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Updated: 12 सितम्बर, 2015 06:56 PM
शिव अरूर
शिव अरूर
  @shiv.aroor
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जैसा कि आप पढ़ेंगे, माजिद के तौर पर जिस शख्स की पहचान हुई है, वह कथित तौर पर दिल्ली स्थित सऊदी अरब के दूतावास में छुपा बैठा था. बुधवार को वह गुड़गांव से अपने आधिकारिक आवास से निकला और टीवी कैमरों से बड़ी सफाई से बचता हुआ अपने देश के शाही दूतावास की पनाह में चला गया.

सऊदी अरब गणराज्य के दूतावास के फर्स्ट सेक्रेटरी माजिद पर आरोप है उनके ऑफिस में काम करने वाली दो नेपाली महिलाओं के साथ योजनाबद्ध तरीके और लंबे समय से होते आ रहे यौन शोषण, प्रताड़ना और रेप की देखरेख करने, और उसमें शामिल रहने का.

आपने यह कहानी न्यूज चैनलों पर देखी है. माजिद के कथित अपराधों का सनसनीखेज विवरण पढ़ा है. आपने सुना होगा कि कैसे उसने कथित तौर पर अपनी पत्नी और बेटी को घर से दूर भेज दिया ताकि इन नेपाली गुलामों का शोषण करने और वहां आने वाले राक्षसों के लिए रास्ता साफ किया जा सके. लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल लोग वास्तव में पूछ रहे हैं, वह है कि माजिद का क्या हुआ? निश्चित तौर पर आप पहले ही जानते हैं? ज्यादा कुछ नहीं.

किसी राजनयि‍क को सुरक्षा देने वाली वियेना संधि को पूरी तरह ध्यान में रखा गया. कोई गलती नहीं की गई. लेकिन कुछ स्थायी सवाल हैं, क्या ऐसे प्रोटोकॉल्स को रेप, मर्डर जैसे गंभीर अपराधों पर लागू होना चाहिए? इसलिए मैं इस कॉलम में आपराधिक गतिविधियों के लिए राजनयिकों को दी जाने वाली सुरक्षा या कहें उस आजादी को लेकर थोड़ा कम चिंति हूं.

क्योंकि, स्पष्ट तौर पर यह कहानी इस बात से परे है कि क्या दो नेपाली युवतियों के साथ रेप को गुप्त तरीके से प्रश्रय देने वाले एक अरब राजनयिक से उसको मिले विशेषाधिकार छीने जाने चाहिए, हम सभी उसे हरियाणा की किसी जेल में देखना चाहते हैं. अलबत्ता इस कहानी की दो कहीं ज्यादा बड़ी बातों पर विवेचना जरूरी है, जो कि छल-कपट की एक बड़ी दास्तां उजागर करती हैं.

पहला, सऊदी अरब खुद. फर्स्ट सक्रे‍टरी के तौर पर माजिद को अदृश्य राजनयिक छूट मिली हुई है (और साउथ दिल्ली के शानदार पश्चिम मार्ग स्थित दूतावास की बल्डिंग उसका दृश्य किला है.) इस घटना ने हमें सऊदी अरब को एक देश के रूप में जानने के लिए एक कीमती अवसर दिया है. एक देश जो कि विदेशी धरती पर बाकि अन्य देशों की तरह ही राजनयिक विशेषाधिकार का फायदा उठाता है. लेकिन ऐसा देश जिसने अपने कच्चे तेल और दौलत की बदौलत दुनिया का फायदा उठाने में महरात हासिल कर ली है. ऐसा देश जो कि बेशर्मी के साथ दुनिया के तथाकथित ताकतवर देशों के महत्वपूर्ण खिलाड़ियों के बीच बहुत ही मजबूती के साथ खड़ा है.

याद कीजिए कैसे राष्ट्रपति ओबामा ने भारत में धार्मिक सहिष्णुता और महिलाओं के अधिकारों के बारे में लंबा-चौड़ा भाषण देन के बाद दिल्ली से सऊदी अरब की यात्रा के दौरान इन विचारों को अपने एयरफोर्स वन में दफन कर दिया था? वहां न केवल ओबामा ने हिंसक सऊदी कट्टरता को वॉशिंगटन के ऐतिहासिक धैर्य के साथ बहादुरी से सम्मानित किया बल्कि वह तब ज्यादा कुछ कह भी नहीं पाए, जब नए राजा ने स्वागत में उनसे हाथ मिलाया लेकिन मिशेल से नहीं. अमेरिका और सऊदी अरब के पवित्र रिश्ते में हर देश तैरना चाहता है, भले ही अनिच्छा के साथ ही सही. दिल्ली स्थित दूतावास में सऊदी राजनयिक माजिद की तरह ही सऊदी अरब को बाकी दुनिया से छूट मिली हुई है.

