New

होम -> सियासत

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 26 नवम्बर, 2017 07:12 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

अब ये तो लगभग तय है कि संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होकर 5 जनवरी तक चलेगा. संसदीय मामलों की समिति ने तारीख पर मुहर लगा दी है और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी है.

वैसे सत्र बुलाने को लेकर ही काफी हंगामा हो चुका है. सत्र शुरू होने पर क्या हाल होगा अंदाजा लगाना मुश्किल है.

विधानसभा चुनाव जरूरी या संसद सत्र?

तरीका तो आम तौर पर यही रहा है कि शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे हफ्ते में शुरू हो और दिसंबर के तीसरे हफ्ते तक चले. हालांकि, सत्तापक्ष इसमें तात्कालिक सुविधा के अनुसार फेरबदल करता रहा है.

विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि सत्ताधारी बीजेपी ने गुजरात चुनावों के चलते सत्र वक्त पर नहीं बुलाया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सत्र बुलाने में देर को लेकर मोदी सरकार की तीखी आलोचना की.

parliamentहंगामा तो होना ही था...

वैसे भी जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों का गुजरात में व्यस्त कार्यक्रम बना है सत्र चलने की स्थिति में मुश्किल ही होता. केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के लिए गुजरात चुनाव कितना महत्वपूर्ण है बताने की जरूरत नहीं है. खुद प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के गुजरात से होने के कारण ये साख का सवाल बन गया है.

माना ये भी गया कि अगर सत्र चल रहा होता तो विपक्ष के हमलों का गुजरात चुनाव में जवाब देना मुश्किल होता. कांग्रेस नेता भी बार बार यही मुद्दा उठा रहे थे.

सोनिया गांधी के आरोपों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना रहा, 'विपक्षी पार्टी ने भी 2011 में संसद के सत्र आयोजित करने में देरी की थी और उससे पहले भी ऐसा किया था, क्योंकि सत्र का समय चुनाव प्रचार कार्यक्रम के वक्त पड़ रहा था.'

जेटली ने 2011 की बात की तो कांग्रेस ने 2012 का उदाहरण पेश कर दिया, '2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव 13 और 17 दिसंबर को हुए थे लेकिन संसद का सत्र स्थापित परंपरा के अनुसार 22 नवंबर को बुलाया गया और 20 दिसंबर को स्थगित किया गया.'

अब शीतकालीन सत्र की जो तारीख आई है उससे विपक्ष के आरोप सही लगते हैं. गुजरात में पहले चरण का चुनाव 9 दिसंबर को है जबकि दूसरा 14 दिसंबर को. संसद का विंटर सेशन 15 दिसंबर से शुरू होना तय हुआ है यानी वोटिंग खत्म होने के अगले दिन. फिर तो सवाल उठना लाजिमी है - क्या संसद सत्र से भी ज्यादा किसी राज्य के विधानसभा चुनाव को दिया जाना चाहिये?

निश्चित रूप से विपक्ष सदन में भी ये सवाल पूछेगा - और मोदी सरकार को इसका जवाब भी तैयार रखना होगा.

नये साल पर क्या होगा?

विंटर सेशन की जो तारीख तय हुई है उसमें राजनीति के अलावा की कई पेंच हैं. सबसे बड़ा पेंच ये है कि उसी दौरान क्रिसमस की छुट्टियां और नया साल शुरू हो रहा है. ऐसे कई सांसद होंगे जिनके क्रिसमस की छुट्टियों में कार्यक्रम तय होंगे और नये साल के जश्न के लिए भी उन्होंने कार्यक्रम बना रखा होगा.

वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी ने तो उसी दिन अपने सांसदों को आगाह कर दिया था जब अमित शाह राज्य सभा के लिए चुने जाने के बाद दिल्ली पहुंचे. मोदी ने साफ तौर पर कहा - अब अमित शाह आ गये हैं इसलिए आपके मौज मस्ती के दिन गये.

तारीखों का ऐलान करने मीडिया के सामने आये संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार के सामने भी ये सवाल आया. संसदीय कार्यमंत्री का जवाब था, सभी कार्यदिवस में सांसदों की मौजूदगी अपेक्षित होती है जिसमें नये साल का पहला दिन भी है. देखना होगा कितने सांसद मौजूद रह कर सरकार की अपेक्षाओें पर खरे उतरते हैं.

इन्हें भी पढ़ें :

इंडिया टुडे के सर्वे ने उजागर कर दी कांग्रेस और बीजेपी के चुनावी हथियारों की ताकत !

बीजेपी का 'कांग्रेस मुक्त भारत' में कांग्रेसियों का योगदान

राहुल की स्क्रिप्ट तो सुधरी ही है, अदायगी भी खूब निखर आयी है

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय