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Updated: 26 मार्च, 2015 12:53 PM
टीएस सुधीर
टीएस सुधीर
 
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मैं दिसंबर के आखरी सप्ताह में छुट्टीयों पर श्रीलंका में था. अपने काम और भारतीय राजनीति से दूर. इस दौरान मैंने सोचा कि सीजिरिया चला जाए,  जो कि राजधानी कोलबों से 170 किमी की दूरी पर है. जब 31 दिसंबर को मैं सीजिरिया के लिए जा रहा था तो रास्ते में मेरे श्रीलंका के अस्थायी मोबाइल नंबर पर एक एसएमएस आया. जिसमें लिखा था कि सिरिसेना ने मोदी के कपड़ों और कार्यों की नकल की. महिंदा जैसा बजट जुटाया. और महिंदा की वेबसाइट mahinda2015.com की भी नकल की. अब चुनाव आपको करना है, दूरदर्शी नेता या कठपुतली?

मुझे एहसास हुआ कि संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार मैत्रीपाला सिरिसेना तो बिल्कुल नरेन्द्र मोदी के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. जैसी जैकेट मोदी पहनते हैं, वैसी ही कई सिरिसेना के पास भी हैं. ऐसा लगा कि 8 जनवरी को होने वाले इस राष्ट्रपति चुनाव में एक मोदीवाद भी छाया हुआ है. अभी कुछ माह पहले काठमांडू में सार्क सम्मेलन के दौरान नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को चुनाव जीतने के लिए शुभकामनाएं दी थीं. राजपक्षे को तब ये अहसास हुआ होगा कि मोदी उनका समर्थन कर रहे हैं. यही वजह रही कि पूरे श्रीलंका में चुनाव-प्रचार के लिए वैसे ही कटआउट, बैनर और पोस्टर इस्तेमाल किए गए जैसे मोदी ने भारत में अपने चुनाव अभियान के दौरान इस्तेमाल किए थे. सभी जगह राजपक्षे, मोदी की तरह चमकदार शर्ट में पोज़ देते नज़र आए. हर एनिमेटेड विज्ञापन में मैचिंग जैकेट भी पहने दिखाए दिए.  

राजपक्षे पर चर्चा करते हुए मेरे टूर गाइड ने चुटकी ली कि वो एक राजा की तरह है. ज़रा देखिए वो तस्वीरों में कैसे पोज़ देते हैं. हककीत में सेना भी श्रीलंकाई राष्ट्रपति राजपक्षे की समर्थक नज़र आ रही है क्योंकि 2009 में सेना ने राष्ट्रपति की सहमति से ही तमिल टाइगर वी प्रभाकरण और उसकी सेना एलटीटीई को खत्म किया था. राजपक्षे की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि उन्होंने एलटीटीई से दुश्मनी लेकर अपनी एक मर्दाना छवि बनाई. बिल्कुल 56 इंच छाती वाली.

हालांकि अब उनकी छाती थोड़ा सिकुड़ गई है. इसकी वजह है कि सिरिसेना जो नवंबर 2014 तक राजपक्षे की सरकार में ही स्वास्थ्य मंत्री थे. यही नहीं वो राजपक्षे की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के महासचिव भी थे. लेकिन अब वही चुनाव की वजह से पार्टी के लिए एक वायरस साबित हो रहे हैं.

मगर यहां चुनाव मोदीमय राजपक्षे और सिरिसेना के बीच केवल मोदी जैसे कपड़ों को लेकर नहीं है. दोनों ही उम्मीदवार देश के बहुसंख्यक सिंघली समुदाय से हैं, और देश के अल्पसंख्यक तमिल और मुसलमान दोनों को ही शक की नज़र से देखते हैं. श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड के मुताबिक राजपक्षे की सरकार में वहां धार्मिक हिंसा में तमिलों और मुसलमानों को ही निशाना बनाया गया. दो माह पहले राजपक्षे सरकार का हिस्सा रहे सिरिसेना अल्पसंख्यकों की शंका के दायरे से बाहर नहीं हो सकते, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा और पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ आ जाने पर उन्हें उम्मीद है कि अल्पसंख्यकों का रुख उनके लिए नरम होगा.

भारत में हुए आम चुनाव 2014 की तरह ही श्रीलंकाई राष्ट्रपति चुनाव में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है. राजपक्षे का विश्वास है कि सत्ता को साथ रह रहा एक परिवार मिलकर अच्छे से नियंत्रित कर सकता है. उनके दो भाई रक्षा और आर्थिक मंत्रालय संभाल रहे हैं जबकि तीसरे भाई लोकसभा अध्यक्ष हैं. राजपक्षे के पुत्र नमल एक सांसद है. माना जाता है कि उन्हें अपने पिता की विरासत को सम्भालने के लिए तैयार किया जा रहा है. निश्चित रूप से भाई-भतीजावाद श्रीलंका के शहरी इलाकों में एक मुद्दा है और सिरिसेना के लिए भी. दूसरे विश्व युद्ध के नायक के पुत्र सिरिसेना को उम्मीद है कि इस चुनाव में फर्स्ट फैमिली को जनता नकार देगी.

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लेखक

टीएस सुधीर टीएस सुधीर

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में एडिटर (साउथ इंडिया) हैं.

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