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Updated: 26 अप्रिल, 2020 03:44 PM
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सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)ने फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक पत्र लिखा है. नये पत्र में भी पांच सुझाव हैं - और ये MSME सेक्टर से जुड़े हैं. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को राहत पैकेज देने की सलाह दी है ताकि MSME सेक्टर को बचाया जा सके. और इसी बीच, कांग्रेस ने एक ट्वीट कर लॉकडाउन को नोटबंदी (Lockdown like Demonetization) जैसा बताया है. सोनिया गांधी ने इससे पहले भी पत्र लिख कर प्रधानमंत्री मोदी को पांच सुझाव दिये थे - और बाद में CWC की मीटिंग में नाराजगी भी जाहिर की थी कि केंद्र सरकार कांग्रेस के सुझावों को गंभीरता से लेती ही नहीं.

सोनिया गांधी UPA की चेयरपर्सन हैं और फिलहाल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष भी. सबसे बड़ी विपक्षी दल की नेता होने के नाते भी सोनिया गांधी सरकार को सलाह दे भी सकती हैं और सवाल पूछ भी सकती हैं - लेकिन भला ये सवाल क्या हुआ कि उनके सुझावों को सरकार गंभीरता से नहीं ले रही हैं. आखिर सोनिया गांधी को ऐसा क्यों लगता है कि मोदी सरकार को उनकी सलाह माननी ही चाहिये - आखिर देश में सरकार तो NDA की है, यूपीए की तो है नहीं.

मोदी को सोनिया के 5 और सुझाव

MSME यानी माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज को लेकर सोनिया गांधी ने कहा है कि जीडीपी में इनका एक तिहाई योगदान है - और कुल निर्यात में इस सेक्टर की आधी हिस्सेदारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में सोनिया गांधी ने कहा है कि इस सेक्टर में 11 करोड़ से ज्यादा लोग रोजगार पाते हैं और आर्थिक संकट के मौजूदा दौर में ये सेक्टर बर्बादी की कगार पर आ खड़ा हुआ है.

सोनिया गांधी ने लिखा है कि पिछले पांच हफ्तों में देश ने अनेक चुनौतियों का सामना किया है, ऐसे में अर्थव्यवस्था की एक अहम समस्या पर तत्काल ध्यान देकर उसके समाधान की बहुत जरूरत है. सोनिया गांधी आगाह भी किया है कि अगर इस समस्या को नजरअंदाज किया गया तो हमारी अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

तीन दिन पहले ही राहुल गांधी ने एक ट्वीट में MSME सेक्टर को लेकर चिंता जताते हुए पूछा था कि इसके लिए आर्थिक पैकेज कैसा होना चाहिये? उसी ट्वीट में राहुल गांधी ने एक साइट का लिंग भी दिया था और लोगों से कहा था कि आर्थिक पैकेज को लेकर वे कांग्रेस पार्टी को अपने सुझाव दें.

सोनिया गांधी ने याद दिलाया है कि सरकार बार-बार कहती रही है कि MSME सेक्टर अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी है - फिर तो ऐसे समय सरकार को चाहिये वो रीढ़ की हड्डी को मजबूत करे.

narendra modi, sonia gandhiसोनिया गांधी यूपीए के प्रधानमंत्री की तरह ताबड़तोड़ चिट्ठियां लिखे जा रही हैं!

सोनिया गांधी ने देश को आर्थिक संकट से बचाने के लिए पांच सुझाव दिया है. सोनिया गांधी इससे पहले मोदी सरकार कांग्रेस के चुनावी वादे न्याय योजना को लागू करने का भी सुझाव दे चुकी हैं और मीडिया के विज्ञापनों को बंद करने के साथ ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित तमाम मंत्रियों और अफसरों की विदेश यात्राओं पर भी रोक लगाने की सलाह दे चुकी हैं.

1. MSME Wage-प्रोटेक्शन: 1 लाख करोड़ रुपये के ‘एमएसएमई सेक्टर वेज प्रोटेक्शन’ पैकेज की घोषणा की जाये - ऐसा करने से नौकरियों को बचाने, मनोबल बढ़ाने और सिर पर मंडराते आर्थिक संकट को दूर करने में मदद मिलेगी.

2. क्रेडिट गारंटी फंड: सोनिया गांधी की सलाह है कि 1 लाख करोड़ रुपये के ‘क्रेडिट गारंटी फंड’ का भी गठन किया जाये. ऐसा करने से, सोनिया का सुझाव है, जरूरत पड़ने पर इस सेक्टर में पर्याप्त पूंजी उपलब्ध हो सकेगी.

