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Updated: 21 नवम्बर, 2018 05:41 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमेन, वसीम रिज़वी, किसी जमाने में रहे होंगे. मगर जब से सूबे में भाजपा की सरकार आई है और योगी मुख्यमंत्री बने हैं, परिचय के मोहताज नहीं हैं. कभी कुछ तो कभी कुछ शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता हो कि वसीम रिज़वी कुछ तूफानी करके सुर्खियां न बटोरें. वसीम फिर चर्चा में हैं. कारण है उनकी आने वाली फिल्म 'राम जन्मभूमि' का ट्रेलर. वसीम रिजवी ने अपनी फिल्म का ट्रेलर लांच किया है और ट्रेलर की लॉन्चिंग के साथ ही एक बार फिर वसीम रिजवी अपने आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं.

वसीम रिजवी, राम जन्मभूमि, फिल्म, योगी आदित्यनाथ    वसीम रिजवी की फिल्म किसी को पसंद आए या न आए भाजपा के नेता इसे जरूर पसंद करेंगे

फिल्म में जहां एक तरफ राम मंदिर को प्रमुखता से दर्शाया गया है तो वहीं कई ऐसे मुद्दों पर भी बात की गई है जिनके कारण रोज ही आम मुसलमान पूरी दुनिया के सामने शर्मसार होता है.

वसीम की इस फिल्म के ट्रेलर का अवलोकन करने पर मिलता है कि, 2 मिनट के ट्रेलर में वसीम ने वो सब कुछ दिखा दिया. जिसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद फिल्म को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट कर सकते हैं. आइये नजर डालते हैं ट्रेलर की कुछ ऐसी बातों पर जिनको देखकर साफ हो जाता है कि इसके जरिये वसीम ने भाजपा के नर्म से लेकर गर्म नेता को खुश करने का प्रयास किया है.

आइये जानें कि दो मिनट के ट्रेलर के हर सेकंड में क्या-क्या बताती है फिल्म :

वसीम रिजवी, राम जन्मभूमि, फिल्म, योगी आदित्यनाथकुछ यूं दिख रहा है वसीम रिजवी की फिल्म का पोस्टर

मुलायम का गोलीकांड 

फिल्म के ट्रेलर की शुरूआत में राम मंदिर आंदोलन के दौरान हुए गोलीकांड को दर्शाया गया है. जो हमें मुलायम सिंह यादव की खुद ब खुद याद दिला देता है. ध्यान रहे कि मुलायम सिंह यादव से हिन्दुओं का एक बड़ा वर्ग आज भी इसलिए नाराज है क्योंकि उन्होंने कार सेवकों पर गोलियां चलवाई थीं. ट्रेलर में ही एक सीन है जहां पुलिस इंस्पेक्टर बना पात्र गोलीकांड में मारे गए कार सेवकों की लाशों को जला रहा है और फोन करते हुए कह रहा है कि 'नेताजी आपने जो काम कहा था वो हो गया.' भारतीय राजनीति में नेता जी कहकर किसे संबोधित किया जाता है इशारा साफ है.

मुस्लिम तुष्टिकरण

ट्रेलर में मुस्लिम तुष्टिकरण और वोट बैंक पॉलिटिक्स की कहकर साफ तौर से कांग्रेस पर निशाना साधा गया है और ये बताया गया है कि कैसे दलों ने हमेशा ही मुसलमानों को सिर्फ वोट हासिल करने की एक वस्तु समझा.

इंद्रेश कुमार

ट्रेलर में एक जगह पर संघ नेता इंद्रेश कुमार की एक फुटेज को डाला गया है. हो सकता है इस दृश्य को आदमी नकार दे मगर जब गहराई में जाएं तो मिलता है कि संघ नेता इंद्रेश कुमार और उनका मंच 'राष्ट्रीय मुस्लिम मंच लगातार ये प्रयास कर रहा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण स्वयं मुस्लिम समुदाय के लोग कराएं.

ट्रिपल तलाक

ट्रिपल तलाक पर मोदी सरकार सख्त है. कानून आने के बाद उसे कई मुस्लिम महिलाओं का समर्थन मिला है. ऐसे में फिल्म के ट्रेलर में तलाक के दृश्य को डालना ये बताता है कि आज भी मुस्लिम समाज में इस कुरीति का बदस्तूर प्रयोग किया जा रहा है. कहना गलत नहीं है कि इस सीन से निर्माता निर्देशक ने महिलाओं के अलावा सरकार का भी ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है.

हलाला प्रथा

फिल्म के ट्रेलर में हलाला का दृश्य है. आज भी हमारे समाज में कई मुस्लिम महिलाएं ऐसी हैं जो हलाला का दंश सह रही हैं, अब चूंकि मोदी सरकार ऐसी महिलाओं के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत है निर्माता निर्देशक ने सीन डालकर इस बात का एहसास करा दिया है कि मुस्लिम समुदाय की पस्ताहाली का कारण अपनी कुरीतियां हैं.

बाबर का इतिहास

एक ऐसे वक़्त में जब इतिहास को लेकर विमर्श तेज है फिल्म में बाबर का नाम लेकर ये बता दिया गया है बाबर की बख्खियां उदेड़ने में निर्माता निर्देशक भी सरकार के साथ हैं.

हिन्दू और सहिष्णुता

फिल्म के ट्रेलर में इस बात को प्रमुखता से बल दिया गया है कि हिन्दू सहिष्णु है. निर्माता निर्देशक का ऐसा करना ये बता देता है कि उसने उन तमाम बारीक से बारीक बातों पर गहनता से विचार किया है जो उसे भाजपा और संघ की गुड बुक्स में ला सकता है.

वसीम रिज़वी

भले ही हमने सबसे लास्ट में वसीम रिजवी को रखा हो मगर उन्हें नकारा नहीं जा सकता. वसीम फिल्म के लेखक और निर्माता तो हैं ही साथ ही उन्होंने फिल्म में अदाकारी भी की है. वसीम क्यों अचानक अदाकार बन गए ये भी किसी से छुपा नहीं है. ध्यान रहे वसीम ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते जिसमें उन्हें पार्टी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीब जाने की सम्भावना दिखे.

बहरहाल ये फिल्म हिट होती है या फ्लॉप ये फैसला हम समय पर छोड़ देते हैं. मगर हां जिस तरह का फिल्म का टेम्परामेंट है कहना गलत नहीं है ये फिल्म सूबे के मुखिया को बहुत पसंद आएगी और अगर कहीं सम्भावना हुई तो शायद वो इसे ऑस्कर या फिर किसी अन्य बड़े फिल्म फेस्टिवल के लिए भाजपा की तरफ से रेकमेंड कर दें.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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