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Updated: 06 फरवरी, 2023 10:09 PM
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आज एक भइया जी मिले, मुझसे बोले कि रामचरित मानस का इतना अपमान हो रहा है, तुम इस विषय पर कुछ लिखते क्यों नहीं ? मैंने कहा भइया जी, क्या लिखूं ? मैंने कहा आप रामचरित मानस को छोड़ो, आप ये देखिए कि पाकिस्तान किस तरह से भूखा मर रहा है ? आपको फिर भी 100 रुपए लीटर में सस्ता पेट्रोल मिल रहा है, लेकिन पाकिस्तान में तो 250 रुपए लीटर पेट्रोल मिल रहा है. हिंदुत्व की धार मजबूत करने वालों को इससे कोई मतलब नहीं कि हम प्याज कितने में लेकर आ रहे हैं, लेकर पाकिस्तानियों को 320 रुपए किलो प्याज मिलने पर हमारे देश की जनता खुशी के आंसू रो रही है, और तो और क्या आपको पता है कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान में बसने वाले कट्टर हिंदुओं के लिए दस दिन का वीजा लागू करने की घोषणा की है, अब वहां के कट्टर हिंदू भारत आकर अपने लोगों की अस्थियां गंगा में विसर्जित कर सकेंगे.

अब क्या जान लोगे ? अकेले मोदी और योगी  क्या क्या करें ? जब नेहरू या मनमोहन सिंह जी थे, तब क्या तुमको किसी विभाग का अधिकारी बना दिया, जो अब मोदी और योगी से आस लगाए बैठे हो ? हालांकि, वो भइया जी भी भाजपा के बहुत बड़े समर्थक हैं, लेकिन बहुत परेशान थे. बोल रहे थे, कि व्यापार मंदा हो गया है और एक पोस्ट करने पर फेसबुक ने एक महीने के लिए ब्लॉक कर दिया है.

सच मानिए, मुझे पाकिस्तान में बढ़ती हुई महंगाई और परवेज मुशर्रफ की मौत की खबर से इतना दुख नहीं हुआ, जितना इस बात पर मलाल हुआ कि मार्क जुकरबर्ग ने भइया जी को ब्लॉक कर दिया! तूने अच्छा नहीं किया जुकेरबर्ग! अगर भारत की राजनीति, यहां के नाकारा नेता और सत्ता के हाथों बिके हुए पत्रकार देश को गर्त में भी डुबो दें, तो कोई बड़ी बात नहीं!

Ramcharitmanas, Samajwadi Party, Swami Prasad Maurya, COntroversy, Brahman, Dalit, Akhilesh Yadavसवाल ये है कि रामचरित मानस पर बयान देने वाले मौर्य के खिलाफ लोग खुलकर सामने क्यों नहीं आ रहे 

 

समाजवादी पार्टी के एक नेता और उसके चमचे रामचरित मानस की प्रतियां जला रहे हैं और ब्राह्मणों को अपशब्द कहे जा रहा है, लेकिन सत्ता की मलाई खाने वाले बाबा और उनके चेले मूकदर्शक बने हुए हैं. बात बात पर बुलडोजर चलाने वाले और देशद्रोही का तबका लगाने वाले हिन्दुओं के ठेकेदार रामचरित मानस के अपमान पर खामोश  क्योंबैठे हुए हैं ?

अब कहां गए वो बजरंगी, संघी, मुसंघी, जो छींक आने पर भी हिंदुत्व को खतरे में आने का रोना रोते थे ? क्या अब उनके धर्म और हिंदुत्व पर कोई खतरा नजर नहीं आता है ?जाहिर है, सब कुछ राजनीति के तहत हो रहा है. 2024 में होने वाले आम चुनावों के लिए शतरंज की बिसात बिछाई जा रही हैं और जाति धर्म के नाम पर खेले जा रहे इस खेल में, देश की जनता अहम भूमिका निभा रही है.

कोई मुद्दे तो हैं नहीं, और जनता को धर्म की घुट्टी पिला दी गई है, इसीलिए अब देश की जनता में इतनी ताकत नहीं कि रोजी रोटी की बात कर सके, शिक्षा की बात कर सके, रोजगार की बात कर सके, बढ़ती मंहगाई पर बात कर सके..! बिलकुल भी नहीं. ये भारत देश है. क्या ऐसा हो सकता है, कि यहां के राजनीतिक दल हिंदू-मुस्लिम और जाति-धर्म को छोड़कर सामाजिक मुद्दों पर चुनाव लड़ सकें.

नहीं... ऐसा कभी नहीं हो सकता. नफरत की ये राजनीति हमें विरासत में मिली है. हमें इस धरोहर को संजोकर रखना होगा. ये हमारी जिम्मेदारी है. रही बागेश्वर धाम की, तो इतना ही कहूंगा कि वो ढोंगी है. जिस प्रकार से मोमबत्ती बुझने से पहले बहुत फड़फड़ाती है, कुछ ऐसा ही हाल इस समय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का है. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बलि का बकरा बनाया गया है. ये बात उसे देर से समझ आएगी.

खैर,, आपको पता होना चाहिए कि समाजवादी पार्टी का मौजूदा सिपाही स्वामी प्रसाद मौर्य, भाजपा से निकलकर आया है. मुझे तो लगता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी को राज्य से निपटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, और ये नेता उसे बखूबी निभा रहा है. ये बात समाजवादियों को भी देर से समझ आएगी... लगे रहो देश के मुन्ना भाइयों.

लेखक

Nitin Kumar Shukla Nitin Kumar Shukla @578290350820745

मेरा नाम नितिन कुमार शुक्ला है। मैं मूलतः उत्तर प्रदेश के आगरा शहर का निवासी हूं। सामाजिक, राजनीतिक एवं अन्य मुद्दों पर लिखना मेरा शौक है। मैंने जनसंचार एवं पत्रकारिता में परस्नातक किया है और वर्तमान में एक सामाजिक संस्था के साथ जुड़कर गरीब तथा असहाय बच्चों को निशुल्क प्राथमिक शिक्षा देने का कार्य करता हूं। मुझे ऐसी लोगों के साथ जुड़ना अच्छा लगता है, जो समय समय पर देश में घटित घटनाओं के बारे में लिखते रहते हैं।। सीखना मेरी आदत है। पुस्तकें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है।

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