुलिस को बदनाम क्यों किया? ये वही पुलिस है जिसने आपको बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी. पीओके के साथ मुंबई की तुलना पीएम नरेंद्र मोदी का अपमान है.'

भागवत से हिंदुत्व सीखने की सलाह

उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी खूब खरी खोटी सुनायी है. उद्धव ठाकरे ने कोश्यारी का नाम न लेकर काली टोपी पहनने वाले व्यक्ति कह कर संबोधित किया.

भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व की याद दिलाते हुए पत्र लिख कर सवाल उठाया था वो सेक्युलर हो गये क्या? फिर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूछे जाने पर कहा था कि पत्र में बेहतर भाषा का इस्तेमाल किया जा सकता था. एनसीपी नेता शरद पवार ने भी इस मसले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था.

दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे ने ये मुद्दा भी उठाया. बोले, 'हमसे हमारे हिंदुत्व के बारे में पूछा जाता है क्योंकि हम राज्य में फिर से मंदिर नहीं खोल रहे हैं... वो कहते हैं कि मेरा हिंदुत्व बाला साहेब ठाकरे से अलग है... खैर, आपका हिंदुत्व घंटियां और बर्तन बजाने वाला है - हमारा हिंदुत्व वैसा नहीं है।'

उद्धव ठाकरे का कहना रहा, 'आपका हिंदुत्व घंटी और बर्तन बजाना है, हमारा हिंदुत्व ऐसा नहीं है.' साफ है राज्यपाल कोश्यारी के बहाने उद्धव ठाकरे के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी ही रहे. प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन के दौरान कोरोना वॉरियर के सम्मान में ताली और थाली बजाने की अपील की थी.

उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब वाले हिंदुत्व की याद दिलाने और खुद को सेक्युलर बोल कर ताना मारने पर भी पलटवार किया - 'जो लोग अब हमारे हिंदुत्व पर सवाल उठा रहे हैं, वे बाबरी मस्जिद गिराये जाने के वक्त शर्मिंदा महसूस कर रहे थे.' आपको याद होगा 1992 में अयोध्या में मस्जिद गिराये जाने के बाद शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का बयान था - अगर शिवसैनिकों का उसमें हाथ है तो हमें इस बात का गर्व है!

उद्धव ठाकरे काली टोपी पहनने वाले व्यक्ति बोल कर संकेत तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरफ कर रहे थे, लेकिन असली टारगेट तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे.

उद्धव ठाकरे ने ऐसे सभी बीजेपी वालों को सलाह दी कि हिंदुत्व को समझने के लिए वे विजयादशमी परि दिये गये संघ प्रमुख मोहन भागवत का भाषण सुनें. भागवत ने कहा है कि हिंदुत्व का मतलब मंदिरों में की जाने वाली पूजा नहीं है. उद्धव ठाकरे बोले, 'और आप हमसे कह रहे हैं कि अगर आपने मंदिर नहीं खोले तो आप धर्मनिरपेक्ष बन रहे हैं - अगर आप 'काली टोपी' के नीचे कुछ दिमाग रखते हैं तो मुख्य भाषण को सुनें.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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