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Updated: 27 जून, 2018 12:59 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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चंद दिनों पहले की बात है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर थे. संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष समापन समारोह' के लिए बतौर मुख्य अतिथि नागपुर स्थित संघ के मुख्यालय गए प्रणब मुखर्जी ने मुखर होकर एक ऐतिहासिक भाषण दिया था. भाषण से पहले कांग्रेस ने पूर्व राष्ट्रपति की जमकर आलोचना की थी मगर प्रणब के भाषण के बाद महसूस हुआ कि यदि कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी उनके भाषण को समझ लेते हैं तो कहीं न कहीं प्रणब का ये भाषण 2019 आम चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों के लिए संजीवनी का काम करता.

जैसा कि उम्मीद की जा रही थी वैसा ही हुआ. सो-सोकर जागने वाली कांग्रेस ने प्रणब के इस भाषण से कोई सबक नहीं लिया और परिणाम स्वरूप आरएसएस ने इसे भुना लिया. खबर है कि आरएसएस के प्रोग्राम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भाषण सुनने के बाद पश्चिम बंगाल के लोगों में संघ से जुड़ने की इच्छा बढ़ गई है. बताया जा रहा है कि आरएसएस की सदस्यता के लिए पश्चिम बंगाल से बड़ी संख्या में आवेदन आ रहे हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मोहन भागवत, प्रणब मुखर्जी, पश्चिम बंगाल  पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण के बाद लोगों का संघ से जुड़ना अपने आप में पूरी कहानी कह देता है

इस कामयाबी से उत्साहित आरएसएस के पश्चिम बंगाल यूनिट के मीडिया प्रभारी बिपलब रॉय का कहना है कि एक जून से छह जून के बीच हमें सदस्यता के लिए औसत रूप से 378 आवेदन मिल रहे थे. मगर 7 जून के बाद से आश्चर्यजनक रूप से हमें इसमें इजाफा देखने को मिला. अब हमारे पास रोज तकरीबन 1,779 लोगों के आवेदन आ रहे हैं. इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात ये है कि पूर्व राष्ट्रपति का भाषण भी 7 जून को ही हुआ था. बात अगर संख्या की हो तो वर्तमान में संघ के पास जितने भी आवेदन आ रहे हैं उन आवेदनों में चालीस प्रतिशत से ज्यादा आवेदन पश्चिम बंगाल से आए हैं.

इस पूरे मामले को ध्यान में रखकर आरएसएस के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य ने प्रणब मुखर्जी को धन्यवाद देते हुए पत्र भी लिखा है. प्रणब को लिखे पात्र में मनमोहन वैद्य ने इस पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि  कैसे पूरे कांग्रेस खेमे द्वारा उनकी संघ मुख्यालय की यात्रा का विरोध किया गया था. इस पत्र में वैद्य ने पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी का भी जिक्र किया जिन्होंने अपने पिता की इस पहल की आलोचना करते हुए ट्वीट किया था कि, भाषण सब भूल जाएंगे, केवल छवी रह जाएगी जिसे गलत बयानों के साथ हर जगह चालाया जाएगा.

अब भले ही वैद्य पश्चिम बंगाल के लोगों के संघ से जुड़ने की वजह से उत्साहित हों, और ये मान रहें हों कि इसका एकमात्र कारण पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सादगी और उनके भाषण है. तो यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि लोगों के बीच अचानक उपजे संघ प्रेम का कारण केवल और केवल राजनीति है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मोहन भागवत, प्रणब मुखर्जी, पश्चिम बंगाल    जिन प्रणब मुखर्जी का फायदा कांग्रेस को उठाना था उनका फायदा संघ उठा रहा है

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल का शुमार एक ऐसे राज्य में है जो संघ और बीजेपी के लिए एक ड्राई स्टेट की तरह रहा है. यहां की राजनीति में या तो सीपीआई का दखल है या फिर टीएमसी का. कांग्रेस की तो लगभग यहां से जड़ उखड़ चुकी है, और उन्‍हीं गड्ढों में बीजेपी अपने पौधे रोपना चाहती है. ऐसे में जिस तरह देश के लोगों द्वारा भाजपा को हाथों हाथ लिया जा रहा है कहना गलत नहीं है कि ये बंगाल के उन लोगों के लिए एक बड़ा मौका है जो भाजपा के बैनर तले राजनीति करना चाहते हैं. ध्यान रहे कि भाजपा में एंट्री के लिए संघ किसी वाइल्ड कार्ड सरीखा है. यदि व्यक्ति संघ से जुड़ गया तो उसे न सिर्फ भाजपा में वाइल्ड कार्ड एंट्री मिलेगा बल्कि उसे पार्टी द्वारा हाथों हाथ लिया जाएगा.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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