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Updated: 23 मार्च, 2016 03:39 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारत पहुंचे शाहिद आफरीदी ने कहा कि पाकिस्तान से ज्यादा उन्हें भारत में प्यार मिलता है. आफरीदी के बयान पर पाकिस्तान में हंगामा बरपा. जावेद मियांदाद और मोहसिन खान सरीखे पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने आफरीदी को आड़े हाथों ले लिया. पाकिस्तानी मीडिया आफरीदी के खिलाफ आग उगलने लगी. उम्मीद है पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इसी बयान पर अपना फैसला सुना दिया कि चालू टी-20 विश्वकप के बाद आफरीदी को कप्तानी छोड़नी होगी.

भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ता क्रिकेट का हो, सियाचिन का हो या फिर इनसे इतर, कड़वाहट एक सच्चाई है. मान लीजिए शाहिद अफ्रीदी की जगह अगर पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ये बयान देते कि भारत से ज्यादा उन्हें पाकिस्तान में प्यार मिलता है. इसमें कोई दो राय नहीं कि अजहरुद्दीन को भारत छोड़ पाकिस्तान जाने की सलाह दे दी जाती. वहीं मौजूदा वक्त में जब केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार है, तो ऐसा कोई बयान वाकई देश छुड़वाने की दहलीज पर लाकर खड़ा कर देता.

अब यह कहना कि शाहिद आफरीदी भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते से वाकिफ नहीं है और उन्होंने गलती से ऐसा कह दिया. या फिर यह मानना कि पाकिस्तान में रेग्युलर क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को वित्तीय तौर पर सुरक्षित करने के लिए अफ्रीदी ने ऐसा बयान जारी किया. इस तर्क के भी ज्यादा खरीदार नहीं मिलेंगे. आखिर फिर क्यों अफरीदी को लगा कि भारत में उन्हें ज्यादा प्यार मिलता है?

अब गौर करते हैं भारतीय नागरिक बने अदनान सामी पर. पाकिस्तान के लाहौर शहर में पैदा हुए गायक अदनान सामी को बीजेपी सरकार ने 1 दिसंबर 2015 को भारतीय नागरिक घोषित कर दिया. यह खबर आई भी ऐसे वक्त थी जब देश में इंटॉलरेंस पर जोरों से बहस हो रही थी. आमिर खान और शाहरुख खान देश में इंटॉलरेंस महसूस कर रहे थे. भारतीय नागरिकता लेने के बाद जब अदनान सामी से पूछा गया कि क्या उन्हें भारत में इंटॉलरेंस नहीं दिखाई दे रहा है और उन्हें यह नागरिकता लेने के बाद कैसा महसूस हो रहा है. इसके जवाब में अदनान सामी ने कहा कि दोनों देशों में बिरयानी का स्वाद एक जैसा है. अदनान ने यह भी साफ किया कि भारत से उनका रिश्ता 2001 से कायम है और इस दौरान उन्हें कभी भी इंटॉलरेंस महसूस हुई होती तो वो भारतीय नागरिकता नहीं लेते.

हालांकि आफरीदी पर नया आरोप मढ़ा जा सकता है कि क्या वह मोदी सरकार के किसी एजेंडे पर काम कर रहे हैं. या फिर वाकई उन्हें 1997 में पहली बार भारत में क्रिकेट मैच खेलने के बाद से लेकर अब अपना आखिरी मैच खेलते समय तक यही महसूस हुआ है कि उन्हें और उनके क्रिकेट को पाकिस्तान से ज्यादा भारत में प्यार मिला है. अगर ऐसा है तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले दिनों में वह भी इंटौलरेंस को धता करते हुए आदनान सामी की तरह भारतीय नागरिकता ले सकते है. अगर वह भारतीय नागरिक बन भी जाएं, तो भी दोनों देशों में क्रिकेट, सियाचिन और इनसे इतर रिश्तों में कड़वाहट बरकरार ही रहेगी क्योंकि यहां तो अदनान की तरह अफरीदी भी अपने मन की बात कह रहे हैं.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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