कुछ तो मजबूरी थी वरना लिस्ट में स्मृति ईरानी को 'पारसी' न दिखाती भाजपा!
भाजपा द्वारा जारी की गई लिस्ट में स्मृति ईरानी का धर्म बताना फिर आलोचना के बाद उनके नाम के आगे से उनका धर्म 'पारसी' हटा लेना, ये साफ कर देता है कि, देश में राजनीति का आधार धर्म है और जब धर्म की होती है तो सारे मुद्दे धरे के धरे रह जाते हैं.
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लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर 184 उम्मीदवारों के नामों की अपनी पहली लिस्ट जारी करने के बाद भाजपा चर्चा में है. बीजेपी के चर्चा में आने का कारण था केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का नाम. ज्ञात हो कि पार्टी ने स्मृति को राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से टिकट दिया है. मजेदार बात ये है कि भाजपा की तरफ से उनके नाम के आगे उनका धर्म 'पारसी' भी लिखा गया था.
भाजपा द्वारा स्मृति ईरानी को पारसी बताने के बाद एक नए वाद ने जन्म ले लिया है
मामला प्रकाश में आने के बाद विरोधी दल कांग्रेस ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए उसपर धर्म की राजनीति करने और जनता को दिग्भ्रमित करने का आरोप लगाया.
चुनाव में @BJP4India का असली चेहरा फिर उजागर!
भगवा ब्रिगेड की तथाकथित 'शिक्षित' मंत्री के नाम में धर्म का ज़िक्र साबित करता है कि ये लोग किस हद तक डरे हुए है और समाज को बाँटने के लिए किस स्तर तक जा सकते है
चौकीदार की चोर मंडली के मन के एक और चोर का पर्दाफाश हुआ!#BJPFirstList pic.twitter.com/khB1Kz2R0a
— Radhika Khera (@Radhika_Khera) March 21, 2019
कांग्रेस की नेशनल मीडिया कॉर्डिनेटर राधिका खेरा ने बीजेपी की लिस्ट को ट्वीट कर लिखा, 'चुनाव में बीजेपी का असली चेहरा फिर उजागर! भगवा ब्रिगेड की तथाकथित ‘शिक्षित’ मंत्री के नाम में धर्म का ज़िक्र साबित करता है कि ये लोग किस हद तक डरे हुए है और समाज को बांटने के लिए किस स्तर तक जा सकते है. चौकीदार की चोर मंडली के मन के एक और चोर का पर्दाफाश हुआ!.' ध्यान रहे कि राधिका खेरा के इस ट्वीट को प्रियंका चतुर्वेदी समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने रिट्विट किया है और भाजपा की आलोचना की है.
जारी हुई नई लिस्ट में स्मृति ईरानी के नाम के बाद पारसी हटा दिया गया है
आपको बताते चलें कि जैसे जैसे मामला चर्चा में आया और लोगों के बीच बहस का कारण बना, चौतरफा आलोचना का शिकार हो रही भाजपा ने भी इसका तत्काल प्रभाव में संज्ञान लिया और एक नई लिस्ट जारी की है जिसमें स्मृति ईरानी के नाम के आगे लिखा गया उनका धर्म पारसी हटा दिया गया है.
सवाल उठ रहा है कि आखिर उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट डालते हुए भाजपा को ये फैसला क्यों लेना पड़ा? इस सवाल पर लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए हमने ट्विटर का रुख किया. वहां जो बातें लोगों ने कहीं वो कई मायनों में चौकाने वाली थीं.
Congratulations on smriti irani to become. Parsi once again.. This is the thing with hindutvadis.. You will never be enough Hindu (or acc to thk Indian) no matter what you do.. https://t.co/lTLf8AqUBG
— Shaikh Talha Gulbargavi شیخ طلحہ حسین گلبرگوی (@TalhaGulbargavi) March 22, 2019
In these lists, notice some names are given in brackets to suggest the "other name" some candidates go by like"Raju bhaiya"Kaka"Notice the name in front of Smriti Irani ji's name in brackets. "Parsi"Is that what BJP calls her????? https://t.co/OKS0k4Zo7W
— Zainab Sikander (@zainabsikander) March 21, 2019
So she is technically Parsi and follows Parsi religious customs and practises, so why does she claim to have Gotra? Isn't her own point that her husband and kids don't have Gotra due to their Parsi religion, what the fuck is a Gotra I don't know (its not even a thing in South).
— Kavalkaaran????️✌️ (@ROALY) March 22, 2019
गौरतलब है कि भले ही लिस्ट में स्मृति को पारसी कहा गया हो मगर वो अपने आप को हिन्दू ही बताती हैं. बात समझने के लिए हमें उनका 28 नवम्बर 2018 का वो ट्वीट देखना होगा जिसमें उन्होंने बहुत मुखर होकर अपने गोत्र की बात की थी. एक ट्वीट का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि मेरा गोत्र कौशल है. मेरे पिता का, उनके पिता का, उनके पिता का और उनके भी पिता का. सबका यही गोत्र था. मेरे पति और बच्चे पारसी है. इसीलिए उनका गोत्र नहीं हो सकता. मैं अभी भी हिंदू धर्म मानती हूं और उसे फॉलो करती हूं. मैं जो सिंदूर लगाती हूं, वो मेरे हिंदू होने के नाते है.
ट्विटर पर एक यूजर को अपना गोत्र बताती स्मृति ईरानी
भाजपा ने ऐसा क्यों किया इसके पीछे की एक बहुत बड़ी वजह नेहरू गांधी परिवार को भी माना जा सकता है. ज्ञात हो कि इंदिरा गांधी हिंदू थीं जबकि उनके पति फिरोज गांधी पारसी थे. आपको याद दिला दें कि पूर्व में भी भाजपा इस बात को एक बड़ा मुद्दा बना चुकी है. कई मौके ऐसे आए हैं जब भाजपा ने कांग्रेस से पूछा था कि एक पारसी व्यक्ति से विवाह होने के बाद आखिर इंदिरा गांधी हिंदू कैसे रहीं? इसके अलावा सोनिया गांधी को लेकर भी भाजपा, कांग्रेस पर तीखे हमले कर चुकी है.
तब भाजपा की तरफ से तर्क आए थे कि जब सोनिया गांधी हिंदू न होकर ईसाई हैं तब उनके बच्चे राहुल और प्रियंका किस आधार पर अपने ब्राह्मण होने का दावा पेश करते हैं. ऐसे में बात यही निकल कर आ रही है कि राहुल को भाजपा अब भी हिन्दू नहीं मानती है और उसने जो भी किया इसी आधार पर किया.
बहरहाल एक तरफ स्मृति ईरानी का डंके की चोट पर अपने को हिंदू बताना. दूसरी तरफ स्मृति के स्टैंड से उलट भाजपा का सरेआम उन्हें पारसी बता देना, कहीं न कहीं इस बात की तरफ इशारा करता है कि ये जो कुछ भी हुआ वो धर्म की राजनीति की जल्दबाजी में हुआ है जो एक लोकतंत्र के लिए कहीं से भी ठीक नहीं है.
कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री भाजपा को पार्टी विद डिफ़रेंस बताते हैं. ऐसे में पार्टी की तरफ से ऐसा करना जहां एक तरफ पीएम द्वारा कही उस बात को सवालों के घेरे में लाता है तो वहीं ये भी बता देता है कि इस देश में धर्म हमेशा ही एक बड़ा मुद्दा रहा है जिसके बल पर ही कोई दल चुनाव जीतता है और सत्ता सुख हासिल करता है.
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