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Updated: 26 मई, 2017 09:03 PM
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मोदी सरकार के तीन साल और विपक्ष का मोदी सरकार की असफलताएं गिनाना बदस्तूर जारी है. कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी की सोशल मीडिया चीफ दिव्या स्पंदन ने मोदी सरकार में महिलाओं की सुरक्षा पर जो चिंता जताई उसने मोदी सरकार पर आरोपों के वार और बढ़ा दिए. जिससे सोशल मीडिया पर महिला सुरक्षा और अलग-अलग मुद्दों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ प्रचार प्रसार बढ़ गया.

दिव्या संपंदन(रम्या) की कही बातों के तीन मुख्य बिंदू थे- निर्भया फंड, रेप के मामलों में 22.2% की वृद्धि और वन स्टॉप सेंटर का कहना था कि 'मुझे नहीं लगता कि भाजपा सरकार महिलाओं की सुरक्षा के मामले में कुछ भी कर रही है.'

लेकिन क्या वास्तव में मोदी सरकार महिला सुरक्षा के नाम पर असफल साबित हुई, ये जानने के लिए कुछ तथ्यों का जानना जरूरी है जिन्हें कांग्रेस के दावों पर वेबसाइट बूमलाइव ने खोजा-

कांग्रेस का पहला दावा- रेप के मामलों में 22.2% की वृद्धि हुई-  

इसे बहुत आसानी से समझा जा सकता है. मोदी सरकार मई 2014 से सत्ता में है. और जिन आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस ने 22.2% का दावा किया वो आंकड़े 2015 तक रजिस्टर किए गए अपराधों के आधार पर थे.

ncrb rape data

रेप के मामलों में हुई वृद्धि की गणना पांच साल के औसत और 2015 तक हुए कुल मामलों के आधार पर की गई थी, यानी 2010-2014 तक. 22.2% का आंकड़ा तब आया जब 2015 के रेप के मामलों की तुलना पांच साल के 28349 मामलों से की गई.

अगर रेप के मामलों को देखें तो एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2013 में 38% (33707 मामले) की वृद्धि हुई, 2014 में 9%(36735 मामले) की वृद्धि हुई और 2015 में रेप के मामलों में 5.7%(34651मामले) की गिरावट देखने को मिली.  

ncrb rape data

यानी कांग्रेस का कहना गलत नहीं है कि 22.2% की वृद्धि हुई लेकिन उसे मोदी की असफलता के साथ जोड़ना ठीक नहीं क्योंकि अगर बात तुलना की है तो फिर 2014 के बाद आंकड़ों में गिरावट साफ बता रही है कि यहां सरकार को फेल नहीं कहा जा सकता.

कांग्रेस का दूसरा दावा- 660 वन स्टॉप सेंटर्स में से केवल 20 चल रहे हैं-

वन स्टॉप सेंटर स्कीम को हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए 2015 में बनाया गया था. इसमें पीड़ित महिलाओं के लिए स्वास्थ सुविधा, पुलिस सहायता, कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श आदि सुविधाएं शामिल हैं.  

3 फरवरी 2017 को लोकसभा में उठाए गए प्रश्न में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने दूसरे फेज़ 2016-2017 में 150 और नए सेंटर बनाने की बात कही थी. मंत्रालय ने कहा कि इसके लिए निर्भया फंड के तहत सारे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए प्रस्तावों को स्वीकार किया गया जिनमें से 68 सेंटर पूर्ण रूप से कार्य कर रहे हैं.  

27 जनवरी 2017 को भी एक प्रेस रिलीज दी गई कि 'देशभर में 186 वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए जाने हैं. अभी तक 79 OSC चल रहे हैं. ये 186 सेंटर जुलाई 2017 तक कार्यरत हो जाएंगे'. जाहिर है निर्भया फंड इन्ही सेंटर पर खर्च हुआ है और आगे भी किया जाना है.  

तो 2015 के एनसीआरबी रिपोर्ट के आधार पर मोदी के तीन सालों का रिपोर्ट कार्ड दे देना क्या सरासर बेबुनियाद नहीं लगता? अगर इसी आधार पर सरकार को पास या फेल करना है तो एनसीआरबी के 2016 के आंकड़ों को भी सम्म्लित किया जाना चाहिए जो अभी तक रिलीज़ नहीं किए गए हैं.

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