इस कहानी का दूसरा हिस्सा भारत के सऊदी अरब के साथ खुद के रिश्ते हैं. कोई गलती मत करिए, भारत सहित दुनिया के सभी देशों ने नैतिक रूप से उस अपवित्रता को छूट दी है जिस पर सऊदी अरब खड़ा है. दुख की बात यह है कि भारत के सऊदी के साथ संबंध काफी हद तक अपरिवर्तनीय हैं. कम से कम अभी के लिए तो बिल्कुल नहीं. सऊदी अरब में करीब 30 लाख भारतीय नागरिक रहते हैं जो कि उस देश में सबसे बड़ा विदेशी समुदाय है. भारत ऊर्जा के लिए भूखा देश है और उस भूख का एक बड़ा हिस्सा सऊदी अरब शांत करता है. निश्चित तौर पर, जिओ-पॉलिटिकल या आर्थिक चीजें उन चीजों को चमकाने के लिए काम आती हैं जिनके बारे में हम बात नहीं करेंगे.

क्या भारत को इस बारे में चिंतित होना चाहिए? निश्चित तौर पर हमारे पास खुद की कहीं ज्यादा बड़ी समस्याएं हैं? और क्या भारत सऊदी अरब के साथ पाखंडी होने का खतरा उठा सकता है? एक अखबार ने जून में खबर दी थी कि पीएम मोदी अगले कुछ महीनों में सऊदी अरब जा सकते हैं. निश्चित तौर पर सऊदी अरब के साथ अर्थपूर्ण संबंधों के लिए यह किसी पर भी लागू होता है, हम पर भी.

ऐसा अक्सर नहीं होता कि कोई कहानी सभी देशों से संबंधित मुद्दों को दिखाए. हमारे इस शानदार शांतिपूर्ण क्षेत्र की विषमताओं का इस सप्ताह इससे सुंदर ढंग से प्रदर्शन नहीं किया सकताः एक बहुत ही धनी देश का राजनयिक, आधिकारियों की सुरक्षा में भाग जाता है, जबकि एक गरीब (हाल ही में भूकंप से हिले हुए) देश नेपाल की दो वंचित महिलाएं घबराहट के साथ सोचती हैं कि क्या उनके शरीर के साथ खेलने वाले आरोपियों को कभी कानून का सामना करना पड़ेगा? एक पत्रकार के तौर पर मैं आपको बता सकता हूं कि जितना हम सोचते हैं यह उससे कहीं ज्यादा रहस्यमय होगा.

अगर आप स्टोरी के टीवी कवरेज के साथ जुड़ी कहानियां देखते रहे हैं तो आप जान पाएंगे कि सऊदी अरब रेप की सजा की रूपरेखा के मामले में कानूनी तौर पर अस्पष्ट है, जहां अक्सर रेप पीड़ितों को ही अपराधी मान लिया जाता है. इसलिए संभव है कि अगर यह अपराध सऊदी अरब में हुआ होता तो, दोनों नेपाली महिलाओं के साथ जो कुछ हुआ उसकी कीमत संभवत: उन्हीं को चुकानी पड़ती.

सऊदी अरब में रहने वाले करोड़ों भारतीयों के अलावा हर साल हजारों लोग वहां की यात्रा करते हैं. मैं उनसे कुछ कहना चाहता हूं. रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में भारत से जाने वाले हज यात्रियों को पोर्नोग्राफी, वाइग्रा और सेक्शुअल क्रीम और तेल ले जाने के खिलाफ सख्त सलाह जारी की गई थी. भारतीयों को किसी और जगह ऐसी चीजों को ले जाने से डरने की जरूरत नहीं है लेकिन सऊदी अरब के लिए सचेत रहें. सर्कुलर के मुताबिक, यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है, जिसके साथ गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है. महिलाओं, प्रवासियों और दबे हुए लोगों के साथ अमानवता का व्यवहार करने वाले देश के बारे में भारत सरकार ने सबसे उपयोगी सलाह जारी की है.

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लेखक

शिव अरूर शिव अरूर @shiv.aroor

लेखक इंडिया टुडे टीवी में पत्रकार हैं.

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