3. सस्ता लोन मिले: एमएसएमई इकाइयों को आसान दरों पर जल्द कर्ज मिले ये सुनिश्चित किया जाये - और इस सेक्टर से जुड़े लोगों के मार्गदर्शन के लिए मंत्रालय में एक 24/7 हेल्पलाइन का भी इंतजाम किया जाये.

4. मोरेटोरियम की अवधि बढ़ायी जाये: रिजर्व बैंक ने लोन के पेमेंट के लिए जो तीन महीने की अवधि बढ़ायी है उसे और ज्यादा बढ़ाया जाये.

5. लोन को सुविधाजनक बनाया जाये: सोनिया गांधी का मनना है कि एमएसएमई यूनिट के लिए ‘मार्जिन मनी’ की मौजूदा सीमा भी ज्यादा है और कर्ज लेने में कई दिक्कतें हैं जिन्हें सुलझाने की कोशिश होनी चाहिये.

पत्र के आखिर में सोनिया गांधी ने ये भी लिखा है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपना निरंतर सहयोग जारी रखेंगे - और ये काम हम केवल मिलकर ही कर सकते हैं.

सोनिया गांधी के ये पत्र 2014 से पहले के यूपीए शासन की याद दिला रहे हैं जब देश में एक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद भी हुआ करती थी और उसका भी नेतृत्व सोनिया गांधी ही करती रहीं. तब भी सोनिया गांधी ऐसे पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा करती थीं. ऐसी बातों का जिक्र प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे संजय बारू की किताब 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' में विस्तार से किया गया है.

बेशक सोनिया गांधी को सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता होने के नाते प्रधानमंत्री मोदी को ऐसे सुझाव देने का हक हासिल है, लेकिन सरकार को भी पूरा हक है कि वो ऐसी सलाहों के साथ कैसे पेश आती है. हर सरकार का अपना एजेंडा होता है और अपनी नीतियां होती हैं और उसी के हिसाब से कामकाज तय होते हैं. सरकार में एक कैबिनेट होती है जो तमाम मुद्दों पर फैसले लेती है. संभव है प्रधानमंत्री मोदी को सोनिया गांधी की कोई सलाह ऐसी लगे जिस पर वो अमल करना चाहें, लेकिन सोनिया गांधी अगर ये अपेक्षा करें कि मोदी सरकार ऐसा निश्चित तौर पर करे ही तो ये संभव बिलकुल नहीं लगता.

लॉकडाउन की नोटबंदी से तुलना

पहले तो कांग्रेस नेताओं ने देश में लॉकडाउन लागू किये जाने पर सरकार के प्रति समर्थन जताया था लेकिन बाद में आरोप लगाने लगे कि बगैर तैयारी के देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया. अब तो कांग्रेस की तरफ से एक ट्वीट में लॉकडाउन की तुलना नोटबंदी से की गयी है.

लॉकडाउन की तुलना नोटबंदी से करते हुए कांग्रेस के ट्वीट में लिखा है कि ऐसे फैसले अगर अचानक और बगैर तैयारी के लिए जाते हैं तो नतीजा बेहद गंभीर होता है. कांग्रेस का मानना है कि हड़बड़ी में लिए जाने वाले ऐसे फैसलों से महज आर्थिक नुकसान ही नहीं होता, नोटबंदी की तरह इसकी भी बड़ी कीमत चुकानी होगी.

भई वाह. नहीं वाह. गजब करते हैं. अगर ऐसा ही घाटे का सौदा है तो सबसे बड़ा अपराध तो कांग्रेस के ही दो मुख्यमंत्रियों ने किया है - अशोक गहलोत और कैप्टन अमरिंदर सिंह. ये राजस्थान और पंजाब की ही सरकारें रहीं जो देश में सबसे पहले लॉकडाउन लागू करने का ऐलान किया - और तो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन की मियाद 3 मई तक बढ़ाये जाने के पहले ही खुद ही इसकी घोषणा कर डाली थी.

क्या सोनिया गांधी ये कहना चाहती हैं कि कांग्रेस सरकारों ने पूरी तैयारी के साथ लॉकडाउन लागू किया और प्रधानमंत्री मोदी ने बिना तैयारी के लॉकडाउन लागू कर दिया? समझना मुश्किल हो रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व अभी तक देश की जनता को समझ नहीं पाया है या समझना ही नहीं चाहता है?

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