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Updated: 09 मार्च, 2018 08:27 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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मौजूदा सरकार को चार साल पूरे होने वाले हैं और 2019 का लोकसभा चुनाव आने के लिए बेताब है. इसी बीच इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 17वें संस्करण में सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है. सोनिया गांधी ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए और उनके दावों पर तगड़ा आघात किया और कई सवाल पूछे, जिनके जवाब मोदी सरकार को देने ही चाहिए. तो आइए जाते हैं सोनिया गांधी ने पीएम मोदी और पूरी मोदी सरकार से क्या सवाल पूछे हैं :

सोनिया गांधी, मोदी सरकार, नरेंद्र मोदी, कांग्रेस, भाजपा

1- मोदी सरकार की ओर से सत्ता में आने के बाद भारत को विकास की ओर ले जाने के कई दावे किए जाते हैं. उन दावों का जवाब देते हुए सोनिया गांधी ने कहा है कि हमारा देश, हमारा समाज और हमारी आजादी खतरे में है. सवाल पूछने को लेकर जो भय का माहौल बना है. सोनिया गांधी ने कहा कि वे पूछना चाहती हैं अगर पूछ सकती हैं तो...

क्या वास्तव में 16 मई 2014 से पहले भारत किसी ब्लैक होल की तरह था?

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2- मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से देश के विकास के लिए किए गए कामों को हर मौके पर गिनाती है. मोदा सरकार यह बात कहने से कभी नहीं चूकती कि पुरानी सरकार ने कोई काम नहीं किया. ऐसे में मोदी सरकार और पीएम मोदी को आड़े हाथों लेते हुए सोनिया गांधी ने पूछा...

क्या भारत चार साल पहले ही प्रगति, समृद्धि और महानता की ओर बढ़ना शुरू हुआ?

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3- सरकार दावा करती है कि 2014 से पहले देश में विकास नहीं हो रहा था. इस पर भी सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला और पूरे देश के लोगों को इससे जोड़ दिया. उनके सवाल का आशय यह है कि अगर 2014 से पहले देश में विकास नहीं हो रहा था या देश प्रगति नहीं कर रहा था तो क्या सारे लोग देश की प्रगति में योगदान नहीं कर रहे थे. इसी को आधार लेते हुए सोनिया गांधी ने अगला सवाल पूछा...

क्या ऐसा दावा करना देश के लोगों की समझदारी का अपमान करना नहीं है?

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4- देश में तनाव और हिंसा आदि की बात करना भी सोनिया गांधी नहीं भूलीं. उन्होंने मोदी सरकार से इन चारों सालों का हिसाब मांगने के अंदाज में भी एक सवाल दाग दिया और पूछा...

2014 से लेकर अब तक क्या हासिल हुआ है और देश में माहौल कैसा बन गया है?

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5- सोनिया गांधी ने कहा दलितों और महिलाओं पर अत्याचार को लेकर चौंकाने वाली अंसवेदनशीलता देखने को मिली है. उनका मतलब था कि सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. वह बोलीं कि हमारे समाज का चुनावों को जीतने के लिए ध्रुवीकरण किया जा रहा है. इस पर उन्होंने पूछा...

भारत को क्या हो रहा है, हमें क्या मिला था और हमने क्या बना दिया?

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6- सोनिया गांधी ने आरटीआई को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लाया गया था, लेकिन आज यह कानून जैसे ठंडे बने में जा पहुंचा है. आरटीआई और आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है. नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हमे तेज (FAST) चलने की जरूरत है लेकिन तेज चलने का मतलब ये नहीं कि पहले करो, फिर सोचो (FAST-First Act, and Second Think). इस पर निशाना साधते हुए सोनिया गांधी ने पूछा...

क्या मैक्सिमम गवर्नेंस का मतलब मिनिमम ट्रुथ (न्यूनतम सच) होता है? क्या इसका ये मतलब है कि वैकल्पिक तथ्यों ने असुविधाजनक वास्तविकता की जगह ले ली है ?

अब जवाब की बारी : भले ही मोदी सरकार हर मंच पर अपने कामों को गिनाती हो, भले ही मोदी सरकार मानती हो कि पूरा देश उनके साथ है, लेकिन फिर भी सोनिया गांधी के सवालों का जवाब तो उन्हें देना ही चाहिए. कांग्रेस की पूर्व अध्‍यक्ष के नाते ना सही, विपक्ष की नेता के नाते तो उनके सवालों का जवाब सामने आना ही चाहिए. क्‍योंकि, यही बातें 2019 चुनाव का मुद्दा भी हैं. सोनिया गांधी का निशाना भले ही मोदी सरकार थी, लेकिन उनके सवाल जनता से मुखातिब थे. मानो जैसे वे अपने सवालों के साथ जनसमर्थन जुटा रही हों. सवाल गंभीर हैं, इस पर बहस भी गंभीर ही होनी चाहिए.

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